
हमारा देश किस्से कहानियों, रहस्यमई जगहों , अनूठे और अनोखी जगहों से भरा पड़ा हैं। देश में अभी भी ऐसी ऐसी जगह हैं। जो रहस्यमई,चमत्कारी ,शक्तियों के कारण विख्यात है। " आस्था विश्वास की चीज है। जो की तथ्यों से परे हैं। " विज्ञान समय समय पर आस्था की परीक्षा लेता रहता है। लेकिन कभी कभी कुछ चीजे विज्ञान और तथ्यों के परे होती हैं।
आज एक ऐसे ही रहस्यमई,चमत्कारी, करामाती मंदिर की यात्रा पर चलते है। जिसके बारे में आम धारणा ये है की ये
मंदिर आने वाले बरसाती मौसम यानी की मानसून की पूर्व और सटीक भविष्यवाणी कर देता हैं। वैसे भी हमारा देश कृषि प्रधान देश हैं। और बरसात पर ही सारी कृषि केंद्रित होती है। उसपर अगर एक मंदिर ये बता दे की इस बार बारिश कैसी रहेगी तो ये अपने आप में बहुत बड़ी बात है।
पहले आप कुछ तस्वीरे देखिए। फिर आगे चलते हैं



तस्वीरे देखकर आप समझ गए होंगे ही की ये अति प्राचीन मंदिर हैं। इसकी बनावट अत्यधिक अनोखी हैं। ये अलग मंदिरों जैसा प्रतित नही होता । गुम्बद की शैली में बना हुआ हैं। जैसे कोई बौद्ध विहार हो।
इस अति प्राचीन मंदिर का नाम है। जगन्नाथ मंदिर। और ये मंदिर कानपुर महानगर के बेहटा बुजुर्ग नमक क्षेत्र में स्थित है। कहा जाता है की मंदिर के अंदर मुख्य मूर्तियों के ऊपर एक पत्थर है । जो बरसाती मौसम में बारिश से पहले ही सूचना दे देता है। जब या पत्थर पर पानी की बूंद दिखनी शुरू हो जाए तो समझा जाता है की मानसून आने वाला है।
अगर उस पत्थर पर बड़ी बड़ी बूंदे है और वो लगातार गिर रही है तो समझा जाता है की इस बार बारिश अच्छी होगी ।
और सिर्फ सीलन भर ही है। या बहुत छोटी बूंदे है। तो कमजोर मानसून रहेगा ।



गांवों के लोग इस मंदिर की भविष्यवाणी के हिसाब से ही
खेती करते है। और किवदंतियों के अनुसार हर बार इस मंदिर की भविष्यवाणी सच साबित होती हैं। बरसात के मौसम में तो छत टपकना आम बात है । लेकिन अगर कड़ी धूप निकल रही हो काफी दिनो से उस कड़ी धूप में इस मंदिर की छत पर पानी की बूंदे कैसे आती हैं। इसका कोई जवाब नही है। मंदिर की बनावट देखकर लगता है। और पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की रिपोर्ट के अनुसार ये मंदिर हजारों साल पुराना हैं। कितना पुराना है । इसकी कोई सटीक जानकारी नही है। मंदिर में भगवान विष्णु के रूप जगननाथ , उनके भाई बलभद्र, और बहन सुभद्रा की मूर्तियां स्थापित हैं।



मूर्तियां बेहद की आकर्षक और सजीव है। देखने में थोड़ी
रहस्य से भरपूर भी लगती हैं। लोगो की बड़ी आस्था हैं। इस मंदिर में खासकर खेती बाड़ी में रुचि रखने वाले लोगो की
क्योंकि बारिश आने की पूर्व सूचना इस मंदिर के माध्यम से उन्हें मिल जाती है । विभिन त्योहारों के अनुसार मूर्तियों को सजाया भी जाता हैं।

अपने देश की ये ही तो खूबसूरती है। देश आधुनिक भी हैं, देश प्राचीन भी है । यहां विज्ञान भी है। यहां विश्वास भी हैं ।
ऐसा विज्ञान और विश्वास का अनूठा संगम शायद ही किसी और देश में हो । ये और ऐसे प्राचीन मंदिर ही अब हमारी धरोहर है।
तो जब कभी आपका उत्तर प्रदेश की महानगरी कानपुर में आगमन हो तो इस मंदिर को देखना न भूलें।
पता – प्राचीन जगन्नाथ मंदिर, बेहट बुजुर्ग कानपुर
मंदिर मुख्य कानपुर से लगभग 25 किलोमीटर दूर हैं।
फिर मिलते है। ऐसी ही कुछ रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारी के साथ तब तक
Do whatever you want to do ,do double
But do not truble your mother । 😇