कोच्चि के प्रेशीद ने काला सागर यानी ब्लैक सी पर रूस के पश्चिमी तट पर चलकर ट्यूप्स से जापान सागर के पास पूर्वी तट पर व्लादिवोस्तोक की यात्रा तय की है।
मात्र 24 साल के पलारीवट्टोम के यदुकृष्णन ने शायद एक औसत व्यक्ति की तुलना में अपनी जिंदगी में इतने रोमांच का अनुभव किया है जिसकी शायद केवल कल्पना की जा सकती है।
रूस के पीपुल्स फ्रेंडशिप यूनिवर्सिटी, जिसे मॉस्को में आरयूडीएन यूनिवर्सिटी के नाम से भी जाना जाता है, पत्रकारिता की पढ़ाई कर रहे प्रिशीद के लिए साल 2021 उनके जीवन के सबसे यादगार वर्षों में से एक बन गया है।
पिछली गर्मियों के दौरान, उन्होंने 27 दिनों में पूरे रूस की यात्रा की है और वो भी केवल हिचहाइक करके। प्रिशीद ने रूस के पश्चिमी तट और ब्लैक सी के सहारे बढ़ते रहने के बाद ट्यूप्स से जापान सागर के पास पूर्वी तट पर स्थित व्लादिवोस्तोक तक का सफर पूरा किया है। प्रिशीद याद करते हुए बताते हैं कि, "उस यात्रा से एक यादगार एपिसोड चुनना मुश्किल होगा। लेकिन रूस के पूर्वी छोर पर एक बौद्ध मठ में संस्कृत पढ़ना यकीनन उनमें से एक होगा।"
अब प्रिशीद अपने ऑनलाइन न्यूज़लेटर के साथ हर हफ्ते उस यात्रा की कहानियाँ पब्लिश कर रहे हैं। प्रिशीद का न्यूजलेटर अंग्रेज़ी, रूसी और स्पैनिश भाषाओं में उपलब्ध है। न्यूज़लेटर के अलावा, नई भाषाएँ सीखना प्रिशीद के पसंदीदा कामों में से है। हालांकि प्रिशीद अपना पत्रकारिता कोर्स रूसी भाषा में कर रहे हैं जिसपर उनकी अच्छी पकड़ है लेकिन वे साथ में स्पेनिश भी सीख रहे हैं।
प्रिशीद ने रेडिट पर एक वीडियो भी साझा किया है जिसे उन्होंने 'कोच्चि कठबोली' का नाम दिया है। ये वीडियो कोच्चि के व्हाट्सएप ग्रुप में काफी वायरल हुआ था।
रूस में घुमक्कड़ी का किस्सा पहली बार 2018 में शुरू हुआ जब उन्होंने एक महीने वहां फुटबॉल विश्व कप देखने और देश देखने में बिताया। इस यात्रा के लिए प्रिशीद ने उन पैसों का इस्तेमाल किया जो उन्होंने आईआईटी मद्रास में पढ़ाई करते हुए पार्ट टाइम नौकरी करके बचाए थे।
प्रिशीद बताते हैं, “मैं एक दोस्त के साथ आया था जिसे साइकिल चलाने का शौक था और इसलिए हम अपनी साइकिल भी साथ ले आए । हमने मॉस्को, सेंट पीटर्सबर्ग, पेट्रोज़ावोडस्क, कैलिनिनग्राद और निज़नी नोवगोरोड घुमा और ज्यादातर समय हॉस्टल में ठहरते थे।"
विदेशी छात्रों के लिए रूसी सरकार की छात्रवृत्ति के बारे में जानने के लिए उन्होंने रूसी सीखना शुरू किया। पहले से ही ब्लॉग लिखने के कारण, उन्होंने पत्रकारिता छात्रवृत्ति के लिए आवेदन किया और उसको जीत लिया।
प्रिशीद आगे बताते हैं, "रूस में पढ़ाई करने से मुझे जो सबसे बड़ा फायदा हुआ वो ये है कि मुझे 150 से अधिक देशों के छात्रों के साथ बातचीत करने का मौका मिला।"
प्रिशीद बताते हैं कि उनके माता-पिता शुरू में अपने इकलौते बेटे की पसंद को लेकर चिंतित थे। "लेकिन कुछ समय बाद उन्हें मेरी पसंद पर भरोसा करना पड़ा, जो उन्होंने किया भी।"
जिंदगी में सकारात्मक सोच रखने वाले प्रिशीद अपने भविष्य को लेकर परेशान नहीं हैं बल्कि एक बात के प्रति आश्वस्त हैं, कि जीवन में जो कुछ भी होगा, वह हमेशा उसके लिए तैयार रहेंगे।
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