दार्जिलिंग के घूम स्टेशन को केंद्र के रूप में लें, तो उत्तर में दार्जिलिंग, पश्चिम में लेपचा जगत, मिरिक, तबकोसी, पोखरियाबोंग। दक्षिण में कार्शियांग और पूर्व में तिनचुले, लम्हटा। घूम से पश्चिम की ओर लेपचा दुनिया को पार करके सुखियापोखरी पहुंचा जा सकता है। वहां से कुछ और किलोमीटर की दूरी पर हम अपने गंतव्य पर पहुंचेंगे। पोखरियाबोंग।
तीन तरफ से पहाड़ियों से घिरा एक छोटा सा गाँव है पोखरियाबोंग। चंद लोगों की बस्ती है ये। घर की खिड़कियों से घूम, दार्जिलिंग, तुंग, सोनादर पहाड़ियाँ देखी जा सकती हैं। इसके अलावा भी होमस्टे से नीचे की पहाड़ियों में चाय के बागान देखने में बहुत अच्छे लगते हैं। हरी-भरी पहाड़ियों के ऊपर नीले आकाश में बादलों को खेलते देखने के लिए शाम यहां आई और फिर उन सभी जगहों के मोती जल उठे। पहाड़ों में रसोई के प्रति एक अलग ही लगाव पैदा हो गया। उनका जीवन इसी साफ सुथरी रसोई के इर्द-गिर्द घूमता है। यहां मैं तीन बार आ चुका हु।
होम स्टे से थोड़ा पैदल चलकर आप नदी किनारे पहुंच सकते हैं। कौन सी नदी, पता नहीं। बहते पानी की आवाज दूर नहीं। दूर-दूर के पहाड़ों में कार की बत्तियों का आना-जाना, सभी गांवों की तरह यहां भी दिन भर झींगुर की आहट साथ देती है। फूलों की कतारों से घिरे इस होम स्टे को सकनो कहते हैं। सकनों का अर्थ है स्मरण और इस नामकरण की सफलता को एक बार महसूस किया जा सकता है। तो चले आइए पोखरियाबोंग।
न्यू जलपाईगुड़ी या सिलीगुड़ी स्टेशन से एक जिप या अन्य गाड़ी रिजर्व करके पोखरियाबोंग बनाया जा सकता है। पूरा गाड़ी रिजर्व करने से ढाई से तीन हजार का खर्चा करके यहां आया जा सकता है। इसके अलावा भी होमस्टे प्रतिदिन एक से डेढ़ हजार प्रति व्यक्ति के हिसाब से खाना सहित बुक किया जा सकता है। सीजन या ऑफ सीजन के हिसाब से होम स्टे का खर्चा बढ़ता या घटता रहता है।