पंच केदार भगवान रुद्रनाथ की यात्रा

Tripoto

तृतीय केदार रुद्रनाथ

यात्रा व्रतान्त.....

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तय प्रोग्राम के अनुसार हम तीन मित्रों ने सुबह 6 बजे श्रीनगर से अपनी यात्रा प्रारंभ की और 10 बजे हम सगर पहुँच गये.. सगर में मैगी बिस्किट ग्लूकोज़ और घर से कुछ ड्राई फ्रूट्स के सहारे हम ठीक 10.30 पर रुद्रनाथ की पैदल यात्रा पर निकल पड़े..अपने स्टैमिना पर भरोसा करते हुए लेकिन बमुश्किल 2कि.मी. के बाद ही फेफड़ों की सारी हवा फुर्र होने लगी।

2कि. मी. पर चंद्राकोटी है जहाँ पर जूस चाय और भोजन मिलता है वहां से स्थानीय लिंगड़े की सब्जी पैक करवाई और आगे बढ़ गए थोड़ी चढाई लगभग 2 की.मी. तय की तो सामने खूबसूरत सा छोटा पुंग बुग्याल देखकर दिल सुकून से भर गया. यहाँ पर नाश्ता करने के साथ प्रकृति का आनंद लिया लगभग एक घंटे के विश्राम के पश्चात् आगे निकल पड़े बाँझ देवदार के पेड़ों के साथ सफर बहुत अच्छा शुरू हुआ लेकिन इनका साथ छूटते ही एकदम खड़ी चढाई शुरू हो गई धीरे धीरे रुकते थकते 4 कि. मी. 

चढ़ने के बाद एक छोटा सा ढाबा है जगह थी मोली खरग यहाँ मैगी से थोड़ा भूख शांत की और स्वागत किया रिमझिम बारिश की फुहारों ने 2.30 के लगभग का समय हमने हल्की फुहारों के साथ सफर फिर शुरू किया तो 2 क़िमी पर लवीटी बुग्याल में रुकने ठहरने की बात की तो साथी लोग पनार बुग्याल तक जाने की बात पर सहमत हुए हालाँकि यहाँ पर भी 20 लोगों की रुकने की उचित ब्यवस्था है लेकिन पनार के सौंदर्य ने आगे बढ़ने को प्रेरित किया और हम चल पड़े पनार की और शाम को लगभग 7.30 पर हम पनार बुग्याल पहुँच ही गए वहां पहुँचते ही जबरदस्त बर्फीली हवाओं ने स्वागत किया यहाँ पर भंडारी ढाबा है जहाँ पहले से ही लगभग 20 लोग रात्रि विश्राम के लिए रुके थे हमने भी यहीं रुकने का निश्चय किया यहाँ पर 300 रूपये में रात्रि विश्राम के साथ डिनर की ब्यवस्था है एक आदमी के लिये... रात में भोजन के बाद वन्यजीव खूब आमद में आसपास टहलते हुए मिल जाते हैं.

सुबह उठे तो बाहर का नजारा देख कर अभिभूत हो गए चारों तरफ बिखरी हरियाली और सामने श्वेत वर्ण हिमाच्छादित पर्वत श्रृंखला.......खूबसूरती ऐसी की शब्दों से परे....सुबह 7 बजे यहाँ से आगे की यात्रा प्रारंभ की सबने कहा अब तो सीधा रास्ता है पित्रधार तक लगभग 2.5 किमी. हम लोग 10 बजे पित्रधार पहुंचे तो वहां का नजारा भी आलौकिक यहाँ पर भी रुकने की अच्छी ब्यवस्था जुटाई है यहाँ पर चाय और मैगी के साथ थोड़ा विश्राम किया और 11 बजे हम आगे बढ़ गए 2किमी के उपरांत खूब फैला हुआ एक और बुग्याल दिखायी दिया ये है रमणीक पंचगंगा बुग्याल रुकने ठहटने की बढ़िया व्यवस्था यहाँ से आगे बढ़े तो फिर थोड़ी ढलान और समतल रास्ते में चलते चलते 3-4क़िमी के बाद आखिर हम बाबा के द्वार रुद्रनाथ ठीक 1.30 पर पहुँच गए।वातावरण ऐसा दिव्य की आज यहीं रुकने का निश्चय किया शाम की शयन आरती जो 7.15 पर प्रारम्भ हुई उसमे शामिल हुए यहाँ बाबा का पूरा चेहरा दिखता है .

मंदिर परिसर से बाहर निकले तो मौसम एकदम दिसम्बर वाला बारिश और कंपा देने वाली ठण्ड....यहाँ पर पुष्पेन्द्र का ढाबा है बढ़िया खाना और रुकने की अच्छी व्यवस्था है लगातार बारिश के कारण हम काफी देर तक उसके चूल्हे के पास ही आसान जमाये बैठे रहे उसकी मदद भी की खाना बनाने में रात लगभग 10 बजे हम लोग रजाई की शरण में आ बैठे थकान और सुकून दोनों की मिश्रित अनुभूति में लेटते हुए कब आँख लगी पता नही चला... अगले दिन प्रातः 7 बजे हम बाबा को स्मृतियों में संजोकर बाबा के दर से अपने अपने गंतव्य को वापस लौट आये इस बार हमने पंचगंगा से अनुसूया माता वाला 14-15 किमी (अनुसूया माता तक)का ट्रेक लिया जो कि मंडल मिलता है लेकिन है ठीक 90 डिग्री की ढलान का और घने जंगल से होकर गुजरना भी अलग अनुभूति देता है शाम 7 बजे हम थके हारे मंडल पहुंचे सभी मित्रों की आँखों में विजेता वाली चमक और चाल में जो लचक थी वो बयां करना मुश्किल है।।जय बाबा रुद्रनाथ जो आपने बुलावा भेजा.....

निवेदन.....

यात्री साथ में कपड़ों के अलावा कपूर भी साथ लेते चलें वहां ऑक्सीजन की मात्रा काफी कम है तो बेहतर है साथ में आवश्यक चीजें जरूर ले जाएं मार्ग में कोई भी कचरा न फैलाएं और लोगों को भी धाम और पहाड़ों की पवित्रता को बनाये रखने हेतु अवश्य समझाए।शुभ यात्रा मंगलमय यात्रा...(16 जून 2019 से 18 जून 2019 तक की रुद्रनाथ यात्रा पर आधारित)

Photo of पंच केदार भगवान रुद्रनाथ की यात्रा by Yogendra
Photo of पंच केदार भगवान रुद्रनाथ की यात्रा by Yogendra
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