भारत उत्सवों का देश है और यहां के लोग सालभर किसी न किसी उत्सव को मनाते रहते हैं। दुर्गोत्सव भी पूरे देश में बेहद धूमधाम से मनाया जाने वाला पर्व है। हिंदी कैलेण्डर के अनुसार आश्विन (सितंबर या अक्टूबर) महीने में लगातार दस दिनों तक जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। इस दौरान जहां लोग धार्मिक भावना से ओतप्रोत रहते हैं वहीं उत्सव मनाते खुशियों से सराबोर रहते हैं। सुदूर गावों, कस्बों और शहरों के घर से बाहर तक रौनक देखते ही बनती है। हालांकि देश के कुछ भागों में दुर्गापूजा कुछ ज्यादा ही फेमस पर्व है।
आमतौर पर दुर्गापूजा का नाम आते ही कोलकाता की याद आ जाती है जहां दुर्गापूजा महज एक पूजा नहीं बल्कि संस्कृति का हिस्सा बन चुका है। इसके अलावे कई ऐसे शहर हैं जहां दुर्गापूजा देखने लायक होती है। दुर्गापूजा के दौरान आप इन शहरों की सैर कर सीजन को ख़ास बना सकते हैं:
नवरात्र के दौरान मां वैष्णोदेवी का दर्शन करना बहुत ही पावन माना जाता है। लिहाजा धरती पर स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की यात्रा कर सकते हैं। 'जय माता दी' बोलते हुए कटड़ा स्थित मां वैष्णोदेवी का पूजन और दर्शन कर पुण्य प्राप्त कर सकते हैं। शिवालिक की पहाड़ी पर स्थित माता वैष्णो देवी का मंदिर सबसे पूजनीय स्थलों में शुमार है. मंदिर कटड़ा शहर से 10 किलोमीटर दूर और लगभग 5,000 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है। यूं तो साल भर सैलानी और भक्त यहां माता के दर्शन को आते हैं लेकिन नवरात्र में कुछ ज्यादा ही भीड़ देखने को मिलती है। दुर्गापूजा के दौरान मां वैष्णोदेवी के मंदिर में कई तरह के ख़ास आयोजन किए जाते हैं। मंदिर को विशेष रूप से सजाया जाता है, भजन-पूजन के साथ ही शोभायात्रा आदि का आयोजन होता है।
दुर्गा पूजा में बनारस की यात्रा एक अलग अनुभव दे सकती है। यहां विशेष रूप से दशहरे का आयोजन किया जाता है। दूर-दूर से लोग दशहरा देखने आते हैं वहीं रामलीला के आयोजन से शहर की छटा देखने वाली होती है। जगह-जगह रामकथा सुनते-सुनाते लोग आपको आकर्षित कर सकते हैं। बता दें कि इस पर्व को उत्तरप्रदेश-दिल्ली में दशहरे के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है जिसमें रावण दहन, राम भजन आदि की प्रमुखता रहती है। वाराणसी जाएं तो प्रसिद्ध मंदिरों में दर्शन करें साथ ही अस्सी घाट जाकर गंगा आरती देखना ना भूलें।
गुजरात के इस शहर में स्थानीय रंगों में ढले पूजा का आनंद लेने आ सकते हैं। पूजा के लिए जगह-जगह पंडाल बनाए जाते हैं और रौनक देखने को मिलती हैं। ख़ासतौर पर पूजा के दौरान डांडिया नृत्य का जो आयोजन होता है उसमें भाग लेकर जबरदस्त अनुभव साथ ले जा सकते हैं। यहां के डांडिया की झलक अब बाहर के शहरों में भी पूजा के दौरान देखने को मिलती हैं। इसके साथ ही सांस्कृतिक अनुष्ठानों का आयोजन किया जाता है जिसका लुत्फ़ उठा सकते हैं। अहमदाबाद के निवासी पूरी तरह पूजा में खुद को झोंक देते हैं। इतना ही नहीं, शहर के बाहर से भी लोग इस ख़ास पूजा को देखने आते हैं। यहां आप गुजराती संस्कृति, डांडिया और दुर्गापूजा की मिलीजुली झलक देखने आ सकते हैं।
जगन्नाथ की धरती ओडिसा में दुर्गापूजा के दौरान अलग ही छटा होती है। आजकल तो दुर्गापूजा देखने दूर-दूर से पर्यटक आते हैं और पुरी, कोणार्क तथा समुद्रतट का आनंद भी लेते हैं। राजधानी भुवनेश्वर में थीम आधारित पंडाल पर्यटकों को आकर्षित करता है। शहर के लोग जैसे सड़कों पर उतर जाते हैं। पंडाल भ्रमण मुख्य रूप से आपको याद रहने वाला होगा। हालांकि भुवनेश्वर पूजा पंडाल घूमते हुए बंगाल के दुर्गापूजा की झलक दिखेगी। भुवनेश्वर दुर्गापूजा देखते हुए आप आसपास का टूर प्लान कर बेहतरीन अनुभव हासिल कर सकते हैं।
नवरात्री के दौरान गुवाहाटी की यात्रा करते हैं तो आप कई तरह के अनुभव ले सकते हैं। शहर में होनेवाले दुर्गापूजा को देखने के साथ ही मां कामाख्या के मंदिर दर्शन को जा सकते हैं। नवरात्रि में यहां कई विशेष आयोजन किए जाते हैं जो कि आम दिनों में देखने को नहीं मिलते हैं। शक्तिपीठ मां कामाख्या के दर्शन करने के बाद बाद शहर के भव्य पूजा पंडालों को देखने निकल सकते हैं। यहां बंगाल की तरह ही उत्साह और उमंग के साथ दुर्गापूजा का आयोजन किया जाता है।
पारंपरिक रूप से पटना की दुर्गापूजा या नवरात्रि विशेषकर आध्यात्मिक आयोजनों के लिए जानी जाती है। शक्तिपीठ पटनदेवी मंदिर सहित शहर के सभी छोटे-बड़े मंदिरों में भक्तों की लाइन लगी होती है। हालांकि अब पंडाल बनाने के साथ-साथ विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर बनने वाले झांकियों को देखने लोग दूर- दूर से आते हैं। अगर आप बाहर से पटना पूजा देखने आएं तो मंदिरों, गंगाघाट तथा झांकियों का आनंद लें। पूजा को लक्ष्य कर स्थानीय भाषाओं के गीत भी लोगों को खूब आकर्षित करते हैं। समय निकालकर बंगाली समुदाय द्वारा आयोजित पूजा को जरूर देखने जाएं।
सबसे अंत में उस शहर का जिक्र करते हैं जहां दुर्गापूजा सबसे ख़ास होता है। जिस प्रकार गणेश पूजा का जुड़ाव महाराष्ट्र और मुंबई से है उसी प्रकार बंगाल और कोलकाता की पहचान दुर्गापूजा से है। यूं कहें कि दुर्गापूजा यहां की संस्कृति और परम्पराओं में शामिल हो चुका है। यहां सभी वर्गों के लोग बिना किसी भेदभाव के पूजा में शामिल होते हैं। थीम पंडाल, स्ट्रीट भ्रमण, खाना-पीना, कल्चर के रंग देखने कोलकाता जरूर आएं। पूरा का पूरा शहर जब सड़कों पर उतर आता है तो वाकई सभी भेद मिट जाते हैं। शहर रंग-बिरंगी रोशनी से नहाया रहता है। प्रतिमा, पंडाल के साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रम और पूजा विधान सभी आपको आकर्षित करती हैं। इसके साथ ही मां शक्ति को समर्पित कालीघाट मंदिर, दक्षिणेश्वर मंदिर में दर्शन का लाभ लें। पूजा के दौरान कोलकाता आकर आप जीवन भर के लिए सपने अनुभव को सहेज सकते हैं।
दुर्गापूजा की छुट्टियों का इस्तेमाल करते हुए इन शहरों के भ्रमण के अलावे आप दक्षिण भारत के शहरों जैसे हैदराबाद, चेन्नई, बंगलुरु की यात्रा कर सकते हैं। यहां की पूजा कई मायनों में थोड़ी अलग दिख सकती है। हालांकि कई शहरों में बंगाली समुदाय के लोग ही बढ़-चढ़ कर पूजा का आयोजन करते हैं। अब देश भर में दुर्गापूजा को सेलिब्रेट किया जाने लगा है लेकिन यहां दिए शहरों की सैर आपको ख़ास आनंद और अनुभव देने वाले हो सकते हैं।