
जब भी सिक्किम की बात आती है तो लोगों की ज़बान पर पहला नाम गंगटोक का आता है और दूसरा पेल्लिंग का। लेकिन बार-बार एक ही जगह देखते रहने की बजाय आपको हर बार नई जगह के बारे में सोचना चाहिए।
अपनी ट्रिप को सुन्दर बनाने के लिए आप एक शहरी दुनिया से दूर तुरुक के इस होमस्टे पर ठहरने का प्लान बना सकते हैं।
तुरुक हेरिटेज बंगलॉ
तुरुक कोठी कहिए या फिर हेरिटेज बंगलॉ, यह घर है लक्ष्मी दास प्रधान जी का। प्रधान जी सिक्किम के पहले सिक्का प्रणाली शुरू करने वाले व्यक्ति थे। पहले यह बंगलॉ ज़िले का हेडक्वार्टर हुआ करता था और अब लोगों के सफ़र की आरामगाह बन गया है। प्रधान जी ने जब यहाँ पर सिक्का प्रणाली शुरू की, उस समय यहाँ पर चोग्याल तोतुब नमग्याल का शासन था, जिसमें विनिमय प्रणाली की व्यवस्था थी।
विनिमय प्रणाली वह व्यवस्था है, जिसमें एक चीज़ के बदले दूसरी चीज़ का आदान प्रदान हुआ करता है। बाद में सिक्का प्रणाली आने के बाद हर चीज़ की क़ीमत पैसों से तौली जाने लगी।
तुरुक बंगलॉ के बारे में
सिक्किम की शान बने इस बंगले का कुल क्षेत्रफल 9 एकड़ का है। इस कॉटेज में दो बेडरूम हैं, जिसमें चार लोगों के ठहरने की उत्तम व्यवस्था है। हर कमरे में बरामदा है, जहाँ पर से आप सामने के बाग देख सकते हैं।
इस बंगलॉ का रंगरूप ही इस तरह का बनाया गया है, जिससे आपको अपने अतीत में झाँकने का मौक़ा मिले। एक अतीत की ख़ुशबू का सा एहसास मिलता है यहाँ। लेकिन ऐसा नहीं कि मॉडर्न रंगत न हो, दोनों का मिश्रण इस तरह का है, कि ट्रिप यादगार हो जाए।
जहाँ तक बात की जाए पूरे बंगलॉ की, तो विंटेज रंग का डिज़ाइन दिया गया है, लेकिन कमरों में सारी मॉडर्न सुख सुविधाओं का ख़्याल रखा गया है। आपको यहाँ पर बरसों पुरानी कला के कालीन मिलेंगे और उसके साथ मॉडर्न डिज़ाइन वाले हीटर और कॉफ़ी मेकर भी।




क़ीमत
सीज़न के हिसाब से यहाँ की क़ीमत बदलती रहती है। ज़्यादातर समय इसकी क़ीमत 6,000 से 8,000 के बीच होती है। इसमें खाने की भी सुविधा जुड़ी हुई है।
तुरुक कोठी के नज़दीक
पंछी दर्शन
जैसा है सिक्किम, वैसे ही हैं यहाँ के पंछी। पंछी दर्शन के लिए तो मानो स्वर्ग में आ गए हैं आप। हरियाली के बीच में चटख रंग के पंछियों को देखना वाक़ई शानदार होता है। लाल बुलबुल, उल्लू और दूसरे पंछियों को देखने का मौक़ा आप यहाँ आकर बिल्कुल भी न छोड़ें।

ट्रेकिंग और हाइकिंग
यहाँ पर हाइकिंग और ट्रेकिंग करना इसलिए भी बढ़िया है, क्योंकि आप पैदल ही अधिकतर जगहें देख सकते हैं। माहौल शानदार हो और संगी साथी यार हों, तो इस बढ़िया और क्या ही हो सकता है।

ख़ूबसूरत जगहें
तुरुक के नज़दीक ही एक ही एक जगह है तारे भीर। पहाड़ी की चोटी, जहाँ पर से तीस्ता और रंगीत नदियों पैनोरामा नज़ारे मिलते हैं। यहाँ से क़रीब 4,000 फ़ीट नीचे बहती हैं ये नदियाँ।
इसके अलावा घूमने की दूसरी जगहों में आप नामची सिटी का प्लान बना सकते हैं। यह ख़ुद में एक ट्रिप के लायक जगह है जो कि रवंगला नामक क़स्बे में पड़ती है।

तुरुक कैसे पहुँचें
हवाई मार्गः बागडोगरा हवाई अड्डा तुरुक से 121 किमी0 दूर है। वहाँ से आपको मेली बाज़ार के लिए कैब मिल जाती है। मेली बाज़ार से टैक्सी करके आप 30 मिनट में तुरुक पहुँच जाएँगे।
रेल मार्गः न्यू जलपाईगुड़ी सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन है जो कि क़रीब 115 किमी0 दूर है। आपको यहाँ से भी मेली बाज़ार की टैक्सी कर के तुरुक पहुँचना पड़ेगा।




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