सलाम, नमस्ते, केम छू दोस्तो। ऋषिकेश ट्रिप का ये मेरा तीसरा दिन था।बाकी दो दिन में मैंने लक्ष्मण झूला,भूतनाथ मंदिर और नीलकंठ महादेव के दर्शन किए थे।
एक घुमक्कड़ हमेशा एक सफर में रहना चाहता है और बिना थके, रुके, बिना मुड़े, बस ईधर-उधर देखते हुए चलता ही रहना चाहता है। भले ही उसको मंजिल मिले ना मिले। वैसे एक घुमक्कड़ को मंजिल नहीं चाहिए होती है उसे तो रास्ते अच्छे लगते हैं। रास्ते उसके लिए मंजिल होते हैं और मंजिल बस एक पड़ाव। वह चलता रहना चाहता है और किसी चलती हुई रेलगाड़ी के पीछे भागते हुए पेड़-पौधों, घर और दीवार को देखना चाहता है। रास्ते में मिलने वाले खूबसूरत नजारें उसे दीवाना बनाते हैं।उसे ये सब सुकून देते हैं।ऐसे ही सुकून का आंनद लेने के लिए मैं पहुचा ऋषिकेश ।
हिमालय की तलहटी पर उत्तराखंड में एक छोटा सा शहर ऋषिकेश है जो हिंदुओं के सबसे पवित्र स्थान और युवाओं के लिए एक लोकप्रिय सप्ताहांत में घूमने की जगह भी है। बस क्या था मैंने भी अपना सोलो ट्रिप प्लान किया ऋषिकेश के लिए। वैसे तो ऋषकेश का ये मेरा तीसरा दिन था।आज मैं आपको ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहा हूं, जहां जा कर मुझे काफी सुकून मिला।इस जगह ने मेरे दिल को छू लिया।
सुबह सुबह जब मैं अपने होटल से ब्रेकफास्ट कर के निकला राम झूला की तरफ तो वहा जा कर मुझे पता चला यहां से 1.5 किलोमीटर दूर स्वर्गाश्रम परिसर के पीछे उजाड़ में राजाजी टाइगर रिजर्व क्षेत्र के अंतर्गत पड़ने वाला एक आश्रम के बारे में जिसे "बीटल्स आश्रम" कहते हैं।
बीटल्स आश्रम, जिसे चौरासी कुटिया के रूप में भी जाना जाता है, उत्तराखंड राज्य के उत्तर भारतीय शहर ऋषिकेश के करीब यह एक आश्रम है।जो हिमालय की तलहटी में ऋषिकेश के रेती क्षेत्र के सामने गंगा नदी के पूर्वी तट पर स्थित है।योग और ध्यान के लिए यह एक बेहद खूबसूरत जगह है।
महर्षि महेश योगी योग, साधना और अध्यात्म जगत का एक महान प्रकाश पुंज माने जाते हैं। अपने भावातीत ध्यान की वजह से दुनिया भर में पूज्यनीय रहे महर्षि ने उत्तराखंड के ऋषिकेश में जिस स्थान पर कभी योग साधना की थी वह अब मशहूर रॉक बैंड बीटल्स के नाम पर बीटल्स आश्रम बन चुका है। खास बात यह है कि ब्रिटेन के जिन चार नौजवानों ने विश्व प्रसिद्ध रॉक बैंड बीटल्स की स्थापना की थी वे इसी आश्रम में आकर रुके थे और बीटल्स की कई धुनें उनके मन में यहीं गूंजी थीं।
महर्षि महेश योगी का जीवन परिचय
महर्षि महेश योगी एक आध्यात्मिक नेता थे।जो मेडिटेशन तकनीक विकसित करने और इसे दुनिया भर में फैलाने के लिए जाने जाते थे। वह एक भारतीय गुरु थे, जिन्हें ट्रान्सेंडैंटल मेडिटेशन तकनीक विकसित करने और विश्वव्यापी संगठन के नेता और गुरु होने के लिए जाना जाता है।जिन्हें कई मायनों में विशिष्ट माना जाता है।उन्हें महर्षि के रूप में जाना जाता हैं।
महर्षि महेश योगी का असली नाम था महेश प्रसाद वर्मा था।महर्षि महेश योगी का जन्म 12 जनवरी 1918 को छत्तीसगढ़ के राजिम शहर के पास पांडुका गाँव में हुआ और उन्होंने इलाहाबाद से दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि ली थी।
40 और 50 के दशक में वे हिमालय में अपने गुरु से ध्यान और योग की शिक्षा लेते रहे।महर्षि महेश योगी ने ध्यान और योग से बेहतर स्वास्थ्य और आध्यात्मिक ज्ञान का वादा किया और दुनिया के कई मशहूर लोग उनसे जुड़ गए।ब्रिटेन के रॉक बैंड बीटल्स के सदस्य उत्तरी वेल्स में उनके साथ सप्ताहांत बिताया करते थे।
5 फ़रवरी, 2008 को महर्षि महेश योगी का नीदरलैंड्स स्थित उनके घर में 91 वर्ष की आयु में निधन हो गया था।
आश्रम की स्थापना:-
महेश योगी ने चौरासी कुटिया आश्रम की स्थापना 1961 में 7.5 हेक्टर भूमि वन भूमि पर की थी। यह आश्रम चारो ओर से प्राकृतिक वातावरण से घिरा हुआ हैं। यहाँ पर महेश योगी योग और ध्यान लगाना सीखा था। महर्षि ने इस स्थान को इसलिए चुना था क्योंकि इस स्थान पर गंगा नदी की पवन जलधारा की आवाज साफ़ साफ़ सुनी जा सकती हैं।
फरवरी 1968 में अमेरिका के मशहूर बैंड “बीटल्स” के सदस्य जॉन लेनोन, पॉल मैकार्टनी, जॉर्ज हैरीसन और रिंगो स्टार अपने परिवार और करीब 300 अन्य लोगों के पूरे लवाजमे (किसी के साथ रहनेवाला दल और साज सामान) के साथ फरवरी 1968 में महर्षि महेश योगी के बुलावे पर भारत आए थे। इसी आश्रम पर रहकर बीटल्स सहित अन्य प्रसिद्द लोगों ने ध्यान सिखा। जिसके बाद इसका नाम बीटल्स आश्रम कर दिया गया।
बीटल्स ग्रूप का आगमन:-
बीटल्स ग्रूप के चारों मेंबर अपने और साथियों के साथ महर्षि योगी आश्रम में कुछ हफ्तों के लिए ठहरे थे। कहा जाता है कि वहाँ के गुरु ने उन्हें अतींद्रिय ध्यान की शिक्षा दी थी। जब बीटल्स अपने सफलता की उँचाई पर थे, तब वो मीडिया की चकाचौंध और सारी परेशानीयों से दूर यहाँ थोड़ी देर के लिए शांति में जीवन बिताना चाहते थे।
इस आश्रम में रहने के दौरान बीटल्स ने लगभग 40 गाने लिखे। बाद में जब दोबारा से वे अपनी पहली ज़िंदगी में लौटे तब उन्होंने ये गाने उनके प्रसिद्ध ऐलबम्स 'वाइट ऐल्बम' और 'ऐबे रोड' में सम्मिलित किए।
हालाँकि यहाँ कुछ बातें ऐसी भी हैं कि, वे इस आश्रम के लाइफस्टाइल और खानों के साथ संबंध नहीं बैठा पाए थे और वे ऋषिकेश में कुछ समय बिताकर दोबारा लौट गये।
बीटल्स के फैन्स ने आश्रम में की हैं स्प्रे पेंट से ढेरों कलाकृतियां:-
हिमालय की गोद में बसा ऋषिकेश का यह आश्रम बीटल्स के जाने के बाद यहां की दीवारों पर आज भी बीटल्स के फैन्स के मैसेजेज लिखे हुए हैं। स्प्रे पेंट से ढेरों कलाकृतियां बनी हैं।आश्रम को बाकायदा ‘बीटल्स आश्रम’ का नाम दिया गया है।लेकिन इसकी हालत देख कोई नहीं कह सकता है कि यहां दुनिया के सबसे मशहूर पॉप ग्रुप ने कभी कुछ दिन गुजारे थे और अपनी नई धुनें भी गढ़ी थीं।
फरवरी 1968 में अपने गुरु के आश्रम में आए इस मशहूर ग्रुप ने यहीं अपने व्हाइट एल्बम के मशहूर हिट नंबर 'ओब-ला-दा' और 'बैक इन द यूएसएसआर' तैयार किया था। हालांकि, बीटल्स के फैन्स के लिए यह आश्रम अब किसी मंदिर से कम नहीं। लेकिन इसकी जर्जर हालत देखने वालों को मायूस करती है। देश ही नहीं, ऋषिकेश भी अब भूल चुका है कि बीटल्स भारत दौरे पर यहां आए थे और रुके भी थे।
दुर्भाग्य से, यह बीटल्स आश्रम गुरु महेश योगी की मृत्यु के बाद बंद हो गया था। पर यह बीटल्स के प्रशंसकों को यहाँ आने से रोक नहीं पाया। इस आश्रम में इनके प्रशंसकों द्वारा की गयी ग्रॉफिटी कलाकारी को भी आश्रम की दीवारों पर आप देख सकते हैं।
विदेशी सैलनियों में लोकप्रिय हैं यह आश्रम:-
1968 में विश्व प्रसिद्ध बीटल्स बैंड के सदस्यों के यहां आने के बाद से विदेशों में इस केंद्र की ख्याति बढ़ने के बाद से तीर्थनगरी में विदेशी सैलनियों का आवागमन बढ़ा। बीटल्स के सदस्यों के लंबे समय तक चौरासी कुटिया में रहने के बाद से इस आश्रम को बीटल्स आश्रम भी कहा जाने लगा था। 1995 से उक्त क्षेत्र राजाजी नेशनल पार्क के अधिकार क्षेत्र में है। हालांकि इसके बाद भी क्षेत्र में भ्रमण के लिए विदेशी पर्यटकों का आवागमन होता रहा है।
क्या करें?
यह आश्रम राजाजी नेशनल पार्क में स्थित एक ईको-फ्रेंडली पर्यटक आकर्षण है और गंगा नदी के निकट स्थित एक शांत वातावरण प्रदान करता है। यहां के शांत वातारवरण में बैठकर आप मेडिटेशन कर सकते है। इसके अलावा प्रकृति की सैर, ट्रेकिंग और बर्ड वॉचिंग सेशन भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है।
आश्रम का टिकट:-
विदेश पर्यटकों को आश्रम का टिकट 600 रुपए में मिलेगा जबकि भारतीय पर्यटकों को इसके लिए 150 रुपए चुकाने होंगे।
कैसे पहुंचें:-
ऋषिकेश का निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट एयरपोर्ट देहरादून है, जो ऋषिकेश से 35 किमी की दूरी पर है। आप दिल्ली या लखनऊ से हवाई यात्रा करके यहां पहुंच सकते हैं इसके बाद देहरादून से बस, रेगुलर टैक्सी के जरिए ऋषिकेश जा सकते हैं।
इसके अलावा हरिद्वार, देहरादून और नई दिल्ली से बस के माध्यम से भी ऋषिकेश जाया जा सकता है। इन स्थानों से ऋषिकेश के लिए रोजाना बसें चलती हैं।
ऋषिकेश का निकटतम रेलवे स्टेशन हरिद्वार है जो इससे 25 किलोमीटर की दूरी पर है। यह स्टेशन मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, लखनऊ और वाराणसी से रेलमार्ग द्वारा जुड़ा है। आप शताब्दी, जनशताब्दी, मसूरी एक्सप्रेस जैसी विभिन्न ट्रेनों के माध्यम से हरिद्वार पहुंचकर फिर वहां से बस या टैक्सी द्वारा ऋषिकेश जा सकते हैं।
आज ऋषिकेश 'विश्व की योगा राजधानी' होने के साथ-साथ, कई रोमांचक क्रियाओं के लिए भी पर्यटकों के बीच प्रसिद्ध है।
तो अब अपने ऋषिकेश की अगली यात्रा में बीटल्स के इस आश्रम के दर्शन करना ना भूलें।
आश्रम के दर्शन के बाद मैंने अपनी शाम राम झूला पर बिताई।