टेक्सटाइल डिज़ाइनर्स और क्राफ्ट लवर्स के लिये स्वर्ग है कैलिको म्यूजियम ऑफ़ टेक्सटाइल्स जो गुजरात के अहमदाबाद शहर में शाहीबाग जैन कॉलोनी में स्थित है. यह म्यूजियम ट्रेडिशनल टेक्सटाइल्स, हैंडीक्राफ्ट, पेंटिंग्स, प्रिंटिंग, हैण्डलूम, आर्ट के विभिन्न प्रकारों को देखने समझने और जानने के लिये बहुत सुन्दर जगह है। मेरी पिछले कई वर्षों से यहाँ जाने की इच्छा थी लेकिन एडवांस बुकिंग करानी होती है और ये बात तब मुझे पता नहीं थी इसलिए पिछले बार बिना बुकिंग के गया था तो विजिट नहीं हो पाया था। यहाँ सिर्फ गाइडेड टूर ही एडवांस बुकिंग पर करवाये जाते है। बुकिंग वेबसाइट या ई मेल जरिये करवाई जा सकती है. एंट्री निशुल्क है.
यह गाइडेड टूर छुट्टी वाले दिनों को छोड़कर प्रतिदिन दो शिफ्ट में अलग अलग गैलरी में करवाए जाते है. पहल टूर सुबह 10.30 से दोपहर 12.30 तक चलता है जिसमे प्राचीन भारतीय कलाओं जैसे पिछवाई पेंटिंग, मूर्तिकला, माटीकला, प्रिंटिंग, बुनाई आदि को प्रदर्शित किया गया है. इसमें 100 से लेकर 500 साल पुराणी असली वस्तुओं का संग्रह प्रदर्शित किया गया है. दूसरा गाइडेड टूर दोपहर 02.30 से शाम 04.30 तक चलता है जो पूरी तरह भारत की परम्परागत टेक्सटाइल्स से बनी हुई वस्तुओं जैसे कालीन, टेंट (शामियाने), दरी, साड़ी, वस्त्र आदि को प्रदर्शित किया गया है. इनमे प्राचीन कलाओं जैसे एम्ब्रायडरी, ब्लाक प्रिंट, पेंटिंग्स, बुनाई आदि के उपयोग से बनी हुई वस्तुओं का बहुत ही कलात्मक एवं दुर्लभ संग्रह रखा गया है.
यह संग्रहालय भारत के प्रसिद्ध कपड़ा संग्रहालयों में से एक है और यह भारतीय कपड़ों की विविध संग्रह के कारण दुनिया भर में जाना जाता है। पूरी दुनिया में यहां का कलेक्शन प्रसिद्ध है। इस संग्रहालय में विभिन्न डिजाइन, रंग और पैटर्न के वस्त्र देखने को मिलते हैं, जो भारत के कोने-कोने से एकत्र किये गए है।
कैलिको संग्रहालय को गौतम साराभाई और उनकी बहन जीरा साराभाई द्वारा 1949 में शुरू किया गया था। ये संग्रहालय अहमदाबाद शहर में सबसे पसंदीदा पर्यटक आकर्षणों में से एक है। ये म्यूजियम ना केवल मुग़ल युग के दौरान भारत में बने प्राचीन वस्त्र और कपड़े प्रदर्शित करता है, बल्कि यह देश के विभिन्न हिस्सों में कपड़ा उद्योग की प्रगति का वर्णन भी करता है। ये संग्रहालय कला के उत्कृष्ट कार्य द्वारा लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
इस संग्रहालय में बहुत सारा कलेक्शन प्रसिद्ध उद्योगपति एवं स्वतंत्रता सेनानी श्री अम्बालाल साराभाई का है जो अहमदाबाद के प्रमुख उद्योगपति थे। उन्होने भारत के स्वतन्त्रता संग्राम में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे साराभाई समूह के संस्थापक थे जिसमें साराभाई टेक्स्टाइल्स, कैलिको टेक्स्टाइल मिल्स, साराभाई केमिकल्स एवं अन्य कम्पनियाँ आती हैं। इनके सहयोग से गांधी जी ने साबरमती आश्रम का निर्माण कराया था.
इन्ही अम्बालाल साराभाई के पुत्र थे प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी श्री विक्रम अंबालाल साराभाई (12 अगस्त, 1919 - 30 दिसंबर, 1971) जो भारत के प्रमुख वैज्ञानिक थे। इन्होंने 86 वैज्ञानिक शोध पत्र लिखे एवं 40 संस्थान खोले। इनको विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में सन 1966 में भारत सरकार द्वारा पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। यह विक्रम साराभाई ही थे जिन्होंने अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में भारत को अंतर्राष्ट्रीय मानचित्र पर स्थान दिलाया। लेकिन इसके साथ-साथ उन्होंने अन्य क्षेत्रों जैसे वस्त्र, आणविक ऊर्जा, इलेक्ट्रानिक्स और अन्य अनेक क्षेत्रों में भी बराबर का योगदान किया।
मल्लिका, नर्तकी मृणालिनी साराभाई और प्रमुख अंतरिक्ष वैज्ञानिक विक्रम साराभाई की बेटी है। मल्लिका साराभाई (1954 -) एक मशहूर कूचिपूडि, भरतनाट्यम् नर्तकी, मन्च अभिनेत्री, निदेशक और एक सामाजिक कार्यकर्ता है। समानांतर सिनेमा से अपने फिल्मी जीवन की शुरुआत की। मल्लिका ने पीटर ब्रुक के नाटक महाभारत में द्रोपदी की भूमिका निभाई। इस नाटक पर बाद मै फिल्म भी बनी। मल्लिका, दर्पणा अकादमी ऑफ आर्टस् (अहमदाबाद) की निदेशक भी है।
यहाँ हमने कई दुर्लभ चीजे देखी - जैसे 15 वीं शताब्दी में सम्राट अकबर के दरबार में अबुल फज़ल एक इतिहासकार थे जो अकबर के नवरत्नों में शामिल थे. अबुल फज़ल ने 2000 पन्नो की समकालीन इतिहास की पोथी लिखी थी उसी पोथी का एक ओरिजिनल पन्ना इस संग्रहालय में रखा गया है. इसी तरह अकबर ने नाथद्वारा के कृष्ण मंदिर में भगवान कृष्ण की मूर्ति को पहनाने के लिए शाही परिवार की ओर से वस्त्र भेंट किये थे. इसी प्रसंग को दर्शाने वाली एक बहुमूल्य पेंटिंग जो करीब 200 साल पुरानी है वो भी यहाँ प्रदर्शित की गई है जिसे पिछवाई के नाम से जाना जाता है. इस पेंटिंग में कॉटन का कपडा है और प्राकृतिक कलर्स से जीवन्तता से पेंटिंग बनाई गई है.
इसी तरह से गुजरात के पालीताणा के जैन तीर्थ को भी एक पेंटिंग में दिखाया गया है. कहा जाता है कि पालीताणा के जैन तीर्थ में 200 मंदिर है जो एक पहाड़ी पर स्थित है तथा इन्हें पैदल सूर्योदय से सूर्यास्त खाली पेट दर्शन करना होता है जो सभी के लिए संभव नहीं हो पाता. इसलिए ऐसे व्यक्तियों के लिए ये पेंटिंग बनवाई गई थी जिसमे सभी मंदिरों को एक साथ दिखाया गया है.
वस्त्रों का यह संग्रहालय न केवल देश में अपितु विश्व में महत्त्वपूर्ण एवं प्रमुख संग्रहालय है। वस्त्रों के कैलिको संग्रहालय में देश भर के विभिन्न क्षेत्रों एवं अलग-अलग काल में बने कपड़ों का भव्य संग्रह दर्शाया गया है। इस प्रकार का संग्रहालय बनाने के पीछे मुख्य उद्देश्य देश की वस्त्र विरासत के प्रति जागरूकता जगाना, उसका संरक्षण तथा सशक्तीकरण करना है। यह संग्रहालय साराभाई फाउंडेशन के परिसर में स्थित है। यह संग्रहालय डॉ. आनंद कुमारास्वामी से प्रभावित था तथा इसे कैलिको के एक विशाल कारखाने में स्थापित किया गया था। वर्तमान में जहां यह संग्रहालय स्थित है, उस जगह पर इसे 1983 में स्थानांतरित किया गया था।
तो हो आइये गुजरात के इस कपड़ो के संग्रहालय में जिसमे प्राचीन भारत की लगभग सभी परंपरागत कलाओ के एक साथ संगृहीत किया गया है.
- कपिल कुमार
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