ऋषिकेश: इस योग नगरी में आप करेंगे असीम शांति का अनुभव

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ऋषिकेश का नाम आते ही जेहन में सबसे पहले योग नगरी की तस्वीर उभरने लगती है। यहां आने पर हर बार कुछ नया महसूस होता है। जीवन में एक ताजगी का एक झोंका असीम शांति का अनुभव कराने लगता है। ऋषिकेश को विश्व की योग राजधानी भी कहा जाता है। लोगों का मानना है कि यहां ध्यान लगाने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है। यहां दुनिया भर से हर साल हजारों लोग योग, ध्यान और शांति की चाह में आते हैं।

उत्तराखंड के देहरादून जिले में हिमालय की खूबसूरत वादियों में स्थित ऋषिकेश में गंगा किनारे बने आश्रमों ने ऋषियों के साथ दुनिया भर से आए पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है। यहां कई प्राचीन मंदिर है और श्रद्धालु यहां दर्शन के साथ गंगा स्नान करने भी आते हैं। हरिद्वार के पास गंगा नदी के किनारे बसा ऋषिकेश को केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री का प्रवेशद्वार भी माना जाता है।

Photo of Rishikesh, Uttarakhand, India by Hitendra Gupta

यहां दुनिया भर से लोग योग सीखने भी आते हैं। इसके लिए यहां कई आश्रम, योग संस्थान और शानदार स्पा रिसॉर्ट हैं। इसमें परमार्थ निकेतन, शिवानंद आश्रम और ओंकारानंद गंगा सदन प्रमुख हैं। यहां मार्च के महीने में अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव का भी आयोजन किया जाता है। जिसमें अधिकतर विदेशी शामिल होते हैं। इस दौरान उन्हें योग के साथ आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक ज्ञान प्राप्त करने का मौका मिलता है।

ऋषिकेश अब योग के साथ ही एडवेंचर स्पोर्ट्स का भी प्रमुख केंद्र बन गया है। खूबसूरत हरी-भरी पहाड़ियों से घिरा यह शहर रोमांच की पराकाष्ठा पाने के लिए किसी जन्नत से कम नहीं है। यहां लोग योग के साथ व्हाइट वॉटर राफ्टिंग, बंजी जम्पिंग, कैनोइंग, पैरा ग्लाइडिंग, ट्रेकिंग, रॉक क्लाइमबिंग, कैंपिंग और बोनफायर और जिपलाइन टूर के लिए भी आते हैं। यह यहां के स्थानीय लोगों के लिए रोजगार का भी एक बढ़िया साधन उपलब्ध कराता है।

Photo of ऋषिकेश: इस योग नगरी में आप करेंगे असीम शांति का अनुभव by Hitendra Gupta

ऋषिकेश को लेकर कहा जाता है कि यहां ऋषि रैभ्य ने कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु यानी ऋषीकेश ने उन्हें दर्शन दिया था जिसके कारण इस शहर का नाम ऋषिकेश पड़ गया। ऋषिकेश के बारे में यह भी कहा जाता है कि भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकले विष को इसी स्थान पर पिया था। विष पीने के कारण उनका कंठ नील पड़ गया था, जिसके बाद से उनका एक नाम नीलकंठ भी पड़ गया।

अगर आप ऋषिकेश में हैं तो योग और एडवेंचर गेमों के साथ यहां के कुछ प्रमुख दर्शनीय स्थलों पर जाना मिस नहीं कीजिएगा।

Photo of ऋषिकेश: इस योग नगरी में आप करेंगे असीम शांति का अनुभव by Hitendra Gupta

गंगा आरती

गंगा नदी के किनारे हर शाम गंगा आरती की जाती है। इस समय बड़ा ही दिव्य स्वरूप दिखता है। आपको गंगा आरती में शामिल होकर एक अलग ही आत्मिक और आध्यात्मिक सुख का अनुभव प्राप्त होगा। ऋषिकेश में गंगा आरती के लिए त्रिवेणी घाट और परमार्थ निकेतन आश्रम सबसे प्रसिद्ध है। आरती के समय पूरा घाट दिवाली की तरह रोशनी से जगमग करने लगता है।

Photo of Ram Jhula, Ram Jhula, Swarg Ashram, Rishikesh, Uttarakhand, India by Hitendra Gupta

राम झूला

ऋषिकेश में गंगा नदी पर एक झूलता हुआ पुल राम झूला है। इसे 1986 में बनाया गया था। इस पुल से गंगा नदी का सुंदर दृश्य तो दिखाई देता ही है, नदी के दोनों किनारों की पहाड़ी और हरियाली आपको एक अलग ही दुनिया में ले जाता है। हवा के झोंकों के बीच झूलते पुल के नीचे कलकल बहती गंगा नदी किसी स्वर्गिक अनुभव से कम नहीं होता।

Photo of Laxman Jhula, Tapovan, Rishikesh, Uttarakhand, India by Hitendra Gupta

लक्ष्मण झूला

राम झूला से कुछ दूरी पर लक्ष्मण झूला है। लोहे की तारों से बना यह पुल भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण के नाम पर है। बताया जाता है कि भगवान राम को वनवास के दौरान एक बार जब गंगा नदी पार करनी थी, तो लक्ष्मण ने यहां जूट की रस्सी से एक पुल बनाया था। उसके बाद से इस पुल का नाम लक्ष्मण झूला पड़ गया। इस पुल से बहुत ही मनोरम दृश्य दिखाई देता है। यहां से राफ्टिंग करने वाले लोगों को भी देख सकते हैं।

Photo of ऋषिकेश: इस योग नगरी में आप करेंगे असीम शांति का अनुभव by Hitendra Gupta

त्रिवेणी घाट

मान्यता है कि त्रिवेणी घाट पर तीन पावन नदियों गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम होता है, हालांकि अब तीनों नदियां नहीं दिखती हैं। फिर भी ऋषिकेश आने वाले ज्यादातर श्रद्धालु इसी घाट पर स्नान करते हैं। माना जाता है कि यहां डुबकी लगाने से सभी पाप और कष्ट मिट जाते हैं। सुबह के समय यहां डुबकी लगाने वाले और पूजा-अर्चना करने वाले लोगों की भीड़ लगी रहती है। शाम के समय यहां दिव्य गंगा आरती होती है। मंत्रों के उच्चारण और घंटियों की आवाज से सारा माहौल भक्तिमय हो जाता है। आरती के समय गंगा नदी में बहाए जाने वाले दीप को देखकर मन को असीम शांति मिलती है। बताया जाता है कि भगवान कृष्ण इसी जगह पर एक शिकारी के तीर से घायल हो गए थे।

भारत मंदिर

त्रिवेणी घाट के पास एक प्राचीन मंदिर है भारत मंदिर। भगवान विष्णु को समर्पित इस मंदिर में काले पत्थर से बनी मूर्ति है। यह शालीग्राम के नाम से प्रसिद्ध है। आदि गुरु शंकराचार्य ने इसे बनवाया था। मंदिर के सामने एक विशाल वृक्ष है, जो वास्तव में बरगद, पीपल और बेल तीन वृक्षों से मिलकर बना है। ये तीनों पेड़ आपस में इस तरह मिले हैं कि ये बता पाना मुश्किल है कि कौन सी जड़ किस पेड़ की है। माना जाता है कि ये तीनों पेड़ भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतिनिधित्व करते हैं।

सभी फोटो- अतुल्य भारत-उत्तराखंड टूरिज्म

Photo of Shri Bharat Mandir Marg, Mayakund, Rishikesh, Uttarakhand, India by Hitendra Gupta

नीलकंठ महादेव मंदिरn

ऋषिकेश से करीब 30 किलोमीटर दूर भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर है। इसे नीलकंठ महादेव मंदिर कहते हैं। बताया जाता है कि समुद्र मंथन के बाद भगवान शिव ने यहीं पर विष पीया था। विष को पीने से भगवान शिव का कंठ नीला हो गया था। तभी से यहां भगवान शिव के नीलकंठ रूप की पूजा होती है। यहां एक झरना है, जहां श्रद्धालु स्नान कर मंदिर में दर्शन और पूजा-अर्चना के लिए जाते हैं।

आप ऋषिकेश के पास करीब 20 किलोमीटर दूर राजाजी राष्ट्रीय उद्यान भी जा सते हैं। यहां पर आपको सैकड़ों वन्यजीवों के साथ बाध, हाथी, तेंदुए, हिरणभी देखने को मिलते हैं। इसके साथ ही नीरगढ़ जलप्रपात जाकर एडवेंचर स्पोर्ट्स का आनंद ले सकते हैं। ऋषिकेश से 40 किलोमीटर दूर व्हाइट वॉटर राफ़्टिंग का प्रमुख केंद्र कौडियाला है। यह कैम्पिंग एवं अन्य खेलों के लिए पर्यटकों से भरा रहता है।

कैसे पहुंचे-

ऋषिकेश रेलवे स्टेशन देश के सभी प्रमुख रेलवे स्टेशनों से जुड़ा हुआ है। सड़क मार्ग से भी यहां पहुंचना काफी आसान है। दिल्ली और उत्तराखंड के सभी प्रमुख शहरों से यहां के लिए बस सेवा उपलब्ध है। हवाई यात्रे के लिए पास का एयरपोर्ट देहरादून का जॉली ग्रांट है। यहां से आप देश के सभी प्रमुख शहरों की यात्रा कर सकते हैं।

कब पहुंचे-

वैसे तो यहां सालों पर पर्यटक आते रहते हैं, लेकिन पहाड़ी इलाका होने के कारण यहां आने के लिए सितंबर से नवंबर और फरवरी से अप्रैल का समय सबसे अच्छा रहेगा।

- हितेन्द्र गुप्ता