प्रेम भक्ति के रंग में डूबना चाहते हैं तो चले आइये डेरा बाबा मुराद शाह जी के दरबार नकोदर पजांब।

Tripoto
24th Jun 2021
Photo of प्रेम भक्ति के रंग में डूबना चाहते हैं तो चले आइये डेरा बाबा मुराद शाह जी के दरबार नकोदर पजांब। by Sachin walia
Day 1

डेरा बाबा मुराद शाह जी एक सूफ़ियाना दरबार है जो नकोदर, जालंधर जिला, पंजाब, भारत में स्थित है। दरबार प्रेम का प्रतीक है और सभी जातियों और धर्मों के लोग इस दरबार में आते हैं और उनको सम्मान देकर अपनी मन की मुरादें मांगते हैं। ऐसा यहांँ आने पर होता भी आया है। भक्तों की मुरादें पूर्ण होती भी हैं।

Photo of प्रेम भक्ति के रंग में डूबना चाहते हैं तो चले आइये डेरा बाबा मुराद शाह जी के दरबार नकोदर पजांब। by Sachin walia
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मस्तों का झूमना भी बंदगी से कम नहीं, किसी की याद में मरना भी ज़िन्दगी से कम नहीं”
नकोदर शहर जिसे पीरों और फ़क़ीरों की धरती भी कहा जाता है। न-को-दर जिस का मतलब ही है, इस जैसा ना कोई दर. जहाँ ब्रहम ज्ञानीयों ने जन्म लिया और इस धरती को चार चाँद लग गए। आज़ादी से पहले की बात है। एक फ़क़ीर बाबा शेरे शाह जी पाकिस्तान से पंजाब आये। जिन्होंने रहने के लिए नकोदर की धरती को चुना जो वीरानों और जंगलों में ही रहना पसंद करते थे। बाबा जी ज़्यादां तर लोगों को अपने पास आने से रोकते थे जिससे उनकी इबादत में विघन ना पड़े और कभी कभी छोटे पत्थर भी मारते जिससे उन्हें लोग पागल समझें और उनके पास ना आएं। वह अपना ज़्यादां तर वक़्त ईष्वर की बंदगी में ही लगाते थे और वारिस शाह की हीर पढ़ते रहते थे। बाबा के हाथों के लिखे कुरान-ए-पाक की स्याही व कागज तकरीबन साल बाद भी जस का तस चमकदार है। यह किसी चमत्कार से कम नहीं है। इसे मजार के पास ही एक संदूक में रखा गया है।

Photo of प्रेम भक्ति के रंग में डूबना चाहते हैं तो चले आइये डेरा बाबा मुराद शाह जी के दरबार नकोदर पजांब। by Sachin walia
Photo of प्रेम भक्ति के रंग में डूबना चाहते हैं तो चले आइये डेरा बाबा मुराद शाह जी के दरबार नकोदर पजांब। by Sachin walia
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"झोली भर जाएगी मुरादों से तेरी, सच्चे दिल से देख मांगकर
साईं गुलाम शाह जी को साईं लाडी शाह जी के नाम से भी जाना जाता है। बाबा मुराद शाह जी के दुनिया छोड़ने के बाद साईं लाडी शाह जी को गद्दी दे दी गई। साईं जी ने दरबार की देखभाल करना जारी रखा और दरबार का निर्माण जारी रखा। साईं जी ने बाबा मुराद शाह जी की स्मृति में एक वार्षिक उरस मेला (मेला) आयोजित किया, जिसमें उन्होने कव्वाल और सूफी पंजाबी गायको को प्रदर्शन करने के लिए आमंत्रित किया। बाबा जी हमेशा चाहते थे कि उनकी मज़ार उसी जगह बने जहाँ शेरे शाह जी ने फकीरी की, जहाँ बाबा जी खुद भी रहे। पर उस समय वह सरकारी ज़मीन थी। लोगों ने सोचा कि बाबा जी की मज़ार अगर यहाँ बनाई तो सरकारी लोग मज़ार हटा ना दें, इतने बड़े फ़क़ीर की जगह के साथ अनादर ना हो यह सोच कर लोगों ने बाबा जी की मज़ार शमशान घाट में ही बना दी।बाबा जी जिस औरत को अपनी माँ कहते थे उसे सपने में दर्शन दिए और कहा "मेरी मज़ार वहां क्यों नहीं बनाई जहाँ मैंने कहा था" माता ने कहा “सरकारी लोग आपत्ति कर रहे थे”. बाबा जी ने कहा मेरे जितने भी कपडे और वस्तुएं तुम्हारे घर पड़ी हैं उन्हें एक घड़े में डालकर वहां रखो, और वहां भी मेरी जगह बनाओ, मैं खुद देखता हूँ कौन हटाता है।ऐसे ही हुआ और वहां भी बाबा जी की जगह बनाई गयी जहाँ बाबा जी खुद चाहते थे।इस जगह को आज हम डेरा बाबा मुराद शाह कहते हैं। बाबा मुराद शाह जी की सिर्फ एक ही फोटो थी वह भी उन्होंने फाड़ दी थी मगर उनके भाई ने उस फोटो को जोड़कर दुबारा रखा था। बाबा शेरे शाह जी की दरगाह भी पंजाब (हिंदुस्तान) में फ़िरोज़पुर के पास है।

Photo of प्रेम भक्ति के रंग में डूबना चाहते हैं तो चले आइये डेरा बाबा मुराद शाह जी के दरबार नकोदर पजांब। by Sachin walia

गुरदास मान साईं जी के शिष्य बन गए और साईं जी गुरदास मान से बहुत प्यार करते थे। साईं लाडी शाह जी ने इस दुनिया को छोड़ने के बाद, गुरुदास मान अब साई लाडी शाह जी और बाबा मुराद शाह जी की याद में मेले का आयोजन करते है।

यहांँ आयें कैसे ??

दिल्ली से नकोदर दरगाह बाइ सड़क 356 किलोमीटर की मात्र दूरी पर स्थित है। बाई ट्रेन का विकल्प भी उपलब्ध है जिससे इस मजार पर आप आसानी से पहुँच पाएंगे।

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