यह संसार के प्राचीन बसे शहरों में से एक है।वाराणसी का वास्तविक इतिहास शायद इतिहास के पन्नों से भी पुराना है।
काशी - बनारस - वाराणसी....मेरी नज़र से....
मन को छप्पन भोग सा लगा वाराणसी , धरती की हंसी वाराणसी, मानो नदी की लौट रही इठलाती लहरें मन की लहरों को हवा दे रही हो, नदी और आसपास के सभी पात्र के रोजाना की कशमकश भरी जिंदगी उभरकर सामने आ रही हो ,शहर सभी पात्र मानो सबको अपनी ओर खींच रही हो , गंगा की पवित्रता और दिव्यता जीवन को पुनः प्रारंभ करती है।
काशी - बनारस - वाराणसी कुछ भी कह लो .....जिसने भी इस जगह को समझा वो इसी का हो कर रह गया क्योंकि इसको समझाना आसन नहीं है। बनारस हर शहर से अलग है इसके वातावरण में अजीब सी मस्ती घुली है और ये मस्ती सदियों से चली आ रही है ...इसका एहसास वही कर सकता है जो इस शहर की गहराई को समझे ।बौद्ध एवं जैन धर्म में भी यह एक महत्वपूर्ण शहर है। इस जगह का अपना अलग आनंद है यहाँ की रईसीयत में जो सादगी है वो कहीं नहीं है ।मज़े की बात तो ये है की इस शहर के नशे का आनंद आप बिना भांग के भी ले सकते है ।पागलों की तरह दौड़ना नहीं सिखाता ये शहर , कहता है आराम से यार सब हो जाएगा चिंता किस बात की है ।तो लुफ्त उठाइए अपनो के साथ बनारस की गलियों का,बनारस के स्वाद का, बनारसीपन काऔर कभी खत्म न होने वाले बनारस का .............