इंसान शुरू से ही चमत्कार को नमस्कार करता आया है। एक ऐसे ही रहस्यमयी और चमत्कार से हम आपको रूबरू करने जा रहे हैं। हिमचाल प्रदेश को देव भूमि के नाम से भी जाना जाता है, जिस कारण यहांँ के लोगो की आस्था और भगवान पर अटूट विश्वास है। इसी बजह से हिमाचल प्रदेश में बहुत से धार्मिक और पूजनीय स्थान है। ऐसा ही एक धार्मिक स्थान है जो जमुआलां दा नाग नाम से जाना जाता है। तो आइये बात करते हैं इस रहस्यमयी मन्दिर के बारे में, जो मंदिर विज्ञान को भी चुनौती देते आया है।
यह मन्दिर काँगड़ा के चेलियां में स्तिथ है। यह नाग देवता को समर्पित है जो हिमाचल प्रदेश काँगड़ा के रानीताल में पड़ता है। यह पवित्र धार्मिक स्थान होशियारपुर धर्मशाला सड़क मार्ग पर स्थित रानीताल से लगभग करीब डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर स्तिथ है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार लोग इस धार्मिक स्थान को श्री नाग देवता (जमुआलां दा नाग) के नाम से जाना जाता है।
कहा जाता है की यहांँ पर कई साल पहले जमुआल परिवार जो जम्मू में रहता था। एक दिन जमुआल परिवार जम्मू से गांव चेलियां में आ के बस गया था। माना जाता है की नाग देवता जमुआल परिवार के कुल देवता हैं। किसी कारण वश वो अपने देवता को यहांँ नहीं ला पाए। नाग देवता भी उस परिवार के साथ यहांँ आना चाहते थे। जमुआल परिवार से सबंदित, जब कुछ समय बाद जमुआल परिवार पूर्ण रूप से गांव चैलिया में बस गया तो नाग देवता ने परिवार के विद्वान बुजुर्ग को रात को स्वप्न में देखे और उन्हें कहा की मैं भी आपके साथ गांव चेलियां में आना चाहता हूं। उस के बाद ही जमुआल परिवार ने एक पालकी तैयार की और उन्हें सम्मान सहित गांव में जमालू मंदिर स्थापित किया गया।
यहांँ पर नाग देवता जी की पिंडी को विधि विधान से वर्तमान जगह पर विराजमान किया गया। इस मंदिर के दर्शन के लिए बहुत दूर दूर से लोग आते है। इस मंदिर में दर्शन के लिए आये भक्त यहांँ की चमत्कारी मिट्टी अपने साथ अपने घर लेकर जाते हैं । मान्यता है कि इस मिट्टी को अगर हम अपने घर के आसपास पानी में घोल कर छिड़कें तो जहरीले सांप, बिच्छु घर में नहीं घुसते और सांप, बिच्छु आदि के काटने का डर नहीं रहता।
इस धार्मिक मंदिर में नाग देवता को श्री नाग देवता जी को नमक, कनक और दूध भी चढ़ाया जाता है। नाग देवता के दर्शन के लिए सही समय, इस मंदिर में विराजित नाग देवता के दर्शनों के लिए श्रावण मास के हर शनिवार व मंगलवार का समय सही माना जाता है। माना जाता है की नाग देवता का जन्म शास्त्रों और पुराणों के अनुसार श्रावण मास में हुआ था। नाग पंचमी भी इसी महीने होती है। यहांँ आने और इस मंदिर के प्रवेश के लिए किसी भी प्रकार का कोई शुल्क नहीं लिया जाता।
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जय भारत
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