मध्य प्रदेश में क्षिप्रा नदी के किनारे स्थित उज्जैन ऐतिहासिक शहर होने के साथ-साथ एक धार्मिक नगरी भी है| भारत के 12 ज्योतिर्लिंग में से 2 मध्य प्रदेश में स्थित है जिसमें से एक महाकालेश्वर उज्जैन में स्थित है| संभवत: यह विश्व का एकमात्र ऐसा शिवलिंग है जिसे दक्षिणमुखी होने का गौरव प्राप्त है| यहां हर 12 वर्षों के बाद सिंहस्थ महाकुंभ मेला आयोजित होता है|
उज्जैन सड़क और रेल मार्ग द्वारा भारत के लगभग सभी बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है और निकटतम हवाई अड्डा इंदौर है जो उज्जैन से लगभग 55 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है|
उज्जैन घूमने के लिए 2 दिन का समय पर्याप्त है और रात्रि में रुकने के लिए यहां कई सारे होटल, धर्मशालाएं स्थित है|
प्रमुख दर्शनीय स्थल:-
रामघाट,क्षिप्रा नदी- ऐसा माना जाता है यहां स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है| इस घाट के आसपास कई सारे प्राचीन मंदिर है|
महाकाल मंदिर- यहां प्रातः 4:00 बजे होने वाली भस्म आरती विश्व प्रसिद्ध है जो चिता की ताजी राख से की जाती है और इस आरती के दर्शन के लिए आप ऑनलाइन बुकिंग करवा सकते हैं| महाकाल मंदिर प्रांगण में स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर को दर्शन के लिए साल भर में सिर्फ एक बार नागपंचमी के दिन खोला जाता है|
हरसिद्धि मंदिर- इस स्थान को शक्ति पीठ माना जाता है कहा जाता है कि यहां सती माता की हाथ की कोहनी आकर गिरी थी|
बड़ा गणेश मंदिर - यहां गणेश जी की एक विशाल प्रतिमा स्थापित की गई है|
गोपाल मंदिर- यह विशाल मंदिर, मराठा वास्तुकला का एक सुंदर उदाहरण है|
भारत माता का मंदिर- यह प्रदेश का पहला भारत माता का मंदिर है जिसमें भारत माता की 14 फीट ऊंची संगमरमर की प्रतिमा है|
गढ़कालिका मंदिर- कालिदास इनके उपासक थे|
विक्रम कीर्ति मंदिर- इसमें पुरातत्व संग्रहालय स्थित है|
मंगलनाथ मंदिर- उज्जैन नगरी को मंगल ग्रह की जननी कहा जाता है यहां मंगलवार के दिन विशेष पूजा अर्चना की जाती है|
काल भैरव मंदिर- इस मंदिर की प्रमुख विशेषता, मूर्ति द्वारा मदिरापान करना है मूर्ति द्वारा ग्रहण की जाने वाली शराब कहां जाती है यह एक रहस्य है जिसके बारे में कोई जानकारी नहीं है|
संदीपनि आश्रम- इस स्थान का उल्लेख महाभारत में होता है ऐसा कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण और उनके भाई बलराम तथा उनके मित्र सुदामा ने यहां गुरु संदीपनि से शिक्षा ग्रहण की थी|
राजा भर्तृहरि की गुफाएं- यहाँ राजा भृर्तहरि की समाधि है| महाराज भृर्तहरि, राजा विक्रमादित्य के बड़े भाई थे| ऐसा कहा जाता है कि इस गुफा के अंदर से चार धाम तक जाने का रास्ता है जो अब बंद है|
कालिया देह पैलेस- यह क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित है| यहां एक सूर्य मंदिर है|
पीर मछिंदर नाथ की समाधि- कहा जाता है कि इनका जन्म मछली के पेट से हुआ था इसलिए इन्हें मत्स्यनाथ, मीननाथ कहते हैं ये आदि शिव के शिष्य और गोरखनाथ के गुरु थे|
जंतर मंतर- महाराजा जयसिंह द्वारा निर्मित प्रसिद्ध पांच वेधशालाओं में से एक उज्जैन में स्थित है 18 वीं सदी में निर्मित इस वेधशाला के खगोलीय उपकरण आज भी कार्य कर रहे हैं|
चिंतामन गणेश- ऐसी मान्यता है कि इनके दर्शन से चिंता से मुक्ति मिलती है| श्रद्धालु मन्नत के पूरा होने के लिए यहां धागा बांधते हैं और उल्टा स्वास्तिक बनाते हैं|
उज्जैन आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए महाकाल मंदिर प्रबंधन समिति ने "उज्जैन दर्शन बस सेवा" शुरू की है जो श्रद्धालुओं को लगभग 13 प्रमुख स्थानों का दर्शन कराएगी|
इस बस की बुकिंग महाकाल मंदिर के निर्गम(EXIT) द्वार पर की जाती है|