Safarnama - Ek Kissa
हम है भईया घुमंतू प्राणी और आदत से मज़बूर दरअसल बात ये है शहर - शहर भटकने की पुरानी आदत है। कुछ भी फिक्स नहीं होता कब जाना है, कब आना है।
बस उठाया अपना झोला और निकल पड़ता हूं सफर की ओर। कुछ भी फिक्स नहीं होता पर सीट फिक्स हो जाती है। अकेला होता हूं अक्सर हर सफ़र पर फिर भी सफ़र मस्त कट जाता है। दोस्तों के साथ से जो हमेशा दिल से होता है। और ये लिखना इसलिए ज़रूरी है क्योंकि मेरे सफरनामा में साथ होता है मेरे दोस्त का।
वैसे तो ये जनाब College में Boss रहे और रूम मेट भी। इलेक्ट्रॉनिक्स कम्युनिकेशन और Circuit Theory के साथ - साथ ज़िन्दगी की Theory साथ पढ़ी।
आज पता बदल चुका है मिलना तभी होता है जब कहीं जाना होता है Indian Railways से ....
तो दोस्तों ये थी मेरे सफरनामा की एक छोटी दास्तां जल्द मुखातिब होऊंगा मैं अनुज एक और Safarnama के साथ।
#AnujPareek