
लॉकडाउन के पर्याटक पंछी
हालाँकि नैनी झील से मेरे बसेरे की दुरी महज दस से पंद्रह मिनट की दुरी पर ही हैं फिर भी हर समय अंतराल पर झील को निहारने का कुछ अलग ही आनंद की अनुभूति होती हैं वो भी तब जब बारिश के बाद का मौसम और झील के ऊपर घने बदलो के झुण्ड का छटता हुआ समूह इन्ही कुछ पलो को देखने के लिए जब में पिछली साम तेज बारिश और ओला वृष्टि के बाद अगली सुबह जब में झील किनारे स्थित आराम कुर्सी में बैठ झील को निहारने की इछ्या के साथ निकला तो न जाने कितने वर्षो के बाद इस बार गर्मियों में मई के महीने में ऐसी बारिस हुई होगी , सायद न जाने क्यों लॉक डाउन के माहौल में कम से कम यह लगा की नेचर भी तो कितना सांत हैं , सयद इसे भी तो कुछ समय चाहिए भीड़ से दूर कुछ पल अपने लिए , खैर यह तो रहे मेरे ख्यालात , ..
अब आगे लॉकडाउन में इस बार झील किनारे के माहौल की..
इस बार नैनीताल में गर्मियों की गर्मी पूरी तरह से गायब हैं जो बारिश सर्दियों में नहीं हुई वो अब हो रही हैं ऐसा लगता हैं , मौसम के तो कहने ही क्या मई माह में भी तापमान 18 से 22 डिग्री तक ही मुश्किल से जा रहा हैं लकिन हा झील के लिए अच्छा संकेत ह की उसका गिरता जलस्तर अब समान्य हो चुका हैं , और पहाड़ों की हरियाली भी इस बार मानसून की बरसात से पहले ही खिल आयी हैं , इन सब के बीच एक ही कमी हैं वर्तमान हालात में लॉकडाउन के कारन सैलानियो कि रोनक.
लेकिन पंछियो के बहार आ गए लगता हैं झील किनारे , ये भी सांत माहौल का ही परिणाम रहा होगा जो इनको भी भरपूर मौका मिल गया लगता हैं , अब जो भी हो किसी के लिए मज़बूरी और वही किसी के लिए मौका ..झील , प्रकृति और पंछी .




