मैंने पहाड़ों में एक हफ्ते तक काम किया और ये रहा मेरा अनुभव #workcation

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फोटो: ©शताक्षी गुप्ता

2020 और लगभग आधा 2021 भी हम में से अधिकांश लोगों के लिए बहुत अच्छा नहीं रहा। खासकर हम-आप जैसे मुसाफिर या जिन लोगों को अपनी ट्रेवेल प्लानिंग को रद्द करना पड़ा है। इसका तकलीफ तो वही लोग जानते हैं। दरअसल मैं भी उन लोगों में से ही हूं जो पिछले 6 से 7 महीने से यात्रा करने के लिए कहीं घूमने के लिए तड़प रहा हूं। फिर मुझे 2020 को विदा करने के लिए उपाय सूझी। मैंने सोचा पूरा साल जैसा भी रहा हो, कम-से-कम कुछ खूबसूरत यादों के साथ 2020 को समाप्त तो कर ही सकते हैं।

रिमोट वर्किंग (वर्क फ्रॉम होम/एनिव्हेयर) भारत में इतना लोकप्रिय नहीं रहा है। हालांकि, अनलॉकिंग के बाद, मुझे पता चला कि दरअसल पहाड़ों में भी लोग अपने घरों से काम कर रहे हैं। अब मैंने सोचा, क्यों न इसी को अनुभव किया जाए। मैंने तय कर लिया कि कुछ दिन पहाड़ों में रहते हुए जॉब का काम करूंगा।

मैंने कसौली (Kasauli) को चुना

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मेरे पास एक सप्ताह का समय था इसलिए मैंने एक सप्ताह के प्रवास के लिए कसौली को चुना। क्योंकि नोएडा से 300 किमी की दूरी पर स्थित इस हिल स्टेशन तक ड्राइव करना आसान था। हमें पहुंचने में करीब 6 से 7 घंटे लग गए। मैंने जो होम स्टे बुक किया था वह कसौली से 2 किमी पहले मशोबरा (Mashobra) में था। यह रहने और प्रकृति का आनंद लेने के लिए अनोखा और एकांत शांत जगह है।

एक बार हिमाचल सरकार के पर्यटन विभाग द्वारा पर्यटकों का स्वागत शुरू करने के बाद, राज्य के सभी पर्यटक स्थल पर्यटकों से भर जाएंगे। इससे बचने के लिए मैं एक कम प्रसिद्ध लेकिन खूबसूरत स्थान की तलाश भी कर रहा था। मेरा विश्वास करें, अगर आप कसौली जाते हैं तो स्मृति-पटल पर बेहतरीन यादों को ले कर लौटेंगे।

वर्ककेशन (वर्क+वैकेशन) की योजना बना रहे हैं तो ये बातें आपको पता होनी चाहिए

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काम के सिलसिले में यात्रा की योजना बनाना मेरे लिए आसान नहीं था। मुझे इसके लिए किसी सामान्य यात्रा या ट्रेक की तुलना में अधिक समय लगा। कारण, काम के सिलसिले में अच्छा इंटरनेट कनेक्शन मेरी प्राथमिकता थी। इसके अलावा, मैंने खाना पकाने की सुविधा के साथ वाले होमस्टे को प्राथमिकता दी। क्योंकि कोविड समय के दौरान एहतियाती कदम उठाना जरूरी था।

अधिकांश होमस्टे में वाईफाई कनेक्शन नहीं था, लेकिन वे जियो के डोंगल दे रहे रहे थे। हालांकि, होमस्टे के मालिक दावा कर रहे थे कि जियो इस क्षेत्र में अच्छा काम करता है, लेकिन मुझे डर था, क्योंकि मेरे काम के लिए न्यूनतम 10Mbps स्पीड इन्टरनेट की आवश्यकता थी। यही एक मात्र कारण यही है जिसके लिए वर्ककेशन पर जाना मुझे मुश्किल लगता था।

क्या आपको हिमाचल में इंटरनेट कनेक्शन के बारे में चिंता करनी चाहिए?

मेरा अनुभव यह है, कि जिस होमस्टे में मैं रुका था, उसमें वाईफाई कनेक्शन तो था लेकिन, दुर्भाग्य से ग्राउंड फ्लोर, जहां मैं रुका था, तक सिग्नल नहीं मिल पाता। होमस्टे के मालिक ने मुझे जियो का डोंगल दे दिया। और आपको पता है, इसने मेरे काम को बिलकुल प्रभावित नहीं किया।

आपको बस सही जगह खोजने की जरूरत है। जहां नेटवर्क की पहुंच अच्छी हो। मेरा कमरा एकदम सही जगह घाटी में खुलने वाला बालकनी वाला कमरा था। जियो के अलावा, यहां तक कि वोडाफोन भी 7 एमबीपीएस के साथ पूरी तरह से ठीक काम कर रहा था। कभी-कभी तो जियो भी 12 एमबीपीएस तक पहुंच गया।

तो जवाब है नहीं, आपको इंटरनेट के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है। हिमाचल में, जियो का नेटवर्क वर्ककेशन के लिए कमोबेश उपयुक्त है। लेकिन डोंगल या वाईफाई सुविधा के बारे में एक बार जहां रुकें, वहां पुष्टि कर लें।

वर्ककेशन का अनुभव कैसा रहा?

1. पहाड़ की खूबसूरती के बीच नाश्ता

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पहाड़ों में हर सुबह आम दिनों से बिल्कुल अलग थी। मैं बिना किसी अलार्म घड़ी के सुबह 6 बजे उठ जाता और हर दिन चारों तरफ पहाड़ों के साथ मॉर्निंग वॉक पर जाता था। पहाड़ की सुंदरता को निहारते हुए सुबह का नाश्ता करना कुछ ऐसी चीज है जो मुझे वहां से लौटने के बाद सबसे ज्यादा याद आती है।

2. मंडे की नो टेंशन!!

मेरे सोमवार की शुरुआत एक छोटी पैदल यात्रा से हुई, जो मेरे होमस्टे से ही शुरू हुई। पगडंडियां काफी अच्छी थी। मानसून के दौरान, आप रास्ते में कई झरने और अनोखे पक्षी भी देख सकते हैं। एक घंटे तक जंगल की थाह लेने के बाद हम लगभग 9 बजे वापस आ गए। फिर काम शुरू करने के लिए तैयार हो गए। वैसे दोस्तों, दिन की शुरुआत तो काफी दिलचस्प थी। है ना?

3. काम करने का कोना ढूंढना सबसे कठिन था

पूरा शहर सुंदर नजारों और प्राकृतिक खूबसूरती से नवाजी गई है। मैं तय नहीं कर पा रहा था कि कहां बैठ कर काम करूं। घर के भी हर कोने में सुंदर दृश्य और शांति थी। मुझे अपने काम से किसी भी प्रकार की रुकावट महसूस हुई। बल्कि मुझे लगा कि मैं पहले से अधिक ऑफिस प्रोडक्टिव हो गया हूं। मैं अपने काम के घंटों का आनंद ले रहा हूं। लैपटॉप के सामने पहाड़, आपको कभी निराश नहीं होने देंगे।

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4. बालकनी- लंच के बाद का मेरा वर्कस्टेशन

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मेरा होमस्टे पूरी तरह हरियाली से घिरा हुआ था, दिन के समय आप कुछ अनोखे पक्षियों और जानवरों को देख सकते थे। मैंने अपनी बालकनी से एक लोमड़ी को भी दो बार देखा।

दोपहर के भोजन के बाद मैं बालकनी पर काम करता था, यही वह समय था जब मुझे कुछ धूप मिल पाती थी। विश्वास करें, पहाड़, जंगल, हरियाली के कार्न मौसम हमेशा ठंडा रहता है।

5. शाम के ब्रेक में सूर्यास्त को देखना

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शाम को काम से छुट्टी के बाद मैं पास में ही टहलने चला जाता था। यहां रहते हुए मैंने शानदार सूर्यास्त काल को देखा। आप यकीन नहीं करेंगे उनमें से एक सूर्यास्त बिंदु से नहीं बल्कि मेरे होमस्टे से ही था। जी हां, यह सच है!!

मैं कुल मिलाकर उन 5 वर्ककेशन वाले दिनों के लिए एक अद्भुत अनुभव कर रहा था।

**खूबसूरती को कानों से नहीं, आंखों से देखें**

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यह ट्रैवल स्टोरी, शताक्षी गुप्ता द्वारा इंग्लिश में लिखी गई आर्टिकल का हिंदी अनुवाद है, यहां पढ़ें

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