मूनलैंड के लिए प्रसिद्ध लामायुरु में बिताया एक दिन, इसके बिना लद्दाख की यात्रा अधूरी

Tripoto
Photo of मूनलैंड के लिए प्रसिद्ध लामायुरु में बिताया एक दिन, इसके बिना लद्दाख की यात्रा अधूरी by Musafir Rishabh

लद्दाख घूमने वालों के लिए किसी जन्नत से कम नहीं है। लद्दाख में कई सारी सुंदर घाटियाँ, ट्रेक और झील हैं। लद्दाख को लैंड ऑफ मोनेस्ट्रीज और लैंड ऑफ लामा भी कहा जाता है। यहाँ पर कई सारे गाँव हैं जो वाक़ई में देखने लायक़ हैं। लद्दाख में एक ऐसी भी जगह है जहां आकर मुझे लगा कि मैं एक अलग ही दुनिया में आ गया हूँ। लद्दाख की इस जगह का नाम है, लामायुरू।

Photo of मूनलैंड के लिए प्रसिद्ध लामायुरु में बिताया एक दिन, इसके बिना लद्दाख की यात्रा अधूरी by Musafir Rishabh

लद्दाख की कई जगहों को एक्सप्लोर करने के बाद अब मुझे लामायुरू जाना था। लेह शहर से लामायुरू लगभग 127 किमी. की दूरी पर है। लामायुरु समुद्र तल से लगभग 3,510 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। लामायुरू लेह-श्रीनगर नेशनल हाइवे 1 पर स्थित है। लेह से लामायुरू के लिए एक सीधी बस दोपहर में चलती है लेकिन मुझे सुबह निकलना था ताकि लामायुरू को दिन में घूमा जा सके। काफ़ी पता करने के बाद पता चला कि पोलो ग्राउंड से हर रोज़ सुबह कारगिल के लिए बस चलती है जो लामायुरू होकर गुजरती है। एक दिन पहले पोलो ग्राउंड जाकर बस का टिकट ले लिया।

सफ़र शुरू

Photo of मूनलैंड के लिए प्रसिद्ध लामायुरु में बिताया एक दिन, इसके बिना लद्दाख की यात्रा अधूरी by Musafir Rishabh

अगले दिन सुबह- सुबह मैं नामग्याल चौक पर पहुँच गया। कुछ देर में बस आ गई और मेरा सफ़र शुरू हो गया। कारगिल जाने वाली बस एकदम भरी हुई थी। बस अपनी रफ़्तार से बढ़ रही थी और रोड भी एकदम बढ़िया था। लगभग 2 घंटे तक लगातार बस पहाड़ों के बीच चलती रही। बस खालसी में रूकी। यहाँ पर एक पंजाबी ढाबे पर पराँठे का नाश्ता किया। लगभग आधे घंटे के बाद बस चल पड़ी। थोड़ी देर में चढ़ाई वाला रास्ता शुरू हो गया। थोड़ी देर में बस लामायुरू पहुँच गई।

लामायुरु

Photo of मूनलैंड के लिए प्रसिद्ध लामायुरु में बिताया एक दिन, इसके बिना लद्दाख की यात्रा अधूरी by Musafir Rishabh

लामायुरु पहुँचने के बाद मैंने एक होटल में रहने का ठिकाना लिया। होटल में थोड़ी देर आराम किया और तैयार होने के बाद निकल पड़ा लामायुरू मोनेस्ट्री को देखने के लिए। लामायुरू मठ लद्दाख के सबसे पुराने और सबसे बड़े मठ में से एक है। कहा जाता है कि इस जगह पर एक झील हुआ करती थी। इसके पास में एक गुफा में महिद्ध नरोपा साधना करने आए। झील सूखने के बाद इस जगह पर मठ की स्थापना हुई। इस मठ का इतिहास 11वीं सदी से शुरू होता है जब बौद्ध भिक्षु अरहत मध्यनतीका ने लामायुरु में मठ की नींव रखी थी।

Photo of मूनलैंड के लिए प्रसिद्ध लामायुरु में बिताया एक दिन, इसके बिना लद्दाख की यात्रा अधूरी by Musafir Rishabh

पैदल-पैदल चलते हुए लामायुरू मठ के अंदर पहुँच गया। मठ के अंदर जाने के लिए टिकट लेना पड़ता है। लामायुरू मठ में तीन मंदिर हैं जिनको आप देख सकते हैं। लामायुरू मोनेस्ट्री में सबसे पहले मैं प्रार्थना हॉल गया। इस प्रार्थना हॉल को दुखांग के नाम से जाना जाता है। प्रार्थना हॉल के अंदर कई सारे बौद्ध देवताओं की मूर्ति रखी हुई हैं। प्रार्थना हॉल के अंदर फ़ोटो व वीडियो लेना सख़्त मना है। इसके बाद मैं लाखांग मंदिर गया। लाखांग मंदिर काफ़ी छोटा है लेकिन मंदिर की नक़्क़ाशी काफ़ी शानदार है और मूर्तियाँ भी बेहद पुरानी रखी हुईं हैं। इसके बाद मैंने गोखांग मंदिर को भी देखा। लामायुरू मोनेस्ट्री से बेहद सुंदर नजारा दिखाई देता है। लामायुरू मोनेस्ट्री के पास में एक होटल है, यहाँ पर हमने खाया और उसके बाद आराम करने के लिए होटल लौट आए।

लामायुरु गांव

Photo of मूनलैंड के लिए प्रसिद्ध लामायुरु में बिताया एक दिन, इसके बिना लद्दाख की यात्रा अधूरी by Musafir Rishabh

होटल में कुछ देर आराम करने के बाद शाम के समय लामायुरू गाँव को एक्सप्लोर करने के लिए निकल पड़ा। लामायुरू मठ के नीचे ही पूरा लामायुरू गाँव बसा हुआ है। लामायुरू गाँव वैसा ही जैसा एक गाँव होता है। पालतू पशु अपना चारा चर रहे थे और लोग अपने रोज़ के काम में लगे हुए थे। लामायुरू गाँव के घरों को देखकर लग रहा था कि हम किसी पुराने समय में पहुँच गए हों। लामायुरू गाँव में कई पुराने घर हैं। ऐसे ही घूमते हुए गाँव में एक जगह ऐसी आई, जहां पर कई सारे गोंपा बने हुए हैं। मिट्टी के बने ये गोंपा खंडहरनुमा हो गए थे और कुछ तो पूरी तरह से टूट गए थे।

Photo of मूनलैंड के लिए प्रसिद्ध लामायुरु में बिताया एक दिन, इसके बिना लद्दाख की यात्रा अधूरी by Musafir Rishabh

ऐसे ही गाँव घूमते हुए अंधेरा हो गया। पहाड़ों में अंधेरा अचानक से आ जाता है। अंधेरा होते ही ठंडी-ठंडी हवा चलने लगी। मैं वापस अपने होटल आ गया और इसके बाद खाना खाकर सोने चला गया। अगले दिन सुबह-सुबह ट्रक से लिफ़्ट लेकर लेह आ गया। वो भी एक शानदार अनुभव रहा। लामायुरू लद्दाख का एक बेहद प्यारा और शानदार गाँव है। इस ऐतिहासिक लामायुरू में हर साल एक फ़ेस्टिवल होता है, जिसको देखने के लिए लोग बड़ी संख्या में आते हैं। अगर आपको भी मौक़ा मिले तो लद्दाख के लामायुरु ज़रूर जाएँ।

क्या आपने लद्दाख के लामायुरु की यात्रा की है? अपने अनुभव को शेयर करने के लिए यहाँ क्लिक करें।

बांग्ला और गुजराती में सफ़रनामे पढ़ने और साझा करने के लिए Tripoto বাংলা और Tripoto ગુજરાતી फॉलो करें।

रोज़ाना टेलीग्राम पर यात्रा की प्रेरणा के लिए यहाँ क्लिक करें।