Gate way of india
गेटवे ऑफ़ इन्डिया (भारत का प्रवेशद्वार) भारत के मुम्बई शहर के दक्षिण में समुद्र तट पर स्थित एक स्मारक है। स्मारक को दिसंबर 1911 में अपोलो बंडर, मुंबई (तब बॉम्बे) में ब्रिटिश सम्राट राजा-सम्राट जॉर्ज पंचम और महारानी मैरी के प्रथम आगमन की याद में बनाया गया था। शाही यात्रा के समय, प्रवेशद्वार का निर्माण नहीं हुआ था, और सम्राट को एक कार्डबोर्ड संरचना के द्वारा बधाई दी गयी थी। 16 वीं शताब्दी के गुजराती वास्तुकला के तत्वों को शामिल करते हुए, इंडो-सारासेनिक शैली में निर्मित इस स्मारक की आधारशिला मार्च 1913 में रखी गई थी। वास्तुकार जॉर्ज विटेट द्वारा स्मारक का अंतिम डिजाइन 1914 में स्वीकृत किया गया था, और इसका निर्माण 1924 में पूरा हुआ था। 26 मीटर (85 फीट) ऊँची इस संरचना का निर्माण असिताश्म (बेसाल्ट) से किया गया है और यह एक विजय की प्रतीक मेहराब है। इस प्रवेशद्वार के पास ही पर्यटकों के समुद्र भ्रमण हेतु नौका-सेवा भी उपल्ब्ध है।
गेटवे ऑफ़ इन्डिया (भारत का प्रवेशद्वार) भारत के मुम्बई शहर के दक्षिण में समुद्र तट पर स्थित एक स्मारक है। स्मारक को दिसंबर 1911 में अपोलो बंडर, मुंबई (तब बॉम्बे) में ब्रिटिश सम्राट राजा-सम्राट जॉर्ज पंचम और महारानी मैरी के प्रथम आगमन की याद में बनाया गया था। शाही यात्रा के समय, प्रवेशद्वार का निर्माण नहीं हुआ था, और सम्राट को एक कार्डबोर्ड संरचना के द्वारा बधाई दी गयी थी। 16 वीं शताब्दी के गुजराती वास्तुकला के तत्वों को शामिल करते हुए, इंडो-सारासेनिक शैली में निर्मित इस स्मारक की आधारशिला मार्च 1913 में रखी गई थी। वास्तुकार जॉर्ज विटेट द्वारा स्मारक का अंतिम डिजाइन 1914 में स्वीकृत किया गया था, और इसका निर्माण 1924 में पूरा हुआ था। 26 मीटर (85 फीट) ऊँची इस संरचना का निर्माण असिताश्म (बेसाल्ट) से किया गया है और यह एक विजय की प्रतीक मेहराब है। इस प्रवेशद्वार के पास ही पर्यटकों के समुद्र भ्रमण हेतु नौका-सेवा भी उपल्ब्ध है।