इन प्रसिद्ध गुफाओं, तीर्थस्थलों और यूनेस्को धरोहरों के कारण बिहार का गया शहर दुनिया में प्रसिद्ध है!

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Photo of इन प्रसिद्ध गुफाओं, तीर्थस्थलों और यूनेस्को धरोहरों के कारण बिहार का गया शहर दुनिया में प्रसिद्ध है! by Nikhil Vidyarthi

इन प्रसिद्ध गुफाओं, तीर्थस्थलों और यूनेस्को स्थलों के कारण बिहार के गया दुनिया भर में जाना जाता है! देश के सबसे पुराने शहरों में से एक बिहार का गया शहर फल्गु नदी के तट पर स्थित है। यह गंगा के मैदान और छोटा नागपुर पठार पर स्थित है। यह बिहार राज्य का दूसरा सबसे बड़ा शहर होने के साथ-साथ एक लोकप्रिय तीर्थस्थल भी है। यह शहर इतिहास और संस्कृति से समृद्ध है। गया में भारत के सांस्कृतिक और धार्मिक अतीत से जुड़े कुछ उल्लेखनीय स्थल स्थित है। जो इसे एक अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल बनाता है। बिहार के गया शहर का जिक्र हिंदू महाकाव्य रामायण सहित कई पौराणिक कथाओं में मिलता है। माना जाता है कि यहीं पर भगवान राम, सीता और लक्ष्मण अपने पिता दशरथ के लिए पिंडदान करने आए थे। गया तीन ओर से पथरीली पहाड़ियों- मंगला-गौरी, श्रृंग-स्थान, राम-शिला और ब्रह्मयोनि से घिरा है। सैलानी यहाँ वर्षों से आश्चर्यजनक पर्यटन स्थलों का दौरा करते रहे हैं।

गया का नाम राक्षस राजा गयासुर के नाम पर रखा गया है। गायसुर भगवान विष्णु का परम अनुयायी था। लाखों लोग पिंडदान के लिए हर साल गया शहर आते हैं। गया में ही बोधगया स्थित है। जहाँ गौतम बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया था। यहाँ का महाबोधि मंदिर परिसर न सिर्फ बौद्धों के लिए सबसे पवित्र स्थान बल्कि यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल भी है। गया क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा 'मगही' है।

प्रमुख जगहें जो बनाती हैं बिहार के गया को दुनिया भर में मशहूर! | these famous caves, pilgrimage sites and UNESCO sites makes Gaya (Bihar) popular all over the world!

1. विष्णुपद मंदिर (Vishnupad Temple)

2. महाबोधि मंदिर (Mahabodhi Temple)

3. बराबर गुफाएँ (Barabar Caves)

4. विशालकाय बुद्ध प्रतिमा (The Great Buddha Statue)

5. द रॉयल भूटानिज मोनास्ट्री (The Royal Bhutanese Monastery)

6. पुरातत्व संग्रहालय (Archaeological Museum)

7. मंगला गौरी मंदिर (Mangla Gauri Temple)

8. मेट्टा बुद्धराम मंदिर (Metta Buddharam Temple)

9. इंडोसन निप्पॉन जापानी मंदिर (Indosan Nippon Japanese Temple)

विष्णुपद मंदिर

हर साल भगवान विष्णु के पदचिन्हों को देखने के लिए लाखों सैलानी विष्णुपद मंदिर आते हैं।

Photo of Vishnupad Temple, Gaya by Nikhil Vidyarthi

विष्णुपद मंदिर गया में स्थित एक महत्वपूर्ण हिंदू मंदिर है। यह मंदिर भगवान विष्णु के पवित्र पदचिह्न के लिए जाना जाता है। मोक्षदायिनी फल्गु नदी के तट पर स्थित इस मंदिर का उद्गम रहस्य में डूबा हुआ है। कई लोगों का मानना ​​है कि मंदिर के वर्तमान अष्टकोणीय आकार का श्रेय इंदौर की रानी अहिल्याबाई होल्कर को दिया जाता है। भगवान विष्णु के पदचिन्हों को देखने के लिए लाखों सैलानी यहाँ हर साल आते हैं। कहा जाता है कि भगवान विष्णु के यह पदचिन्ह तब बना था जब उन्होंने राक्षस गयासुर की छाती पर अपना पैर मारकर उसे जमीन के नीचे ज़मींदोज़ कर डाला था।

समय: सुबह 6 बजे से रात्रि 9 बजे तक

प्रवेश: निःशुल्क

महाबोधि मंदिर

बौद्ध परंपराओं में काफी महत्वपूर्ण महाबोधि मंदिर का वास्तुकला के विकास में प्रमुख रूप से प्रभाव रहा है।

Photo of Mahabodhi Temple, Bodh Gaya by Nikhil Vidyarthi

फल्गु नदी को निरंजना नदी भी भी कहा जाता है। इसके तट पर स्थित महाबोधि मंदिर बिहार में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों में से एक है। मंदिर का निर्माण राजा अशोक द्वारा किया गया था। यह अपनी स्थापत्य सुंदरता के लिए जाना जाता है। इसके परिसर में पवित्र बोधि वृक्ष लगाया गया था। जहाँ भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था। यहाँ पर विशालकाय अशोक स्तंभ भी है। यह बौद्ध मंदिर बोधगया मंदिर, महाबोधि महाविहार और महान स्तूप आदि नामों से भी जाना जाता है। बौद्ध परंपराओं में इस मंदिर का बहुत महत्व है। इसका सदियों से वास्तुकला के विकास में महत्वपूर्ण प्रभाव रहा है। गया आने वाले सभी लोग कम-से-कम एक बार इस मंदिर परिसर का भ्रमण जरूर करते हैं।

समय: सुबह 5 बजे से रात्रि करीब 8 बजे तक

प्रवेश: निःशुल्क

पुरातत्त्व संग्रहालय बोधगया

Photo of इन प्रसिद्ध गुफाओं, तीर्थस्थलों और यूनेस्को धरोहरों के कारण बिहार का गया शहर दुनिया में प्रसिद्ध है! by Nikhil Vidyarthi

बोधगया में महाबोधि मंदिर परिसर के ठीक सामने स्थित पुरातत्त्व संग्रहालय गया के समृद्ध इतिहास और संस्कृति की झलकी पेश करता है। इसका निर्माण वर्ष 1956 में किया गया था। इसमें दो गैलरी और एक खुला प्रांगण है। इसकी दीवारों के भीतर, संग्रहालय में गया में एकत्र की गई कलाकृतियों की एक श्रृंखला है, जैसे कि पाल काल की बौद्ध और ब्राह्मणवादी आस्थाओं की कांस्य और पत्थर की मूर्तियां, महाबोधि मंदिर की कलाकृतियाँ और मौर्य और गुप्त काल के अवशेष और मूर्तियाँ आदि देख कर इतिहास से रूबरू हुआ जा सकता है।

खुलने का समय: सुबह 10.00 बजे से शाम 5.00 बजे तक

बंद - शुक्रवार

प्रवेश शुल्क : रु. 10/- प्रति व्यक्ति (15 वर्ष तक के बच्चों का प्रवेश निःशुल्क)

बराबर गुफाएँ

बराबर गुफाएँ ग्रेनाइट चट्टान से बनाई गई हैं और वास्तुशिल्प और पुरातात्विक आश्चर्य हैं।

Photo of Barabar Caves, Sultanpur by Nikhil Vidyarthi

बराबर पहाड़ी गुफाएँ गया से लगभग 32 किमी दूर है। जो भारत की सबसे पुरानी जीवित चट्टानों को काटकर बनाई गई गुफाओं में से एक है। इसे मौर्य साम्राज्य के समय बनाया गया था। बराबर पहाड़ी की गुफाएँ असल में चार गुफाओं का एक समूह है। जिनमें करण चौपर, लोमस ऋषि, सुदामा और विश्वकर्मा पहाड़ियाँ हैं। माना जाता है कि इस पुरातात्विक स्थल का निर्माण सम्राट अशोक द्वारा एक तपस्वी संप्रदाय आजीवक के सदस्यों के लिए किया गया था। यह गुफाएँ ग्रेनाइट चट्टान से बनाई गई हैं और वास्तुशिल्प और पुरातात्विक आश्चर्य हैं।

द ग्रेट बुद्धा स्टेच्यू | विशाल बुद्ध प्रतिमा

गया में भगवान बुद्ध के 80 फीट के इस प्रतिमा की आधारशिला 1982 में रखी गई थी और 1989 में प्रतिष्ठित किया गया था।

Photo of The Great Buddha Statue, Bodh Gaya by Nikhil Vidyarthi

गया में स्थित भगवान बुद्ध की यह प्रतिमा एक तरह से यहाँ के प्रमुख अकर्षणों में से एक है। द ग्रेट बुद्ध प्रतिमा, बिहार के बोधगया में बौद्ध तीर्थयात्रा और पर्यटन स्थलों में काफी लोकप्रिय है। जब आप इस विशालकाय बुद्ध प्रतिमा को देखते हैं इसका नाम रखने का कारण आसानी से समझ आ जाता है। इस प्रतिमा की ऊँचाई 80 फीट है।माना जाता है कि यह भारत की सबसे बड़ी प्रतिमाओं में से एक है। यहाँ भगवान बुद्ध को कमल के फूल पर ध्यान करते हुए दिखाया गया है। यह मूर्ति बोधगया का प्रतीक है। इस प्रतिमा से जुड़ी जानकारी यह बताती है कि इसे बनाने में सात साल लगे। जिसमें लगभग 120,000 राजमिस्त्री लगे थे। यह विशाल प्रतिमा बलुआ पत्थर के ब्लॉक और लाल ग्रेनाइट से बना है। माना जाता है कि यह संभवतः भारत में निर्मित सबसे बड़ा मंदिर है। गया स्थित भगवान बुद्ध के इस प्रतिमा की आधारशिला 1982 में रखी गई थी और 18 नवंबर 1989 को 14वें दलाई लामा द्वारा प्रतिष्ठित किया गया था।

रॉयल भूटान मठ | रॉयल बौद्ध मठ और मंदिर

बौद्धगया के रॉयल भूटानी मठ में मिट्टी की नक्काशी द्वारा भगवान बुद्ध के जीवन को प्रदर्शित किया गया है।

Photo of The Royal Bhutanese Monastery, Bodh Gaya by Nikhil Vidyarthi

रॉयल भूटान मठ बिहार के बोधगया में स्थित एक प्रसिद्ध बौद्ध मठ और मंदिर है। मठ में मिट्टी की नक्काशी के द्वारा भगवान बुद्ध के जीवन को प्रदर्शित किया गया है। मंदिर में भगवान बुद्ध की 7 फीट ऊंची प्रतिमा भी है। जो दुनिया भर से लाखों बौद्ध अनुयायियों और पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। इस मठ का निर्माण भूटान के राजा ने भगवान बुद्ध को श्रद्धांजलि स्वरूप करवाया था। इस मठ की शानदार वास्तुकला और परिसर में शांति आने वाले यात्रियों को बहुत भाता है। बौद्ध धर्म के अनुयायी और यात्री मंदिर की कला और उल्लेखनीय वास्तुकला की सुंदरता का अनुभव करने के लिए इस मठ का दौरा करते हैं।

महाशक्तिपीठ गया | माँ मंगला गौरी मंदिर

15वीं शताब्दी में निर्मित महाशक्ति पीठ मंगला गौरी मंदिर देवी दुर्गा के महिषासुर मर्दिनी रूप को समर्पित है।

Photo of Maa Mangla Gauri Mandir, Gaya by Nikhil Vidyarthi

देवी सती की महाशक्तिपीठों में से एक पीठ गया में भी स्थित है। देवी सती की मंगला गौरी मंदिर मंगलागौरी पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। मंदिर का निर्माण 15वीं शताब्दी में किया गया था। मान्यता है कि यहाँ देवी के शरीर के अंगों का एक हिस्सा गिरा था। मंदिर परिसर में भगवान गणेश, मां काली, भगवान हनुमान और भगवान शिव के भी मंदिर हैं। यह हिंदू धर्म में एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। वायु पुराण, पद्म पुराण, मार्कंडेय पुराण आदि सहित कई प्रसिद्ध हिंदू ग्रन्थों में इस मंदिर का संदर्भ मिलता है। मंगला गौरी मंदिर अपने ऐतिहासिक महत्व के कारण गया के सबसे प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षणों में से एक है। गया का यह मंदिर देवी दुर्गा के महिषासुर मर्दिनी रूप को समर्पित है। नवरात्रि के दौरान मंदिर में हजारों और प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु आते हैं। वर्षा ऋतु में प्रत्येक मंगलवार को यहाँ विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। इस दिन महिलाएँ व्रत रखती हैं और अपने परिवार में समृद्धि लाने और उनके पतियों को सफलता और प्रसिद्धि के लिए आशीर्वाद माँगती हैं। इस पूजा में देवी मंगला गौरी को 16 प्रकार की चूड़ियाँ, सात प्रकार के फल और पाँच प्रकार की मिठाइयाँ अर्पित की जाती हैं।

मेट्टा बुद्धराम मंदिर

मेट्टा बुद्धराम मंदिर वास्तुकला का एक आश्चर्यजनक नमूना है। इसकी विशिष्ट वास्तुकला और भगवान बुद्ध की प्रतिमा की सुंदरता से लोग मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।

Photo of Metta Buddharam Temple, Bodh Gaya by Nikhil Vidyarthi

मेट्टा बुद्धराम मंदिर बिहार में एक खूबसूरत थाई शैली का मंदिर है। जहाँ थाई मंदिर शैली की वास्तुकला देखने को मिलती है। मंदिर के बाहरी भाग को दर्पण मोज़ाइक से सजाया गया है, जबकि आंतरिक भाग को हस्तनिर्मित मूर्तियों से सजाया गया है। इस मंदिर में मुख्य मंदिर का फर्श लकड़ी से बना है। मंदिर के नीचे संगमरमर के फर्श वाला ध्यान कक्ष है जो भक्तों को ध्यान के लिए एक आदर्श वातावरण प्रदान करता है। यह मंदिर महाबोधि मंदिर से लगभग 2 किमी दूर स्थित है। यह बोधगया में एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। यह मंदिर मेट्टा बुद्धराम मंदिर वास्तुकला का एक आश्चर्यजनक नमूना है। परिसर में चांदी के पगोडा में बुद्ध की एक विशाल सफेद प्रतिमा को स्थापित किया गया है। इसकी विशिष्ट वास्तुकला और भगवान बुद्ध की प्रतिमा की सुंदरता से लोग मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। शाम के समय मंदिर की रोशनी इसे अन्य मंदिरों से अलग पेश करती है।

इंडोसन निप्पॉन जापानी मंदिर

बोधगया का इंडोसन निप्पॉन जापानी मंदिर, बौद्ध धर्म और संस्कृति में दिलचस्पी रखने वाले लोगों को अवश्य जाना चाहिए।

Photo of Indosan Nipponji, Bodh Gaya by Nikhil Vidyarthi

गया में न सिर्फ भूटानी और थाई बल्कि एक जापानी मंदिर भी है। महान बुद्ध प्रतिमा से 500 मीटर की दूरी पर और बोधगया बस स्टेशन से 1 किमी की दूरी पर स्थित इंडोसन निप्पॉन जापानी मंदिर एक बौद्ध मंदिर है। जो बिहार के बोधगया में स्थित है। इसका निर्माण 1972 में अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध समुदाय द्वारा किया गया था। गया का यह मंदिर भारतीय और जापानी समुदाय के बीच अच्छे सम्बन्धों को दर्शाता है। मंदिर की वास्तुकला पारंपरिक जापानी मंदिरों से प्रेरित है और लकड़ी से बनाई गई है। इस खूबसूरत मंदिर में भगवान बुद्ध के जीवन को दर्शाने वाली जापानी पेंटिंग हैं। यह जापानी वास्तुकला और बौद्ध संस्कृति दोनों का एक अच्छा उदाहरण है। शहर के केंद्र से लगभग 15 किमी की दूरी पर स्थित, यह बोधगया के सबसे लोकप्रिय मंदिरों में से एक है। रॉयल भूटान मठ के बगल में स्थित, यह बोधगया के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है और बोधगया के दर्शनीय स्थलों में से एक है।यह मंदिर बौद्ध धर्म और भगवान बुद्ध की मान्यताओं को संरक्षित और प्रचारित करने के लिए बनाया गया था। इसकी दीवारों पर बुद्ध की शिक्षाओं के शिलालेख हैं। मंदिर की गैलरी में जापानी पेंटिंग हैं जो बुद्ध के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं को दर्शाती हैं। यह उन सभी लोगों के लिए अवश्य जाने वाली जगह है जो बौद्ध संस्कृति के बारे में अधिक जानना चाहते हैं।

गया घूमने का सबसे उपयुक्त समय

बिहार का दूसरा सबसे बड़ा शहर गया, बौद्धों धर्म का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। दुनिया भर के तीर्थयात्री साल भर यहाँ श्रद्धा अर्पित करने आते हैं। खासकर बुद्ध जयंती जैसे त्योहारों पर। गया घूमने जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च माना जाता है। क्योंकि उत्तर भारत में गर्मियों से सर्दियों तक मौसम में बदलाव का अनुभव होता है। इस दौरान औसत तापमान 28 डिग्री सेल्सियस तक अधिक और 4 डिग्री सेल्सियस तक कम हो जाता है।

कैसे पहुँचें गया?

हवाई जहाज से: गया अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा शहर का एकमात्र हवाई अड्डा है, जो शहर के केंद्र से लगभग 8 किमी दूर है।

ट्रेन से: गया जंक्शन स्टेशन गया का मुख्य रेलवे स्टेशन है और यह शहर के केंद्र से सिर्फ 1 किमी दूर है।

सड़क से: गया बिहार की राजधानी पटना से 98 किमी दूर है। राष्ट्रीय राजमार्ग-82 और NH-राष्ट्रीय राजमार्ग भी शहर से होकर गुजरते हैं।

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