भारत का यह पैलेस जिसका डिज़ाइन लंदन के बकिंघम पैलेस से प्रेरित था।

Tripoto
1st Mar 2024
Photo of भारत का यह पैलेस जिसका डिज़ाइन लंदन के बकिंघम पैलेस से प्रेरित था। by Yadav Vishal
Day 1

कूच बिहार राजबाड़ी, जिसे कूच बिहार पैलेस भी कहा जाता है, पश्चिम बंगाल के कूच बिहार शहर में स्थित है। यह ऐतिहासिक पैलेस कूच बिहार के महाराजा नरेंद्र नारायण द्वारा 1887 में ब्रिटिश राज वास्तुकला शैली में बनवाया गया था। पैलेस की डिजाइन क्लासिकल वेस्टर्न आर्किटेक्चर के अनुसार है, जिसमें बकिंघम पैलेस की झलक मिलती है, खासकर इसके रेनेसां कला प्रभावों में।विश्व प्रसिद्ध इस पैलेस को विक्टर जुबली पैलेस के रूप में भी जाना जाता है। यह पैलेस कला प्रेमियों और पर्यटकों के लिए एक उत्तम आकर्षण का केंद्र हैं। इस पैलेस की सैर करते समय आपको स्थानीय इतिहास और सांस्कृतिक विविधता का अनुसंधान करने का भी अवसर मिलेगा।

Photo of भारत का यह पैलेस जिसका डिज़ाइन लंदन के बकिंघम पैलेस से प्रेरित था। by Yadav Vishal

राजबाड़ी का इतिहास 

यह पैलेस अपने वास्तुशिल्प सौंदर्य और इतिहास के लिए प्रसिद्ध है। कूच बिहार का इतिहास कोच राजवंश से जुड़ा है, जिसकी स्थापना 1515 में विष्णु के अवतार नर नारायण द्वारा की गई थी। यह वंश अपने योगदान और बंगाल तथा असम के इतिहास में अपने प्रभाव के लिए जाना जाता है। इस पैलेस का निर्माण इस राजवंश की समृद्धि और संस्कृति का प्रतीक है। यह ऐतिहासिक पैलेस कूच बिहार के महाराजा नरेंद्र नारायण द्वारा 1887 में ब्रिटिश राज वास्तुकला शैली में बनवाया गया था। पैलेस की डिजाइन क्लासिकल वेस्टर्न आर्किटेक्चर के अनुसार है, जिसमें बकिंघम पैलेस की झलक मिलती है, खासकर इसके रेनेसां कला प्रभावों में।

राजबाड़ी की वास्तुकला

कूच बिहार राजबाड़ी की वास्तुकला उसकी सबसे उल्लेखनीय विशेषता है, जो इसे एक अनूठा और प्रतिष्ठित स्थल बनाती है। यह वास्तुशिल्प डिजाइन क्लासिकल विक्टोरियन शैली में है, जिसे ब्रिटिश राज के दौरान भारतीय राजाओं के बीच लोकप्रियता मिली। इसका निर्माण इटालियन रेनेसांस शैली के प्रभाव में किया गया था। इस पैलेस की कुछ मुख्य विशेषताएं ये भी हैं,

डोम और छत्राकार संरचनाएं: पैलेस के मुख्य आकर्षणों में से एक इसके शानदार डोम हैं, जो इटालियन रेनेसांस वास्तुकला की विशेषता है। ये डोम और छत्राकार संरचनाएं पैलेस को एक राजसी और उत्तम दृश्य प्रदान करती हैं।
स्तंभ और खंभे: पैलेस के प्रवेश द्वार और मुख्य हॉल में सुंदर स्तंभ और खंभे हैं जो ग्रीक रेवाइवल शैली से प्रेरित हैं। ये विशाल स्तंभ न केवल समर्थन प्रदान करते हैं बल्कि पैलेस की शोभा भी बढ़ाते हैं।
विस्तृत नक्काशीदार दरवाजे और खिड़कियाँ: पैलेस के दरवाजे और खिड़कियाँ विस्तृत नक्काशी के साथ डिजाइन किए गए हैं, जो इसकी वास्तुकला को और अधिक समृद्ध बनाते हैं।
आंतरिक सजावट: पैलेस के अंदरूनी हिस्से भी उतने ही भव्य हैं, जिसमें विस्तृत छतों पर कलात्मक नक्काशी, मोल्डिंग्स, और सोने का पत्ता कार्य शामिल है। फर्नीचर और अन्य सजावटी तत्व भी उस समय के राजसी जीवनशैली को प्रतिबिंबित करते हैं।

राजबाड़ी की वास्तुकला में आधुनिकता के साथ पारंपरिकता का संतुलित मिश्रण देखने को मिलता है, जो इसे एक अद्वितीय पहचान देता है। कूच बिहार राजबाड़ी की ये वास्तुकला विशेषताएं इसे सिर्फ एक इतिहासिक इमारत नहीं बल्कि एक कलात्मक और सांस्कृतिक धरोहर बनाती हैं।

Photo of भारत का यह पैलेस जिसका डिज़ाइन लंदन के बकिंघम पैलेस से प्रेरित था। by Yadav Vishal

कूचबिहार राजबाड़ी खुलने का समय

कूचबिहार राजबाड़ी खुलने का समय सुबह 10.00 बजे से शाम 5.00 बजे तक ही होता है और ये नेशनल हॉलिडे पर बंद रहता है।

कैसे पहुंचें?

फ्लाइट से-निकटतम हवाई अड्डा बागडोगरा है, जो कूच बिहार से लगभग 160 किलोमीटर दूर है। बागडोगरा से कूच बिहार के लिए टैक्सी या बस सेवाएं उपलब्ध हैं।
रेल मार्ग से:कूच बिहार का अपना रेलवे स्टेशन है, जिसे कूच बिहार रेलवे स्टेशन कहा जाता है। यह कोलकाता और अन्य प्रमुख शहरों से सीधी ट्रेन सेवाओं द्वारा जुड़ा हुआ है। स्टेशन से राजबाड़ी तक पहुंचने के लिए टैक्सी या ऑटो रिक्शा उपलब्ध हैं।
सड़क मार्ग से:कूच बिहार पश्चिम बंगाल के अन्य हिस्सों और आसपास के राज्यों से अच्छी सड़क संपर्क से जुड़ा हुआ है। बस सेवाएं, टैक्सी और निजी वाहन इस स्थान तक आसानी से पहुंचाने का माध्यम प्रदान करते हैं।

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कूच बिहार राजबाड़ी पर्यटकों और इतिहास प्रेमियों के लिए एक महत्वपूर्ण आकर्षण है, जो इसके वास्तुशिल्प सौंदर्य और ऐतिहासिक महत्व को देखने आते हैं। अगर आप भी इतिहास प्रेमी हो तो एक बार आपको यहां ज़रूर आना चाहिए।

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