क्या भानगढ़ किला एशिया का सबसे भूतिया किला है?

Tripoto
11th Nov 2019
Photo of क्या भानगढ़ किला एशिया का सबसे भूतिया किला है? by PANKAJ KUMAR

भानगढ़ का किला भारत में सबसे प्रेतवाधित स्थान के रूप में जाना जाता है, और शायद सबसे बड़ा अनसुलझा रहस्य है। इस तथ्य पर कोई संदेह नहीं है कि अलौकिक से जुड़ी कोई भी चीज़ बहुत अधिक ध्यान आकर्षित करती है और भानगढ़ शहर के निर्जन शहर को उसी विचार पर आकर्षित करती है। भानगढ़ किले की कई प्रेतवाधित कहानियों ने इसे महत्वपूर्ण स्थलों में बदल दिया है।

भानगढ़ किले का मुख्य द्वार । चित्र का श्रेय Shubhangi .c

Photo of Bhangarh Fort, Bhangarh, Rajasthan, India by PANKAJ KUMAR

भानगढ़ किला । चित्र का श्रेय Shubhangi .c

Photo of Bhangarh Fort, Bhangarh, Rajasthan, India by PANKAJ KUMAR

भानगढ़ की कहानी शुरू करते हैं:

ज्यादातर लोगों की यह धारणा है कि भानगढ़ का किला भूतहा है और ऐसे किस्सों की कमी नहीं है जो भानगढ़ के रहस्य को बढ़ाने में मदद करते हैं। सूर्यास्त के बाद किले में उद्यम करना बहादुरी के कार्य से कम नहीं है क्योंकि यह अपसामान्य गतिविधि का केंद्र माना जाता है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने लोगों को रात में भानगढ़ किले में जाने से रोक लगई है।

भानगढ़ की कई कहानियाँ हैं।

पहली कहानी : योगी बालूनाथ के श्राप की कहानी

पहली कहानी के अनुसार जहाँ भानगढ़ किले का निर्माण करवाया गया, वह स्थान योगी बालूनाथ का तपस्थल था। उसने इस वचन के साथ महाराजा भगवंतदास को भानगढ़ किले के निर्माण की अनुमति दी थी कि किले की परछाई किसी भी कीमत पर उसके तपस्थल पर नहीं पड़नी चाहिए।

महाराजा भगवंतदास ने तो अपने वचन का मान रखा, किंतु उसके वंशज माधोसिंह इस वचन की अवहेलना करते हुए किले की ऊपरी मंज़िलों का निर्माण करवाने लगे। ऊपरी मंज़िलों के निर्माण के कारण योगी बालूनाथ के तपस्थल पर भानगढ़ किले की परछाई पड़ गई।

ऐसा होने पर योगी बालूनाथ ने क्रोधित होकर श्राप दे दिया कि यह किला आबाद नहीं रहेगा। उनके श्राप के प्रभाव में किला ध्वस्त हो गया।

नष्ट किले का दृश्य 1

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नष्ट किले का दृश्य 2

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दूसरी कहानी : राजकुमारी रत्नावति और तांत्रिक सिंधु सेवड़ा की कहानी

इस कहानी के अनुसार भानगढ़ की राजकुमारी रत्नावति बहुत रूपवति थी। उसके रूप की चर्चा पूरे भानगढ़ में थी और कई राजकुमार उससे विवाह करने के इच्छुक थे।

उसी राज्य में सिंधु सेवड़ा नामक एक तांत्रिक रहता था। वह काले जादू में पारंगत था। राजकुमारी रत्नावति को देखकर वह उस पर आसक्त हो गया। वह किसी भी सूरत में राजकुमारी को हासिल करना चाहता था।

एक दिन राजकुमारी रत्नावति की दासी बाज़ार में उनके लिए श्रृंगार का तेल लेने गई।तब तांत्रिक सिंधु सेवड़ा ने तांत्रिक शक्तियों से उस तेल पर वशीकरण मंत्र प्रयोग कर रत्नावति के पास भिजवाया। उसकी योजना थी कि वशीकरण के प्रभाव से राजकुमारी रत्नावति उसकी ओर खिंची चली आयेंगी।

लेकिन राजकुमारी रत्नावति तांत्रिक का छल समझ गई और उसने वह तेल एक चट्टान पर गिरा दिया। तंत्र विद्या के प्रभाव में वह चट्टान तीव्र गति से तांत्रिक सिंधु सेवड़ा की ओर जाने लगी।जब तांत्रिक ने चट्टान से अपनी मौत निश्चित देखी, तो उसने श्राप दिया कि भानगढ़ बर्बाद हो जायेगा। वहाँ के निवासियों की शीघ्र मौत हो जायेगी और उनकी आत्माएं सदा भानगढ़ में भटकती रहेंगी. वह चट्टान के नीचे दबकर मर गया।

इस घटना के कुछ दिनों बाद ही भानगढ़ और अजबगढ़ में युद्ध हुआ और उस युद्ध में भानगढ़ की हार हुई। युद्ध उपरांत पूरा भानगढ़ तबाह हो गया. वहाँ के रहवासी मर गए, राजकुमारी रत्नावति भी बच न सकी. उसके बाद भानगढ़ कभी न बस सका।

आज यह किला जीर्ण-शीर्ण स्थिति में उजाड़ पड़ा हुआ है। लोगों की माने तो यहाँ से रात में किसी के रोने और चिल्लाने की तेज आवाजें आते हैं। कई बार यहाँ एक साये को भी भटकते हुए देखने की बात कही गई है।

इन बातों में कितनी सच्चाई है, ये कोई नहीं जानता. लेकिन पुरातत्व शास्त्रियों ने भी खोज-बीन के बाद इस किले को असामान्य बताया है।

कुछ लोगों ने एक अदृश्य इकाई द्वारा पीछा किए जाने और यहां तक ​​कि थप्पड़ मारने की अजीब सनसनी महसूस की है। यह माना जाता है कि यदि कोई व्यक्ति सूर्यास्त के बाद किले में प्रवेश करता है, तो वह कभी भी इससे बाहर नहीं आएगा। इसलिए दरवाजे हमेशा शाम को बंद कर दिए जाते हैं और रात में भानगढ़ किले में प्रवेश करना बिल्कुल मना है।क्या सभी भानगढ़ किले की कहानियां तथ्यात्मक या सिर्फ अजीबोगरीब हैं? क्या सच में भानगढ़ किला भूतिया है?कोई नहीं कह सकता।

भानगढ़ में कई दर्शनीय स्थल हैं, जिनमें मंदिर प्रमुख है. यहाँ स्थित मंदिरों की दीवारों और खंभों की नक्काशी बेहतरीन है, जो इन्हें भव्य बनाती है।

किले में स्थित प्रमुख मंदिर –

भगवान सोमेश्वर का मंदिर

गोपीनाथ का मंदिर

मंगला देवी का मंदिर

केशव राय का मंदिर

मंदिर दृश्य 1

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मंदिर दृश्य 2

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बावड़ी दृश्य 1

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पूरा भानगढ़ खंडहर में तब्दील हो चुका है।लेकिन यहाँ के मंदिर सही-सलामत हैं। हालांकि मंदिरों में सोमेश्वर महादेव के मंदिर में स्थापित शिवलिंग को छोड़कर किसी भी मंदिर में मूर्तियाँ नहीं हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर में केवल तांत्रिक सिंधु सेवड़ा के वंशज की पूजा करते है।

दर्शनीय स्थल में सोमेश्वर महादेव के समीप स्थित बावड़ी भी है, जहाँ गाँव के लोग स्नान करते हैं। इसके अतिरिक्त ध्वस्त किले के अवशेष हैं।

कैसे पहुँचे भानगढ़ (How To reach Bhangarh Fort)

भानगढ़ का किला जयपुर-दिल्ली मार्ग (Jaipur-Delhi Route) में स्थित है।

1. हवाई मार्ग (By Air ) – यदि हवाई मार्ग की बात की जाये, तो nearest airport जयपुर का सांगानेर एयरपोर्ट (Sanganer Airport) है, जहाँ से भानगढ़ की दूरी 56 कि.मी. है. एयरपोर्ट से भानगढ़ के लिए बस या कैब ली जा सकती है।

2. रेल मार्ग (By Train) – ट्रेन से यात्रा करनी हो, तो nearest Railway Station भानगढ़ से 22 कि.मी. की दूरी पर स्थित Dausa Railway Station है. रेलवे स्टेशन से भानगढ़ के लिए बस या कैब ली जा सकती है।

3. सड़क मार्ग (By Road) – भानगढ़ राजस्थान के सभी प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा है और वहाँ पहुँचने लिए टैक्सी या पब्लिक ट्रांसपोर्ट बस का उपयोग किया जा सकता है.

भानगढ़ किले का समय:

भानगढ़ का किला सभी दिनों में सुबह 6 से शाम 6 बजे तक खुला रहता है।

भानगढ़ किले की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय है:

किला घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से फरवरी के बीच होता है जब मौसम सुहाना होता है।

प्रवेश शुल्क:नि: शुल्क।

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