जयपुर की सैर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है नाहरगढ़ किला। एक ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ यह भव्य दुर्ग वैसे तो जयपुर की रखवाली के लिए बनाया गया था लेकिन आजकल पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। आमेर से करीब १२ किलोमीटर दूर स्थित इस दुर्ग का रास्ता जंगलों से होकर गुजरता है, और जब रास्ते ही इतने मनमोहक हो तो मंज़िल का इंतजार किसे नहीं होगा।
किले के बाहर एक museum भी है जिसमें बड़ी हस्तियों के मोम के पुतले बनाए गए हैं। समय के अभाव के कारण मैं तो नहीं जा सकी पर आप अगर समय निकाल पाए तो घूम आईएगा, एंट्री फीस थोड़ी ज्यादा है ५०० रुपए और ५ बजे के पहले जाइए क्योंकी इसके बाद museum बंद हो जाता है।
महल के बाहर एक सुंदर stepwell है। राजस्थान में पानी का अभाव होने की वजह से ऐसे सीढ़ियों वाले कुएं अक्सर देखने को मिल जाएंगे, पन्ना मीना का कुंड भी ऐसा ही एक मशहूर stepwell है। महल के बाहर एक बड़ा इमली का पेड़ भी है जिसके नीचे थोड़ी देर सुस्ताया जा सकता है।
वैसे तो ये महल खुद में ही एक बेहतरीन कला है लेकिन इसके अंदर हर एक कमरे में मशहूर कारीगरों की कलाकृतियां सजाई गई हैं। महल की दीवारें और ceilings बेहद खूबसूरत पेंटिग्स से ढकी हुई हैं। इन सबके बावजूद इस किले की सबसे दिलकश चीज है इसकी छत। किले की छत गुंबदों और नक्काशी से भरी हुई indo-wester architecture का जबरदस्त उदाहरण है। और किले से दिखने वाला धुंध में लिपटा राजस्थान की तरक्की का प्रमाण देता हमारा जयपुर शहर, इतिहास और वर्तमान का मिलन देखने का इससे अच्छा मौका शायद ही मिले।
तो देर किस बात की, बस्ता बांधिए और निकल पड़िए राजस्थान यात्रा पर।