उत्तराखंड में हरी भरी वादियों के बीच नदी किनारे छिपी ये खूबसूरत जगह..जहां से देश को मिला "भारत" नाम

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Photo of उत्तराखंड में हरी भरी वादियों के बीच नदी किनारे छिपी ये खूबसूरत जगह..जहां से देश को मिला "भारत" नाम by We The Wanderfuls
Day 1

जब भी हम उत्तराखंड में घुमने की सोचते हैं तो मसूरी, नैनीताल जैसे नाम दिमाग में आते हैं.... लेकिन अगर हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताएं जो न सिर्फ प्राकृतिक सुंदरता से भरी हुई है बल्कि ये जगह भारतवर्ष के पौराणिक इतिहास से भी जुडी हुई है ... तो क्या आप वहां नहीं जाना चाहेंगे ??

हम बात कर रहे हैं कण्वाश्रम की जो की कोटद्वार, उत्तराखंड में स्थित है। यह अभी तक पर्यटकों की भीड़ से बचा हुआ है और इसीलिए यह अभी भी प्रकृति की अद्भुत सुंदरता और बेहद सुकून भरे वातावरण से घिरा हुआ है।

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कोटद्वार, उत्तराखंड के महत्वपूर्ण शहरों में से एक जिससे गढ़वाल का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है। कोट का अर्थ होता है पहाड़ी ... मतलब "पहाड़ियों का द्वार"। तो चलिये आपको बताते हैं हमारी कण्वाश्रम यात्रा के बारे में...

कोटद्वार शहर से कण्वाश्रम

कण्वाश्रम कोटद्वार शहर से करीब 10 किलोमीटर दूर, शहर की भीड़ भाड़ से दूर मालिनी नदी के किनारे एक शांति से भरी जगह स्थित है। कण्वाश्रम जाते समय शहर से बाहर निकलते ही हम अपने आप को प्रकृति की ख़ूबसूरती के बहुत करीब महसूस कर रहे थे...नदी के बहते पानी की हल्की सी आवाज और सामने की और दिख रही थी हरी-भरी पहाड़ियाँ... तब ही हमें एहसास हो गया था कि आने वाली जगह बेहद खूबसूरत है और सुकून से भरी होगी..

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कुछ और आगे चल कर हमें दिखा एक बड़ा खेल का मैदान जहां बच्चे खेल रहे थे और ग्रीन ग्राउंड के बीच में था एक विशाल बरगद का पेड़ जो की इतना आकर्षक ग रहा था कि हमें कुछ देर वहां रुकना ही पड़ा।

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जंगल के बीच का सफर

कण्वाश्रम पहुंचने से पहले हमें एक रास्ते से गुजरना पड़ा जो जंगल के बीच में है और जो हमारे लिए काफी रोमांचक था...बस हम अपनी कार से नीचे आकर अतिरिक्त रोमांच के लिए तैयार नहीं थे... क्योंकि हमने सुना था कि वहां कभी-कभी लोगों को तेंदुआ घूमते हुए मिल जाता है।

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अंत में हम कण्वाश्रम कार पार्किंग पहुंचे और वहां अपनी कार खड़ी की। उसके बाद जो नजारा हमने देखा वह उम्मीद से कहीं ज्यादा अद्भुत था। हमारी बेटी इहाना के लिए यह पहली उत्तराखंड यात्रा थी इसलिए एक छोटे लेकिन प्यारे झरने के साथ खूबसूरत मालिनी नदी को देखने के बाद... वह हमें अपने इशारों से नदी के पास जाने के लिए कहने लगी। हमने अपनी बेटी के उत्साह को देखकर मुख्य आश्रम जाने से पहले नदी के किनारे जाने का फैसला किया।

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नदी के किनारे कुछ अविस्मरणीय पल

यकीन मानिए, नदी में बहने वाले पानी में आपके पूरे शरीर को फिर से जीवंत करने की वास्तविक शक्ति होती है, जब यह आपके शरीर के किसी भी हिस्से को छूती है... जिसे हम उस समय महसूस कर रहे थे।

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हमने झरने के पास और नदी के किनारे बहुत अच्छा टाइम बिताया..और यह हमेशा के लिए हमारी अविस्मरणीय यादों में रहेगा। साथ ही यह जगह कुछ बेहतरीन तस्वीरें क्लिक करने के लिए बहुत अच्छी है, इसलिए हम भी ऐसा करने से खुद को रोक नहीं पाए...

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कण्वाश्रम

नदी में कुछ अच्छा समय बिताने के बाद हम आश्रम की तरफ गए...करीब 50-60 सीढ़ियां चढ़कर हम आश्रम पाहुचे जहां का मुख्य गेट बंद था लेकिन एक छोटा रास्ता खुला था जहां से हम अंदर गए। आश्रम का माहौल बहुत शांत था...एक हरा-भरा बगीचा और बीच में राजकुमार भरत और ऋषि कण्व का मंदिर, वहां राजकुमार भरत को शेर के दांत गिनते हुए दिखाया गया है।

सम्राट भरत शेर के दांत गिनते हुए

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कण्वाश्रम - सम्राट भरत का जन्मस्थान

कोटद्वार में कण्वाश्रम, ऐतिहासिक और पुरातात्विक दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण गंतव्य है। ऐसा माना जाता है कि इस स्थान पर ऋषि विश्वामित्र ने ध्यान किया था। विश्वामित्र के गहन ध्यान के डर से, देवराज इंद्र ने ऋषि विश्वामित्र को विचलित करने के लिए मेनका को स्वर्ग से भेज दिया। मेनका ने ऋषि को बहकाने और इस प्रकार ध्यान भंग करने में सफलता प्राप्त की। उनके मिलन के बाद एक बेटी का जन्म हुआ। उनकी बेटी का नाम शकुंतला था जो ऋषि कण्व के आश्रम में रह गई थी। बाद में शकुंतला ने महाराज दुष्यंत से विवाह किया जो हस्तिनापुर के शासक थे और फिर उन्होंने राजकुमार भरत को जन्म दिया। इस नाम - भरत के आधार पर ही हमारा देश भारतवर्ष और इस प्रकार भारत कहलाया

Photo of Kotdwar by We The Wanderfuls

कण्वाश्रम

Photo of Kotdwar by We The Wanderfuls

अधिक जानकारी के लिए आप हमारे YouTube चैनल WE and IHANA पर जा सकते हैं या फिर हमारा ज्वालपा देवी मंदिर का Vlog भी देख सकते हैं

https://www.youtube.com/c/WEandIHANA

कण्वाश्रम कैसे पहुँचे?

सड़क मार्ग द्वारा: कोटद्वार कई शहरों से जुड़ा हुआ है। दिल्ली से कोटद्वार करीब 240 किमी है और कोटद्वार से कण्वाश्रम 15 किमी की दूरी पर है।

रेल मार्ग द्वारा: नजदीकी रेलवे स्टेशन कोटद्वार स्टेशन है। वहाँ से फिर टैक्सी आदि से कण्वाश्रम पहुँचा जा सकता है।

हवाई मार्ग द्वारा: यहाँ का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा जौलीग्राँट एयरपोर्ट,देहरादून है जो कोटद्वार से करीब 100 किमी की दूरी पर है।

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