पहले दिन हम सिक्किम की राजधानी गंगटोक में पहुचे, सिलीगुड़ी होते हुए । हमने हमारी यात्रा की शुरुआत कोलकाता से की, हहम गंगटोक करीब 5 बजे शुभह पहुच चुके थे, इस यात्रा में मेरे साथ मेरी पत्नी थी। वैसे तो पहले हम सिक्किम की यात्रा कर चुके थे पर इस बार कुछ अलग ही छटा देखने मिली हमे , जिसे हम जिंदगी भर नही भुला सकते। मैं हमेशा से ही पहाड़ों के दीवाना रहा हूं, मैन इससे पहले भी बहुत सारी यात्राएँ की है पर इस बार का अनुभव को मैं मेरे शब्दों में बयान नही कर सकता।
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हमने दिन की शुरुआत M G रोड से की , हमारा होटल आस पास ही था तो दिन भर हमने गंगटोक की लोकल जगह को घुमा। जैसे के गंगटोक रोपवे जहाँ से आप पूरे गंगटोक का नज़ारा देख सकते है। दिन भर घूमने के बाद शाम में गंगटोक से है हमने एक टूर ओपरेटर को सम्पर्क किया जो कि हमे उत्तरी सिक्किम के लिए बहुत ही कम बजट में मिला।
मैं और मेरे बीवी दोनो के मिल कर इस ट्रिप के लिए साझा वाहन का उपयोग किया। पहले तो हम बहुत ही डर रहे थे पर जो मज़ा आया उसे बयान करना बड़ा कठिन है। इस ट्रिप में हमे बर्फबारी, बर्फ के चादर से भरे पेड़ पौधें पहाड़ हर तरह का आनंद मिला।
हमने दो रात और तीन दिन हेतु ट्रिप बुक किया। जिसमें रहने खाने और साइड सीन की पूरी जिम्मेबारी हमारे टूर ऑपरेटर की थी।
दुसरे दिन सुबह सुबह हम निकल पड़े बाजरा स्टैंड की तरफ जहां से हमारी गाड़ी पहले ही बुक थी , हमारी यात्रा पहले दिन ही लाचेन तक थी जहाँ पर हमें रात में रुकनी थी। रास्ते मे हमने ढेर सारी मस्ती की और बहुत सारे व्यू पॉइंट्स देखते हुए शाम 7 बजे लाचेन पहुचे ।
इस साझा यात्रा को ले के हमारे मन मे बहुत सारे धारणाये थी कि कैसा रहेगा कौन रहेगा क्या रहेगा, क्योंकि हमें 1 गाड़ी 10 लोगों के साथ साझा करनी थी। आखिर में हम 4 जोड़े लोग हो गए जो अपनी अपनी पत्नियों के साथ यात्रा कर थे और साथ मे 1 अकेला फोटोग्रफर बंदा भी। सारे लोग हम ऐसे घुल मिल गए जैसे सब बरसों से एक दूसरे को जानते हो , हमारे साथ जो लोग थे सारे घुम्मकड़ी कीड़े थे तो आपस मे बहुत जल्दी घुल मिल गए।
तिसरे दिन हमे गुरुडोंगमार लेक की यात्रा करनी थी तो हमे सुबह जल्दी निकलना था क्योंकि यात्रा बहुत लंबी और कठिन होने वाली थी। हम सुबह सुबह 5 बजे ही तैयार हो के निकल गए हमारे होटल से, रास्ते मे नास्ता करते हुए 9 बजे तक हमलोग 18000 फ़ीट ऊपर पहुच गए।इतना अच्छा और खूबसूरत नजारा शायद ही मैंने अपनी जिंदगी में देखा था, मै तो कुदरत की इस खूबसूरती की देख के मंत्रमुग्ध हो गया।
उस समय गुरुडोंगमार का तापमान -8 था। हम वहाँ आधे घंटे रुके फ़ोटो खींचे फिर वापस आर्मी कैंटीन में आ के नास्ता और पहाड़ों वाली मैगी वर्ल्डस हाईएस्ट कैफ़े में कई।
रास्ते में आते वक्त हमे थांगऊ वैली में बर्फ वारी द्वखने मिली।मौसम ने अचानक से करवट लो और सब नज़ारे जैसे बदल से गये।
हम वहां से वापस हम लाचेन होते हुए लाचुंग शाम तक पहुच गए।
रात में हमने सब साथ मिल टूर ओपरेटर को बोल के बॉर्नफायर का इंतजाम किया और उसका आनंद लिया जो के एक अदभुत अनुभव था।
चौथे दिन हम सुबह 6 बजे निकल पड़े हमारे होटल से युमथांग वैली और जीरो पॉइंट की और । हमने जैसे ही चढ़ाई की शुरुआत की लगा कि जैसे हम स्वर्ग आ गए है। हर तरफ ऊंचे ऊंचे पेड़ बर्फ से लिपटी हुई जैसे मानो किस ने chrimas ट्री पर रुई रख दी हो।
ऐसा लग रहा मैं स्वर्ग में हू। हम युमथांग में बर्फ वाले जूते कुछ कपड़े और ठंड के जरूरी सामान ले के जीरो पॉइंट की और बढ़ चले। जैसे जैसे हम ऊपर जा रहे थे पहाड़ो की सफेदी जैसे और बढ़ती चली जा रही थी और मानो पूरी घाटी अपने मे ही कुछ कह रही हो।
हमने वह ढेर सारी बर्फ में खूब सारी मस्ती की और मैग्गी खाई । फिर वापस अपने गंतव्य स्थान गंगटोक के लिए रवाना हो गए। रात में 8 बजे तक हम गंगटोक पहुचे और अपने यात्रा के साथियों को अलविदा कहा।
उनके साथ बिताया हुआ वो सारे पल वो खूबसूरत वादियों जो मेरे जहन में हमेशा के लिए कैद है उन्हें भूल जाना कभी मेरे लिए संभव नही है।
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