गांधी आश्रम
साबरमती आश्रम: यू तो कह ले भारतीयता, सादगी और सुरमय वातावरण।
भारत के राष्ट्रपिता के द्वारा स्थापित एक कुटिया, ठीक साबरमती से तट पर, जैसा कि वैदिक काल का आश्रम।
गांधी जी ने इसकी स्थापना 1917 में साउथ अफ्रीका से लौटने के बाद किया था, नाम पड़ा सत्याग्रह आश्रम पर कुछ समय बाद इसका नाम बदल कर साबरमती आश्रम कर दिया गया।
आश्रम के एक तरफ सेंट्रल जेल है तो दूसरी तरफ शमशान, परन्तु यहा की शान्त वातावरण देखकर आप दंग रह जाएंगे। आपको यह आध्यात्मिक दुनिया से रूबरू कराती है जैसे गांधी।
यह बापू में अपने जीवन के 12 साल कस्तूरबा गांधी और अपने सत्याग्रहियों के साथ व्यतीत किये।
◆ आश्रम के कुछ स्थान:
★ हिर्दय कुंज : यह आश्रम जहाँ गांधी जी रहा करते थे। यह चार कमड़े बने है एक रसोई , एक कस्तूरबा गांधी जी का और एक गांधी जी का रूम है और एक मेहमानखाना ।
★ नंदिनी अतिथिघर : ये आश्रम से बगल में बना हुआ गेस्ट हाउस है। यहां सत्याग्रह से संबंधित लोग ठहरते थे। नेहरू, राजेन्द प्रसाद और रविंद्र नाथ टैगोर।
★ प्रार्थना भूमि: आश्रम से आगे की जगह जहां आश्रमवासी सुबह की शुरुआत प्रार्थना से करते थे।
★ विनोबा/ मीरा कुटीर: यह आश्रम विनोबा भावे को समर्पित है। यहाँ विनोबा भावे ने अपना कुछ समय व्यतीत किये थे।
★ उद्योग मंदिर: यह गांधी जी अपने शिष्यों और अनुयायियों के साथ चरखा चलाते थे और खादी वस्त्र बनाने की शिक्षा देते थे।
जामा मस्जिद : यह मस्जिद 1424 में सुल्तान अहमद शाह ने निजी इस्तेमाल के लिए तैयार किया था। येपीले बलुआ पत्थर से बनी एक मुगलकालीन इमारत है। इसके आगे का भाग को संगमरमर से बनाया हुआ है।
मस्जिद के नवाज़ हॉल में 15 गुम्बद के सपोर्ट में 260 पिलर लगे है जो इसको चार चांद लगता है।
मस्जिद की दीवारों पर जैन और हिन्दू नक्काशीदार से नवाज़ा गया है।
मस्जिद के पश्चिमी भाग में अहमद शाह, और उनकी खानदानों की कब्र बनी है। यहाँ महिलाओं के प्रवेश की अनुमति नहीं है।
तीन दरवाज़ा: यह सुल्तान अहमद शाह के महल जाने का मुख्य द्वार है। इसमें तीन गेट बने हुए है कहा जाता है कि ब्रिटिश ने अपना पहला आक्रमण यही किया था। तीन दरवाज़े के पास एक कुआँ है जिनका इस्तेमाल दुश्मन का संदेश पहुचाने के लिए किया जाता था।