भानगढ़ एक सच्चाई

Tripoto
11th Mar 2020
Day 1

आपने भानगढ़ में कई कहानियां सुनी होंगी और कही न कही ये कुलबुलाहट होगी कि ऐसा क्या भानगढ़ में जो लोगोँ को अपनी और रहस्यमयी ढंग से आकर्षित करता है कही और अनसुनी बातों पर तो में भी विश्वास नही करता लेकिन जो हमारे साथ घटित हुआ वो बास्तव में बहुत है डरावना था
में रवि अपने पांच दोस्तो को लेकर भानगढ़ ट्रिप पर निकल पड़े
अलवर से दोपहर को करीब 2 बजे निकल लिए खाना नही खाया था तो सोचा कुशालगढ़ में कढ़ी कचोड़ी का मजा लिया जाए सभी भुक्कड़ों ने 4-4 कचौड़िया निपटा कर हाथ बाइक की हैंडल पर रख लिए ओर चल दिये थानागाजी की तरफ (भानगढ़ के रास्ते मे ये सभी जगह आएंगे जो ट्रिप में बताये जा रहे है)
उत्सुकता और डर का बहुत अच्छा कॉम्बिनेशन है भानगढ़ ट्रिप
चुकी में खुद भानगढ़ पहले बहुत बार जा चुका हूं लेकिन लड़कों की जिद पर गाइड। बनकर जाना ग्रुप में अलग ही नंबर बनाता है
थानागाजी पहुच कर हम लोगों ने कुल्लहड़ वाली चाय का मजा लिया 5 मिनट का ब्रेक लेकर हम लोग सीधे अजबगढ़ पहुचे बीच मे सरिस्का का जंगल भी देखने को मिला जिनके साथ हम फ़ोटो खिंचा सकते थे😄 वो वन्य जीव रास्ते के बीच मे आ रखे थे तो लड़को ने बिल्कुल मौका नही जाने दिया
अजबगढ़ किला देखकर हम सीधे गोला का बास पहुचे भानगढ़ किला इसी गांव में है
किले के अंदर जाने से पहले हमने गांव से कुछ स्नैक्स ले लिए

लड़कों की उठापटक के चलते हम भनागढ किला पहुचे
सबसे पहले हमने स्वागत द्वार पर हनुमान जी को नमन किया
भानगढ़ किले के प्रवेश द्वार पर एकचीज़ ये भी है कि दो काले कुत्ते जो कभी किले में अंदर नही घुसते पहरा देते हुए मिल जाते है और शाम होते ही ये ढूंढने से नही मिलते ये बात मैने हमेशा गौर की ।
अंतत हमने किले के अंदर एंट्री ली सब कुछ फूटा और खण्डर से था
गौर करने की बात तो ये भी है कि रत्नावती रानी के मंदिर को छोड़कर किसी भी इमारत पर छत नही थी कही टूटी थी तो कही थी ही नही। सीढ़ियों से हम किले के ऊपर पहुचे यहा से हमे छतरी(तन्त्र करने की जगह) सीधी दिख रही थी वो थोड़े ऊंचे स्थान पर थी वहां हमने न जाने का निश्चित किया रास्ता भी कठिन था और कुछ लड़के फट्टू भी निकले😉
हमने किले के ऊपर एक जगह बैठकर स्नैक्स खोल लिए और हसी मजाक के साथ स्नैक्स का मजा ले है रहे थे कि हम लोगो मे से एक लड़का गौरव कोल्डड्रिंक पीते पीते सीधा खड़ा हो गया।
एकदम से खड़ा होने पर सभी आवक रह गए कोल्ड्रिंक पीते पीते वो एक दीवार से दूसरी दीवार ऐसे लांघ रहा था मानो उसको डरने का कोई भय ही नही है दीवारों से पहली मंजिल तक ठीकठाक  गहराई थी डरने वाली बात यही थी कि वो बिना इधर उधर देखे हुए सीधे हमारे तरफ देखते हुए दीवारे लांघ रहा था सभी डर गए आस पास लोग भी नही थे क्योंकि शाम भी खूब हो गयी थी
मंदिर से सिटी की आवाज बार बार आ रही थी हमारे बुलाने पर भी मोहित 😈 नही आ रहा था
हमने उसको बड़ी मुश्किल से पकड़ा में और मेरे एक साथी ने उसे बड़ी मुश्किल से पकड़ा
पकड़ते है उसका शरीर बड़ी जोरों से वाइब्रेट होने लगा और जैसे ही हमने उसके चेहरे की तरफ देखा हमारे रोंगटे खड़े हो गए
मोहित😈 की आंखों के अंदर के काले घेरे बिल्कुल किनारे पर आ गए उस दिन हमे नानी की दादी तक याद आ गयी
हम उसे छोड़कर नही भाग सकते थे हमने बिना कुछ सोचे ओर उसकी तरफ न देखते हुते नीचे आये किले से नीचे मन्दिर तक आने में हमे पूरा आधा घंटा लगा 2 लड़के तो कबके भाग भी चुके थे हम तीन लड़को ने मोर्चा संभाल रखा था रास्ते मे मोहित का रुख चाल ढाल बात करने का सलिखा बिल्कुल अलग था स्तिथि नियंत्रण में थी तभी हम मोहित को मंदिर तक ला पाए नही तो ऐसी कितनी ही घटनाये भानगढ़ किले में हो गयी है कि लोगोँ का पता तक नही चलता कि अभी वो कहा है इस घटना से कुछ 40-42 दिन पहले हमारे कॉलेज का एक लड़का उसके बर्थडे वाले दिन भनागढ किले के सूखे कुए में उल्टा गढ़ा हुआ मिला था ।
खेर हमने उसे मंदिर में ला खड़ा किया और पुजारी को देखते ही मोहित बेहोश हो गया।
कुछ देर बाद पुजारी के पानी डालने पर वो बिल्कुल नार्मल हो गया ऑर हम लोग अलवर के लिए अपने डरे हुए मुह लेकर चल दिये।
मोहित हम लोगो से आजतक पूछता है कि उस दिन क्या हुआ लेकिन उस मोहित को सोचकर भी आज थोड़ा सा डर लग जाता है
तो दोस्तो ऐसी रही हमारी भानगढ़ ट्रिप।