मध्य भारत के बीच बहती इस किलोमीटर चौड़ी नदी को हिमालय के पिघलते बर्फ़ की आवश्यकता नहीं

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श्रेयः अक्सवीर

जिस नदी को बहने के लिए किसी ग्लेशियर की ज़रूरत न होती हो, बस मॉनसून के पानी से ही वो लोगों की सेवा करे। पानी इतना साफ़, कि माँ गंगा भी उसके पास ख़ुद को साफ़ करने आती हैं, उसका नाम आप जानते हैं? उस नदी का नाम है नर्मदा नदी।

उम्मीद है इस नदी को सब जानते पहचानते हैं। इतिहास की किताबों में इस नदी पर सवाल पूछकर मास्टर जी ने ख़ूब हाथ लाल किए हैं।

और नदियों के उलट पूर्व से पश्चिम की ओर बहने वाली ये नदी बहुत सारे मायनों में विरली ही है। आइए, जानते हैं नर्मदा नदी के बारे में।

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श्रेयः अक्सवीर

नर्मदा नदी भारत की सबसे पवित्र 7 नदियों में एक है। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की मैकाल पहाड़ियों से होते हुए यह नदी गुजरात के अरब सागर में जाकर मिलती है। यह सफ़र 1,312 किमी0 लम्बा होता है। अपने आख़िरी लम्हे में ये नदी कुल 21 किमी0 तक चौड़ी हो जाती है।

लेकिन बिना ग्लेशियर के ये साल भर तक पानी कैसे देती है?

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श्रेयः उत्कर्ष सूद

नर्मदा नदी का जन्म होता है नर्मदा कुण्ड से। नर्मदा कुण्ड पर भगवान इन्द्र बहुत मेहरबान हैं। हर साल मॉनसून का ढेर सारा पानी नर्मदा कुण्ड में जमा होता है, लगभग 140 सेमी0। फिर जबलपुर और पचमढ़ी की छोटी-छोटी नदियाँ इसके साथ मिल जाती हैं। बारिश का पानी, जहाँ इकट्ठा होता है, वो भी इसके साथ निकल कर पूरा सहयोग देता है। छोटे छोटे कटोरे जैसे तालाब, जहाँ पर पानी गर्मियों में भी मौजूद होता है, इस नदी की सहायता करते हैं। इस कारण पानी की मात्रा इतनी ज़्यादा होती है, कि साल भर इसका पानी बहता ही रहता है। गुजरात के ज़्यादातर इलाक़े में इसकी चौड़ाई 1.5 से 3 किमी0 तक होती है।

नर्मदा नदी और वेदों की गाथाएँ

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श्रेयः प्रदीप सगवाल

वेदों में नर्मदा नदी के बारे में जो कहा गया है, वो इसे गंगा नदी से ज़्यादा पवित्र बताता है। कहते हैं कि गंगा नदी में स्नान करने का जो पुण्य मिलता है, वो तो नर्मदा नदी के दर्शन भर से मिल जाता है।

यहाँ तक कि नर्मदा नदी के पास माँ गंगा स्वयं अपने को साफ़ करने आती हैं। एक कथा के अनुसार माँ गंगा के पास ढेरों लोग अपने पापों का प्रायश्चित करने आते हैं। लेकिन माँ गंगा नर्मदा नदी के पास उन पापों को धोने आती हैं। हर साल वैशाख सप्तमी के दिन गंगा जी स्वयं इस नदी के पास स्वयं के शुद्धिकरण के लिए आती हैं। अगर भौगोलिक तरीक़े से देखा जाए, तो ऐसा होना नामुमकिन है। लेकिन...

वैशाख (मई) के महीने में ऐसा सच में होता है। गुजरात में एक जगह है चंदोद, जहाँ पर नर्मदा और औरवी नदी मिलते हैं। औरवी नदी का बेसिन पार्वती नदी जुड़ा हुआ है। पार्वती नदी चंबल नदी की एक सहयोगी नदी है। चंबल नदी यमुना से मिलती है, और यमुना नदी जो कि संगम में गंगा नदी से मिलती है। जब भी गंगा नदी में बाढ़ आती है, तो

वेदों से थोड़ा आगे का सफ़र

प्राचीन काल में बड़े बड़े राज्यों की स्थापना का मुख्य स्रोत यह नदी हुआ करती थी। नर्मदा नदी को जन्मदायिनी कहा गया है। वायु पुराण और स्कन्द पुराण में तो बाक़ायदा नर्मदा नदी का जन्म कैसे हुआ, इस तक का वर्णन किया गया है। ईसा के उत्तरार्द्ध के बाद जो साम्राज्य बने, जैसे माहिष्मती, हेहया और अवन्ति, उन तक के अस्तित्त्व में गंगा नदी का बहुत योगदान रहा है।

घूमने के लिए विशेष जगहें

नर्मदा नदी के दर्शन के लिए कुछ विशेष जगहें हैं, जहाँ पर इस महान नदी के विराट स्वरूप को आप ख़ुद महसूस कर सकते हैं।

1. अमरकण्टक

श्रेयः सोनू मोनू

Photo of अमरकण्टक, Madhya Pradesh, India by Manglam Bhaarat

अमरकण्टक के बारे में जानने के लिए आप यहाँ विस्तार से पढ़ सकते हैं।

2. भेडाघाट

श्रेयः रोलिंग ट्वूस

Photo of भेडाघाट्, Madhya Pradesh, India by Manglam Bhaarat

सफ़ेद मार्बल की सी घाटियों और धुआँदार झरनों के बारे में आप यहाँ जान सकते हैं।

3. होशंगाबाद

श्रेयः महेश बसेदिया

Photo of होशंगाबाद, Madhya Pradesh, India by Manglam Bhaarat

4. ओंकारेश्वर

श्रेयः श्रीराम एमटी

Photo of ओंकारेश्वर मंदिर, Chandrashekhar Govind Aapte Road, Shaniwar Peth, Pune, Maharashtra, India by Manglam Bhaarat

ओंकारेश्वर के बारे में यहाँ पर पढ़िए।

5. महेश्वर

श्रेयः डी चन्द्रेश

Photo of महेश्वर, Madhya Pradesh, India by Manglam Bhaarat

रामायण से जुड़ी इस जगह के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहाँ पर क्लिक करें।

6. भरूच

श्रेयः पाब्लो एरेस गेसटेस्ट

Photo of भरूच, Gujarat, India by Manglam Bhaarat

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