जब भी विरासत और राजभवनों की बात आती है तो सबसे पहला नाम जो जेहन में आता है वो है राजस्थान।पर ऐसा नही है कि राजभवन बस राजस्थान में ही है।भारत की प्रथम राजधानी यानि पश्चिम बंगाल में प्राचीन काल से लेकर मध्य काल तक ऐसे कई ऐतिहासिक मंदिर, इमारत और महल का निर्माण हुआ, जो आज भी पूरे विश्व भर में प्रसिद्ध है।इन्ही में से एक भारत के राज्य पश्चिम बंगाल के कूचबिहार में स्थित "कूचबिहार पैलेस"जिसे राजबाड़ी और विक्टर जुबली पैलेस के नाम से भी जाना जाता है ।इस राजबाड़ी का निर्माण 1887 में महाराजा नृपेंद्र नारायण के शासनकाल में किया गया था।
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कहा जाता है इसका डिज़ाइन लंदन में स्थित बकिंघम पैलेस से प्रेरित है और पैलेस का मुख्य प्रवेश द्वार रोम में स्थित सेंट पीटर चर्च से मिलता जुलता है ।तो आइये आज हम आपको कुछ और रोचक तथ्य बताते है इस पैलेस के बारे में।
कूचबिहार पैलेस का इतिहास
प्रसिद्ध कूचबिहार पैलेस का निर्माण उस समय के राजा महाराजा नृपेंद्र नारायण ने साल 1887 में करवाया था। उस समय यह पैलेस तीन मंजिली थी।लेकिन 1897 में आये भूकंप में इस पैलेस को काफी नुकसान हुआ और यह पैलेस बस दो मंजिली तक सीमित कर दिया गया।साल 1887 के बाद महाराजा नृपेंद्र नारायण के बाद उनके बेटे राजेंद्र नारायण और जितेंद्र नारायण ने साल 1970 के आसपास तक इस महल पर राज किया ।जितेन्द्र नारायण के पुत्र जगदीपेंद्र नारायण कूच बिहार के अंतिम महाराजा थे जिन्होंने कूच बिहार पर 1970 तक मृत्यु हो जाने तक राज किया था।इसके बाद से इस पैलेस को भारतीय सर्वेक्षण विभाग ने अपने अधिकार में कर लिया। भारतीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा अपने अधिकार में लेने के बाद इसे पर्यटकों के लिए खोल दिया गया, जहां हर साल हजारों देशी और विदेशी सैलानी घूमने के लिए आते हैं।
कूचबिहार पैलेस की वास्तुकला
कहा जाता है कि इस पैलेस का निर्माण इतालवी वास्तुकला में किया गया है, जो एक भव्य भवन है। बलुआ पत्थर और संगमरमर से तैयार कूचबिहार पैलेस के कमरों की दीवारों और छत पर बेहद सुन्दर पेंटिंग से सजाया गया है।यह पूरा पैलेस 51,000 वर्ग फुट के क्षेत्र में फैला हुआ है जो लगभग 390 फीट लंबा और 296 फीट चौड़ा है। महल में 50 से भी अधिक कमरे हैं जिनमें बेडरूम, ड्रेसिंग रूम, बिलियन रूम, किचन, डाइनिंग हॉल, डांसिंग हॉल, लाइब्रेरी, तोशा खान, म्यूजियम और लेडीज रूम शामिल हैं।
पैलेस में लाइट एंड साउंड शो प्रोग्राम
पैलेस के अंदर पर्यटक को बढ़ावा देने के लिए और पर्यटकों के मनोरंजन के लिए पश्चिम बंगाल के पर्यटक विभाग द्वारा यहाँ शनिवार और रविवार को लाइट एंड साउंड शो प्रोग्राम का आयोजन किया जाता है। आप यहाँ शाम 6 बजे से लेकर 8 बजे के बीच कभी भी घूमने के लिए जा सकते हैं।
कूचबिहार पैलेस की टाइमिंग
अगर आप इस पैलेस में घूमना चाहते है तो यह पैलेस पर्यटकों के लिए सुबह 10.00 बजे से शाम 5.00 बजे तक खुला रहता है।साथ ही यहाँ के म्यूजियम की टाइमिंग सुबह 10.00 बजे से शाम 5.00 बजे तक है।किसी भी नेशनल हॉलिडे पर पैलेस का म्यूज़ियम बन्द रहता है।
पैलेस की एंट्री फीस
-10 रुपये प्रति व्यक्ति
-14 साल से नीचे के बच्चो के लिए कोई एंट्री फीस नहीं है।
कूचबिहार पैलेस घूमने जाने का सबसे अच्छा समय
वैसे तो आप साल भर में कभी भी यहाँ घूमने जा सकते है यहाँ का मौसम साल भर सुखद रहता है । परंतु अगर आप यहाँ जून-जुलाई के दौरान घूमने आते हैं, तो आप इस दौरान राजबाड़ी घूमने के साथ साथ रथ यात्रा, और रोज मेला में शामिल हो सकते हैं।जबकि यदि आप फरवरी और मार्च के दौरान आयेंगे तो हुजूर साहेब मेला में शामिल हो सकते हैं।
कुचबिहार के आस-पास के आकर्षण
पैलेस का अलावा भी आप यहाँ आस-पास बहुत से ऐसे पर्यटक स्थल है जहाँ आप घूम सकते है।अगर आप यहां घूमने के लिए जा रहे हैं, तो आप मदन मोहन मंदिर,बाणेश्वर शिव मंदिर,सागरडीह और स्वादिष्ट स्थानीय भोजन का भी लुत्फ़ उठा सकते हैं।
कैसे पहुँचे कूचबिहार
फ्लाइट से
कूचबिहार के लिए कोई सीधी फ्लाइट नहीं है।इसीलिए अगर आप फ्लाइट से कूचबिहार जाना चाहते हैं तो उसके लिए आपको बागडोगरा हवाई अड्डा सिलीगुड़ी के लिए फ्लाइट लेनी होगी।सिलीगुड़ी एयरपोर्ट कूचबिहार का सबसे निकटतम एयरपोर्ट है।यहाँ से आप बस या टैक्सी के जरिये कूच बिहार पहुँच सकते है।
ट्रेन से
ट्रेन से कूच बिहार पहुँचने के लिए यहाँ कूच बिहार रेलवे स्टेशन मौजूद है। यह रेलवे स्टेशन पश्चिम बंगाल सहित भारत के कई अन्य प्रमुख शहरों से नियमित ट्रेनों के माध्यम से जुड़ा हुआ है, इसीलिए आप देश के किसी भी प्रमुख शहर से कूचबिहार के लिए ट्रेन ले सकते हैं।
सड़क मार्ग
कूचबिहार आसपास के शहरों से सड़क मार्ग द्वारा बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है इसीलिए देश के किसी भी शहर से कूचबिहार की यात्रा करना काफी आसान है।
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