पश्चिम बंगाल के बारे आपने बहुत लोगों से सुना होगा, "Amar Sonar Bangla" इसका अर्थ होता है- "My Golden Bangal"। यह राज्य अपने नाम को भली-भाति प्रदर्शित करता है। आज हम बात करने वाले है इसी गोल्डन राज्य की राजधानी कोलकाता कि जो इस राज्य की अपितु पूर्व में देश की भी राजधानी रह चुकी है।
समृद्ध शहर के रूप में विकसित कोलकाता "पूरब का मोती' कहलाता था। कोलकाता के बहुयामी सभयता-संस्कृति को देखकर फ्रांस के विख्यात लेखक 'डोमिनिक लापिएर्रे' ने इसे 'सिटी ऑफ जॉय" का नाम दिया था। इस लेखक के अनुसार यह शहर भारत के अन्य शहरों से काफी अलग था। यहां के लोगो का रहन-सहन और व्यवहार इतना खुशमिजाज था कि इन्होने इस शहर को सिटी ऑफ जॉय कि संज्ञा दी।
अपने शैक्षिक, सांस्कृतिक, एवं ऐतिहासिक महत्व के अलावा कोलकाता व्यापर के लिए भी जाना जाता है। कोलकाता के ऐतिहासिक इमारत यहां की सम्पन्नता और गौरवशाली अतीत को बयां करता है।
समृद्ध सभयता-संस्कृति होने के कारण इस शहर को भारत की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में भी जाना जाता है। वैसे तो कोलकाता को कई उप नामों से पुकारा जाता है किन्तु जन साधारण के अनुसार कोलकाता का नाम 'देवी काली' के नाम से पड़ा है।
यहां पर मुख्या रूप से देवी काली की पूजा की जाती है। यहां पर प्रतिवर्ष नवरात्र के समय देवी के नौ रूपों को बड़ी श्रद्धा के साथ पूजा जाता है। इसलिए यहां का मुख्या त्योहार दुर्गा पूजा है। दुर्गा पूजा यहां पर महोत्सव के रूप में मनाया जाता है,इस पूजा के आयोजन के लिए पूरे शहर में भव्य पंडालों का निर्माण किया जाता है। इन पंडालों दुर्गा जी का कई रूपं में भव्य प्रतिमाएं स्थापित किये जाते है।
इस समय पूरे शहर रोशनी से जगमगा उठता है, और यहां का माहौल भक्तिमय हो जाता है। इस महोत्सव का शाक्षी बनने के लिए पर्यटक और श्रद्धलु दूर-दूर से आते है।