
गर्मियों का मौसम आ गया है और छुट्टियों में घूमने का मजा तो कुछ और ही है। गर्मियोंकी छुट्टियों में लोग ज्यादा घूमने-फिरने कि इच्छा रखते हैं। तो ऐसे में घूमने का प्लान तो बन ही जाता है। लेकिन सवाल है कि कहाँ जाएं? यदि यह फैसला नहीं कर पा रहे तो इस काम में हम आपकी मदद करेंगे। गर्मी की छुट्टियों में घूमने का प्लान बना लिया है तो ऐसी जगह आपको हम आपको बताते हैं। यहाँ जाकर आप खुद को प्रकृति के पास महसूस करेंगे और अच्छे से एंजॉय कर सकेंगे। तो बढ़ाइए अपने कदम उन मंजिलों की ओर जो न केवल अनदेखे और अनछुए हैं, बल्कि सुकून और आनंद से भरे हैं। जी हाँ! मैं बात कर रही हूं गांव की। गांव अपनी खूबसूरती और भरपूर हरियाली से बरबस ही आपका मन मोह लेते हैं। यहाँ की फिजाओं में नयापन और ताजगी है तो गंवईपन की मनमोहक झलकियां भी। बजट में फिट आने वाले ये डेस्टिनेशंस न केवल सस्ते हैं, बल्कि लग्जरी टूर से कहीं ज्यादा आनंददायक और सुकून भरे भी होते हैं। अगर इन गर्मियों में आप आउटिंग के मूड में हैं तो विलेज होमस्टे से बढ़िया कुछ भी नहीं। इसी बहाने आप भारत की असल तस्वीर देख पाएंगे और उसकी समृद्ध विरासत से रूबरू हो पाएंगे। तो आइए जानते हैं।
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गुनेह विलेज (कांगड़ा वैली, हिमाचल प्रदेश)

हिमालय के कुछ अनदेखे हिस्सों का दीदार करना हो तो हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा वैली में बसे पहाड़ी गांव गुनेह का रुख कीजिए। कायनात की बेहिसाब खूबसूरती समेटे जनजातीय बहुल इस गांव में आपको वह सब मिलेगा जिसकी तलाश हरेक नेचर लवर्स को होती है। चरवाहों का यह छोटा-सा गांव, ग्रामीण परिवेश को एंजॉय करने वालो के लिए बेहतरीन जगह है। सैलानियों की भीड़ से दूर यह गांव बेहद सुंदर है। पहाड़ियों से घिरे इस गांव को प्रकृति ने अपनी नायाब कलाकारी से सजाया है। कलाप्रेमियों को यह किसी जादुई कैनवस जैसा प्रतीत होता है। तो अपनी यात्राओं को रोमांचक बनाने के लिए एक बार ज़रूर यहाँ जाएं।
विशेष आकर्षण: मंदिर, पैराग्लाइडिंग, मॉनेस्ट्री, चाइना पास, बारोट वैली, स्थानीय चित्रकारी और कला का दर्शन, विलेज वॉक।
कहाँ ठहरे: आधुनिक सुविधाओं से लैस गांव के बीचों बीच बने मड हाउस में आप ठहर सकते हैं। इसे गांव वालों ने सैलानियों के लिए होमस्टे के तौर पर दिया हुआ है।
टूर प्लान : 3-5 दिनों का टूर प्लान कर सकते है। आधुनिक संसाधनों से दूर यह एक छोटा-सा रिमोट विलेज है इसलिए ज्यादा सुविधाओं की उम्मीद न करें। इसे ध्यान में रखते हुए टूर प्लान करें।
कैसे पहुंचें : धर्मशाला और कांगड़ा के बीच NH-20 से 6 किलोमीटर आगे यह गांव हैं। दिल्ली या चंडीगढ़ से यहां के लिए टैक्सी या बस ले सकते हैं। 6 किलोमीटर की ट्रेकिंग के बाद इस गांव में आसानी से पहुंचा जा सकता है।
बजट: प्रति व्यक्ति 1500 रुपये प्रति दिन।
कल्प गांव (गढ़वाल, उत्तराखंड)

उत्तराखंड में समुद्र तल से 7500 फीट की ऊंचाई पर पहाड़ों की गोद में बसा एक छोटा-सा गांव कल्प निहायत ही खूबसूरत और आकर्षक है। वाकई सुकून की तलाश यहाँ आकर खत्म होती है। खानाबदोश चरवाहों का यह गांव प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है और सैलानियों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र भी। 500 की आबादी वाले इस गांव में ट्रेकिंग के ढेरों ऑप्शन उपलब्ध हैं। शहरी जीवन से दूर जिंदगी जीना चाहते हैं तो कल्प बांहे खोले आपका इंतजार कर रहा है। पहाड़ की चोटी से गांव की अद्भुत छटा देखते ही बनती है। हरे-भरे देवदार इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाते है।
विशेष आकर्षण: फॉरेस्ट ट्रेकिंग, पहाड़ी नदियां, झड़ने, स्थानीय स्वर्ण मंदिर और विलेज वॉक।
कहाँ ठहरे: लकड़ी के बने मकानों में आप रुक सकते हैं। गांव में होम स्टे और सेल्फ कुकिंग की सुविधा भी उपलब्ध है।
टूर प्लान : 3-5 दिनों का टूर प्लान कर सकते है।
कैसे पहुंचें: देहरादून तक रेल से भी जा सकते हैं। बस से 10 घंटे में नजदीकी कस्बे तक पहुंच सकते हैं और वहाँ से 8 घंटे की लंबी ट्रेकिंग के बाद गांव तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। दिल्ली से देहरादून के लिए जॉली ग्रांट एयरपोर्ट तक सीधी उड़ानें हैं।
बजट: प्रति व्यक्ति 1000 रुपये प्रति दिन।
विश्नोई विलेज सफारी (जोधपुर, राजस्थान)

अगर आप ट्राइबल सफारी के शौकीन हैं और विश्नोई समाज को नजदीक से देखना चाहते हैं तो दक्षिण जोधपुर से मात्र 40 मिनट की दूरी पर बसे जनजातीय गांव विश्नोई विलेज में आपका स्वागत है। यह आदिम जीवन शैली और उनकी सांस्कृतिक विरासत को समझने का यह बढ़िया अवसर हो सकता है। खेजड़ी के पेड़ों से घिरे इस गांव में हिरन और चिंकारा बहुतायत में देखे जा सकते है। गुडा झील यहाँ का प्रमुख आकर्षण है, यहाँ कई तरह के पक्षियों का डेरा है।
विशेष आकर्षण: कनकनी (ब्लॉक प्रिंटरों का गांव), सलतास (बुनकरों का गांव), गुढ़ा (वन्यप्राणी और विश्नोई समाज), ओसियन मंदिर, डेजर्ट वाइल्ड लाइफ, 65 किलोमीटर की जीप सफारी।
कहाँ ठहरे: छोटाराम प्रजापत होमस्टे, विश्नोई गांव।
टूर प्लान : 3-5 दिनों का टूर प्लान कर सकते है।
कैसे पहुंचें: यहाँ के लिए दिल्ली से सीधी बसें और रेल सेवा उपलब्ध हैं।
बजट: प्रति व्यक्ति 1500 रुपये प्रति दिन।
खाती विलेज (बागेश्वर, उत्तराखंड)

सफेद संगमरमरी बर्फ से ढंका ऊंचे देवदार के पेड़ों से घिरा खाती गांव पिंडारी ग्लेशियर के रास्ते में स्थित है। यह सरहद का सबसे अंतिम गांव माना जाता है। बर्फ से ढंका पहाड़ों पर बसा यह गांव परियों के देश जैसा आभास कराता है। कल-कल बहती पिंडार नदी के तट पर बसा यह गांव आपको ताजगी से भर देगा। यहाँ से हिमालय की बर्फीली चोटियों को आसानी से देखा जा सकता है।
प्रकृति ने यहाँ अपने तमाम रंग बिखेरे हैं और उन रंगों के साथ अठखेलियां करते हुए ऐसा लगता है, जैसे आप किसी मायावी लोक में पहुंच गए हों। यह एहसास आपको भीतर तक गुदगुदाता है। यह भागती-दौड़ती जिंदगी की रफ्तार को कम करता है। प्रकृति के साथ कदम ताल करने की चाहत रखने वालों के लिए यह बेहतरीन जगह है। शुद्ध देसी गांव का मजा लेना हो तो खाती गांव जरूर जाएं और कुदरत का आनंद लें।
विशेष आकर्षण: नंदा देवी मंदिर, भगवती मंदिर, हिमालय की बर्फीली चोटियां, देवदार के घने जंगल, कलकल बहती नदियां, सूर्योदय और सूर्यास्त का अद्भुत दृश्य।
कहाँ ठहरें: खाती गांव होमस्टे में आप रुक सकते हैं।
कैसे पहुंचें: नजदीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम है। गांव से 10 किलोमीटर पहले तक बस सेवा उपलब्ध है। यहाँ के नजदीकी जिला मुख्यालय कपकोट से बस ले सकते हैं। यहाँ का नजदीकी एयरपोर्ट पंतनगर है।
बजट: प्रति व्यक्ति 1500 रुपये प्रति दिन।
पीओरा विलेज (अल्मोड़ा, उत्तराखंड)

फ्रूट बॉल ऑफ उत्तराखंड के नाम से प्रसिद्ध पीओरा गांव हिल स्टेशन अल्मोड़ा से मात्र 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसे प्रकृति की भरपूर नेमत मिली है। कुमाऊं हिल्स के प्रिंसटन टाइगर वैली के बीचो-बीच बसा यह गांव सेब और आलूबुखारे के बगीचों के लिए खासा मशहूर है। अगर कंक्रीट के जंगल और शहरी आनन फानन से ऊब चुके हों तो कुदरत की गोद में फुर्सत के कुछ सुकून भरे लम्हे यहाँ बिताए जा सकते हैं। यहाँ दिन में नदियां गीत गाती नजर आती हैं तो रात में खुले आसमान में हजारों सितारे आपका स्वागत करते प्रतीत होते हैं। पहाड़ की चोटियों को छूते रुई के फाहों जैसे बादल और घाटियों में उतरते टेढ़े-मेढ़े संकरे रास्ते किसी और ही दुनिया में आपको ले जाते हैं। कहते हैं कि इसी गांव से होकर पांडवों ने स्वर्गारोहण किया था। इस पहाड़ी गांव की खूबसूरती आपको कायल कर देती है। ट्रेकिंग, नेचर, हिल्स, बर्ड्स, वाइल्डलाइफ सबकुछ है यहाँ। प्रकृति का जादू यहाँ सम्मोहन पैदा करती है और आप बस यहीं के होकर रह जाते हैं। अगर आप पक्षी प्रेमी हैं तो आपके लिए यह बेहतर ठिकाना हो सकता है।
विशेष आकर्षण: त्रिशूल पीक, सेब और आलूबुखारे के बगीचे, हिमालय व्यू, प्राचीन मंदिर, विलेज वॉक।
कहाँ ठहरे: विलेज होम स्टे और गांव में बने डाक बंगले में आप रुक सकते हैं।
कैसे पहुंचें: नैनीताल के मुक्तेश्वर से 10 किलोमीटर दूर और अल्मोड़ा से 23 किलोमीटर दूर यह गांव स्थित हैं। दिल्ली से रेल और सड़क मार्ग से काठगोदाम पहुंच कर, वहाँ से टैक्सी से 1 घंटा 20 मिनट में गांव पहुंचा जा सकता है।
बजट: प्रति व्यक्ति 1200 रुपये प्रति दिन।
क्या आपने भी आने वाली गर्मियों में कही जाने की सोच रहे हैं। तो इन प्रकृति की वादियों से भरे इन गांवों पर ज़रूर एक बार गौर फरमाएं। और अपनी यात्राओं का अनुभव हमारे साथ साझा करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
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