देश का तापमान धीरे-धीरे बढ़ रहा है यानी जल्द ही गर्मियां पूरे जोश के साथ धावा बोलने को तैयार हैं | ऐसे में किन पहाड़ों में गर्मियों की छुट्टियां बितानी है ये तय करने का वक्त आ गया है। आपका प्लान बनने से पहले ही बता दूँ मनाली, नैनीताल और शिमला जैसे हिल स्टेशन सैलानियों की भरमार और पानी की कमी जैसे मुद्दों से जूझ रहे हैं | इन हालातों में ऐसे हिल स्टेशनों की ओर भूल कर भी नहीं जाना चाहिए मगर इसका मतलब ये नहीं की आप धूप की मार झेलते हुए गर्मियों में कहीं छुट्टी मनाने ही ना जाएँ | तो इस बार गर्मियों की छुट्टियों का मज़ा भीड़- भाड़ में नहीं बल्कि कुदरत के खूबसूरत नजारों से लदे हुए इस छोटे से पहाड़ी गाँव में बिताएं।
शिमला से 100 कि.मी. दूर बेरल नामक इस गाँव में वो सब कुछ मिलेगा जिसकी तलाश आपको पहाड़ों की गोद में आकर होती है | हरे-भरे पहाड़ी मैदान, अनछुए पहाड़ी रास्ते, पौराणिक मंदिर और प्यार लुटाते स्थानीय लोग; रोहरू जिले में बसे इस गाँव में छुट्टी मनाते हुए इन सबके अलावा और भी बहुत कुछ मिलेगा |
बेरल की ओर यात्रा क्यों करें :
1. अनछुए पहाड़ी रास्तों में घूमते हुए पर्वतों की सैर करें
चूँकि बेरल अभी भी भारी पर्यटन के चंगुल से दूर है, यहाँ की हवा में आज भी अलग ही ताज़गी है | इसलिए बेरल में आज भी प्रकृति का रूप बेहद सुंदर दिखता है, ज़रूरत है तो बस पैदल निकल पड़ने की | बेरल के आस-पास के इलाके में घने जंगलों से गुज़रती हाइकिंग और ट्रेकिंग के लिए कई रास्ते हैं | अपने अंदरूनी दिलेर को जगाइए और बेरल के इन पहाड़ी रास्तों पर ऐसे नज़ारे देखिए जो आप ज़िंदगी भर नहीं भूल पाएँगे |
2. गिरी गंगा मंदिर पर श्रद्धा सुमन अर्पित कीजिए
बेरल क्षेत्र के सभी पहाड़ी रास्तों में सबसे कठिन गिरी गंगा मंदिर का रास्ता है | ये प्राचीन मंदिर धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण तो है ही, साथ ही एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी है | कहानियों की माने तो ये मंदिर गंगा जल ला रहे एक महान साधु ने खोजा था | साधु के जल का लोटा इस मंदिर की जगह गिर गया और देवदार के घने जंगलों के बीच स्थित इस मंदिर की स्थापना हुई |
3. गाँव के जीवन के बारे में जाने
कुछ 100 लोगों वाले इस गाँव में ज़िंदगी प्यार और मेल-जोल की भावना के साथ बिताई जाती है | बेरल के स्थानीय लोग पर्यटकों के साथ बड़ी गर्मजोशी और दोस्ती के साथ रहते हैं | ये लोग आपको पूरा गाँव घुमाने के लिए भी हर दम तैयार रहते हैं| अगर आपके सामने कोई स्थानीय व्यक्ति गाँव घुमाने की बात कहे तो झट से उनके साथ चल पड़ें।अंत में स्थानीय व्यक्ति के साथ एक गर्म चाय की प्याली का आनंद लेते हुए खूब बातचीत करें |
4. शिमला में एक दिन घूम कर आएँ
यूँ तो बेरल में आपको दुनिया से दूर कुछ समय अपने साथ बिताने का मौका मिलेगा, मगर कुछ खरीदारी के बिना तो हर ट्रिप अधूरी सी ही लगती है | तो निकल जाइए हिमाचल की राजधानी शिमला के लिए जो अंग्रेजों के ज़माने में गर्मियों की प्रशासनिक राजधानी हुआ करती थी। दिन में शिमला की अंग्रेज़ी शिल्पकारी देखें, मॉल रोड पर खरीदारी करें, खाने पीने के लिए बैकपैकर्स कैफे है ही और शाम को स्कैंडल पॉइंट पर ढलते सूरज का नज़ारा देखें |
खाने में क्या है?
बेरल में पर्यटन कम ही है इसलिए स्थानीय ढाबों पर बना हुआ आम उत्तर भारतीय भोजन मिल जाएगा, लेकिन अगर आपको परंपरागत हिमाचली खाने का ज़ाएका लेना है तो कुछ ही दूर रोहरू में आपको बहुत से विकल्प मिल जाएँगे | अगर आप रोहरू में हैं तो इन बेहतरीन रेस्तरां पर ज़रूर जाएँ :
गुडटाइम्स रेस्तरां और कैफे
पंचरतन भोजनालय
चाइनाटाउन
घूमने का सही समय :
अगर आप यहाँ गर्मियों में घूमना चाह रहे हैं तो मार्च और मई के बीच का मौसम बेरल घूमने के लिए बढ़िया है | अक्बटूर से फरवरी के महीनों में तापमान काफ़ी नीचे गिर जाता है और कभी-कभी बर्फ भी गिरती है | सर्दियों में बेरल तभी जाएँ जब आपको सर्दी में ठिठुरना अच्छा लगता हो | जुलाई से सितंबर के महीनों में बेरल ना जाएँ क्योंकि यहाँ भारी बारिश के कारण सड़के तो खराब होती ही हैं साथ ही भू-स्खलन भी होता है |
कैसे पहुँचें?
नई दिल्ली से बेरल इन रास्तों के जरिए पहुँचा जा सकता है:
सड़क मार्ग से: बेरल नई दिल्ली से लगभग 450 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। 12 घंटे की ड्राइव भले ही थोड़ी लंबी हो सकती है मगर रास्ते में आने वाले नज़ारे सारी थकान मिटा देते हैं | यदि आप एक बार में ही बेरल तक ड्राइव करने का सोच कर रहे हैं तो किसी ऐसे व्यक्ति के साथ जाएँ जो रास्ते में कुछ देर ड्राइविंग में आपकी मदद कर सके |
रेल मार्ग द्वारा : चाहें तो नई दिल्ली से हिमाचल के प्रवेश द्वार कालका तक ही ट्रेन ले सकते हैं | कालका स्टेशन उतरकर कालका-शिमला ट्रेन पकड़ लें जो अगले 5 घंटे में आपको शिमला पहुँचा देगी | शिमला उतरकर स्टेशन के बाहर से बेरल के लिए टैक्सी कर लें (100 किमी दूर) |
हवाई जहाज़ द्वारा: बेरल से सबसे पास हवाई अड्डा 120 किमी दूर शिमला में है | नई दिल्ली से शिमला के लिए सीधी फ्लाइट की कीमत 5000 रु है | शिमला हवाई अड्डे से टैक्सी 4 घंटे में बेरल पहुँचा देती है |
बेरल में घूमना-फिरना
वैसे तो पूरे हिमाचल में ही राज्य सरकार की बसें चलती हैं, मगर क्योंकि बेरल एक छोटा सा गाँव है इसलिए यहाँ इतनी बस सुविधा नहीं है | बेरल के आस-पास का इलाका घूमना है तो अपनी बाइक या कार का जुगाड़ कर लें | अगर आप हवाई जहाज़ या रेल से बेरल आ रहे हैं तो दिन में घूमने के लिए टैक्सी किराए पर ले लें |
ठहरने की जगह
बेरल में ऐसे बहुत से यात्री आते हैं जो अपना टेंट लगाकर यहाँ जंगलों में कैंपिंग करना पसंद करते हैं | बहुत से बैकपैकर भी बेरल आते हैं जो यहाँ के स्थानीय परिवारों के साथ रहते हैं | छोटा सा गाँव होने की वजह से यहाँ होटल, रिज़ोर्ट या होमस्टे नहीं है | अगर आपको पहले से अपने रहने की बुकिंग करना सही लगता है तो बेरल के आस-पास के मुख्य कस्बों में रहने की जगह मिल जाएगी। रोहरू, डार्कोटी और शैलपानी जैसी जगहों पर सभी बजट के यात्रियों के लिए रहने की जगहें मौजूद हैं | बेरल की यात्रा के दौरान आप इन बेहतरीन जगहों में से एक ठहरने के लिए बुक करवा सकते हैं :
द्वारिका रेजीडेंसी
दो लोगों के लिए एक रात ठहरने का खर्चा 6500 रु हैं जिसमें नाश्ता और डिनर शामिल है |
टेथिस बाय द रिवर। (होम स्टे)
दो लोगों के लिए एक रात ठहरने का खर्चा 4000 रु हैं जिसमें नाश्ता शामिल है |
गिरि गंगा एडवेंचर्स
एक तम्बू में दो लोगों के लिए ठहरने का खर्च लगभग 2,000 रु प्रति रात है। कीमत में भोजन का खर्च शामिल नहीं है |
कभी पहाड़ों में किसी छोटे से गाँव की यात्रा की है? कहाँ गये थे और आपका अनुभव कैसा था? यहाँ क्लिक करें और Tripoto परिवार के साथ अपना अनुभव ज़ाहिर करें |
यात्रा की चुनिंदा कहानियों के लिए Tripoto का यू ट्यूब चैनल ज़रूर देखें जिसे देखकर आप बस घूमने निकल पड़ना चाहेंगे |
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