महाराष्ट्र के मिनी 'ग्रेट वॉल ऑफ चाइना' में कीजिए भगवान ऋषभदेव की 108 फुट ऊंची मूर्ति के दर्शन

Tripoto
23rd Aug 2023
Photo of महाराष्ट्र के मिनी 'ग्रेट वॉल ऑफ चाइना' में कीजिए भगवान ऋषभदेव की 108 फुट ऊंची मूर्ति के दर्शन by रोशन सास्तिक

हर जगह की कोई न कोई एक खास बात होती हैं। और उसी एक खास बात के दम पर वो जगह अनेक लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। लेकिन आज हम आपको जिस जगह की जानकारी देने जा रहे हैं, उसे एक नहीं बल्कि तीन-तीन खास बातें बाकी टूरिस्ट स्पॉट्स से कहीं ज्यादा अलग बना देती है। पहला तो इस जगह को महाराष्ट्र का 'मिनी ग्रेट वॉल ऑफ चाइना' भी कहा जाता है। क्यों? यह हम आपको आगे बताएंगे।

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दूसरी खास बात यह है कि करीब 4300 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस जगह पर प्रकृति ने ऐसा प्रेम बरसाया है कि यहां मॉनसून के मौसम में ट्रेकिंग करने का अनुभव आप कभी भूला नहीं पाएंगे। तीसरा और आखिरी मामला सबसे ज्यादा अहम है क्योंकि यह अध्यात्म से जुड़ा हुआ है। इस जगह को जो बात सबसे ज्यादा खास बनाती है, वो है इसका जैन धर्म से एक बहुत गहरा संबंध। इस जगह का सबसे बड़ा टूरिस्ट अट्रैक्शन ही यही है कि यहां पर भगवान ऋषभदेव की 108 फीट ऊंची प्रतिमा है। जो कि सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर में सबसे बड़ी जैन मूर्ति में से एक है।

Photo of Mangi Tungi, Maharashtra, India by रोशन सास्तिक

तो हम बात कर रहे हैं महाराष्ट्र राज्य के नासिक शहर से करीब 125 किमी दूर तहरबाद इलाके में स्थित एक जुड़वा पहाड़ मांगी-तुंगी की। मांगी और तुंगी इन दोनों पहाड़ की ऊंचाई करीब 4300 फीट है। और यह दोनों आपस में एक पठार से जुड़े हुए हैं। मांगी और तुंगी इन दो जुड़वा शिखरों को जोड़ने के लिए पठार के ऊपर ही एक रास्ता बनाया गया है। और यह रास्ता इतना भव्य लगता है कि दूर से देखने वाले को एक बार यह भ्रम हो सकता है कि उसकी आंखों ने ग्रेट वॉल ऑफ चाइना देख लिया है। मांगी और तुंगी इन दोनों पहाड़ की अपनी प्राकृतिक खूबसूरती तो है ही, लेकिन इन दोनों को जोड़ने के लिए बनाए गए इस रास्ते की वजह से इस जगह की खूबसूरती ने सातवें आसमान को छू लिया है। कहना गलत नहीं होगा कि इस रास्ते ने सिर्फ मंगी और तुंगी को ही आपस में नहीं जोड़ा बल्कि पयर्टकों को भी इस जगह से जोड़ने का काम किया है।

Photo of महाराष्ट्र के मिनी 'ग्रेट वॉल ऑफ चाइना' में कीजिए भगवान ऋषभदेव की 108 फुट ऊंची मूर्ति के दर्शन by रोशन सास्तिक
Photo of महाराष्ट्र के मिनी 'ग्रेट वॉल ऑफ चाइना' में कीजिए भगवान ऋषभदेव की 108 फुट ऊंची मूर्ति के दर्शन by रोशन सास्तिक

अब सवाल यह उठता है कि साल का वह कौन-सा समय हो, जब इस जगह घूमने के लिए आना सबसे सही होगा। तो इसका सीधा जवाब है कि जमीन से करीब 4300 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस जगह की नायाब खूबसूरती को निहारना हो तो मॉनसून का मौसम सबसे बेस्ट होता है। हालांकि, डिस्क्लेमर के साथ यह बात भी कहना जरूरी है कि मॉनसून का मौसम उन मनमौजी लोगों के लिए ही सही है, जो मस्ती के साथ घूमना पसंद करते हैं। यही कारण है कि मॉनसून के आगमन के बाद से ही नासिक ही नहीं तो मुंबई और पुणे से भी ट्रेकिंग के दीवाने मांगी-तुंगी की ओर खींचे चले आते हैं। बाकी अगर आप ज्यादा रिस्क लेने वालों की कैटेगरी में नहीं आते हैं, तो फिर अक्टूबर से फरवरी तक का महीना आपके लिए परफेक्ट रहेगा। इन दिनों में मांगी-तुंगी में एकदम गुलाबी ठंड होती है। जिससे चलते ट्रेकिंग के दौरान शरीर से निकलने वाला पसीना भी अंततः आपको ठंडक ही पहुंचाता है।

Photo of महाराष्ट्र के मिनी 'ग्रेट वॉल ऑफ चाइना' में कीजिए भगवान ऋषभदेव की 108 फुट ऊंची मूर्ति के दर्शन by रोशन सास्तिक

जमीन से करीब 4300 फीट की ऊंचाई को फतह करने में 3 से 4 घंटे का समय लग जाता है। लेकिन ऊपर पहुंचने के बाद जो नजारा नजर आता है, वो शरीर की सारी थकावट को पलक-झपकते गायब कर देता है। स्टार्ट से एंड पॉइंट तक का सफर तय करने के लिए करीब 4500 सीढियां चढ़नी पड़ती है। मांगी-तुंगी में एंट्री के लिए तो कोई शुल्क अदा नहीं करना पड़ता। लेकिन अगर आप सीढ़ियों की संख्या कम करना चाहते हैं, तो फिर जेब ढीली कर रास्ते का एक बड़ा हिस्सा गाड़ी के जरिए तय कर सकते हैं। एंट्री गेट पर 200 रुपए की एक तरफा शुल्क अदा कर आप सीधे भगवान ऋषभदेव की 108 मीटर ऊंची मूर्ति के प्रांगण तक पहुंच जाएंगे।

मांगी-तुंगी पहाड़ पर बने भगवान ऋषभदेव की 108 मीटर ऊंची मूर्ति को अहिंसा की मूर्ति भी कहा जाता है। साल 1996 में इसकी संकल्पना की गई, 6 साल बाद 2002 में इसका शिलान्यास हुआ और 14 साल बाद यानी 2016 में जैन धर्म से जुड़ी दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति बनकर तैयार हो गई। अपनी ऊंचाई के लिए इस मूर्ति को गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड तक में स्थान मिला हुआ है। भगवान ऋषभदेव की 108 फीट ऊंची मूर्ति के बन जाने के बाद से ही मंगी-तुंगी पहाड़ देखने आने वाले पर्यटकों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी हो गई। आपको बता दें कि दुनिया भर में जैनियों के धार्मिक सम्मान में मांगी-तुंगी का स्थान उत्तर भारत में स्थित सम्मेद शिखर के बाद सबसे अहम है। यही कारण है कि दुनिया भर से हजारों तीर्थयात्री हर साल मांगी-तुंगी आते हैं।

Photo of Nasik, Maharashtra, India by रोशन सास्तिक
Photo of Nasik, Maharashtra, India by रोशन सास्तिक
Photo of महाराष्ट्र के मिनी 'ग्रेट वॉल ऑफ चाइना' में कीजिए भगवान ऋषभदेव की 108 फुट ऊंची मूर्ति के दर्शन by रोशन सास्तिक

प्रचलित कहानी के अनुसार मांगी और तुंगी एक बेहद अमीर व्यापारी के पुत्र थे। दोनों भाइयों ने जैन धर्म अपनाने के बाद इन्हीं दो पहाड़ियों पर रहकर निर्वाण की प्राप्ति की। परिणामस्वरूप इन दोनों चोटियों का नाम दोनों भाइयों के नाम पर पड़ गया।मांगी और तुंगी को जैन धर्म में सिद्धक्षेत्र माना जाता है। धर्म की मान्यता के अनुसार इस स्थान से ही 99 करोड़ जैन मुनियों ने निर्वाण की प्राप्ति की। जैन धर्म से जुड़े ग्रंथों के अनुसार भगवान राम, श्रीकृष्ण, बलराम, हनुमान जी और सुग्रीव को भी इसी स्थान से मोक्ष की प्राप्ति हुई। इस पहाड़ पर एक ऐसा तालाब भी है जिसको लेकर मान्यता है कि यह तालाब भगवान कृष्ण के अंतिम दिनों का साक्षी है। इतना ही नहीं, भगवान बलराम ने भी इसी तालाब के किनारे बैठकर मोक्ष की प्राप्ति की और बैकुंठ चले गए। इतनी जानकारी इस तालाब के महत्व को बताने के लिए काफी है।

Photo of Tungi, Maharashtra, India by रोशन सास्तिक
Photo of Tungi, Maharashtra, India by रोशन सास्तिक
Photo of Tungi, Maharashtra, India by रोशन सास्तिक

मांगी पहाड़ की बात करें तो इसको घूमते वक्त आपको देखने लायक करीब 10 गुफा मिलेंगे। गुफा नंबर 6 में भगवान पार्श्वनाथ की मुख्य मूर्ति है। इसके ही बगल में आपको आदिनाथ, अर्हंत और अन्य ऋषि मुनियों की छवियां देखने को मिल जाएंगी। इस समूचे पहाड़ पर अलग-अलग देवताओं की करीब 365 नक्काशियों को देखा जा सकता है। मांगी पहाड़ पर मौजूद महावीर गुफा में तीर्थंकर महावीर की ग्रेनाइट के पत्थर से बनी एक नायाब मूर्ति के दर्शन होते हैं। इतना ही नहीं तो आपको यहां एक ऐसी गुफा भी दिख जाएगी जिसमें माता सीता के चरण बने हुए हैं। यह उनकी तपस्या और ध्यान को प्रतिबिंबित करने के लिए बनाई गई है।

Photo of महाराष्ट्र के मिनी 'ग्रेट वॉल ऑफ चाइना' में कीजिए भगवान ऋषभदेव की 108 फुट ऊंची मूर्ति के दर्शन by रोशन सास्तिक

तुंगी पहाड़ पर आपको कुल 5 मंदिर देखने को मिल जाएंगे। इसके साथ ही इस पहाड़ पर 2 गुफाएं भी मौजूद हैं। इनमें से एक गुफा का नाम 8वें तीर्थंकर चंद्रप्रभु के नाम पर रखा गया है और दूसरी गुफा का नाम राम चंद्र रखा गया है। इन गुफाओं में आपको भगवान बुद्ध की 99 नक्काशियां देखने को मिल जाएंगी। इसके अतिरिक्त यहां हनुमानजी, गवा, गवाक्ष नील आदि की प्राचीन मूर्तियां भी देखने लायक हैं। तुंगी पहाड़ पर तीर्थंकरों का प्रचार करने वाले यक्ष और यक्षनियों की नक्काशी भी देखी जा सकती है। पहाड़ के चट्टान को काटकर बनाई गई इन मूर्तियों की कलाकारी देखकर आप भी दांतों तले उंगली दबाने को मजबूर हो जाएंगे।

Photo of Mangi Tungi, Maharashtra by रोशन सास्तिक
Photo of Mangi Tungi, Maharashtra by रोशन सास्तिक

पहाड़ी इलाका होने के चलते इसके आसपास तो कोई ऐसा होटल नहीं है जहां ठहरने की व्यवस्था हो। इसके लिए आपको नजदीकी शहर में ही शरण लेनी होगी। यहां आपको महज 500 से 1000 रुपए में आसानी से कमरे मिल जाएंगे। और अगर आप अपने एडवेंचर को थोड़ा और बढ़ाना चाहते हैं, तो फिर मंगी-तुंगी से सटे ग्रामीण इलाकों में ही 300 से 500 खर्च कर किसी के होम स्टे में ठहर सकते हैं। इससे आप इस जगह और यहां के लोगों को ज्यादा करीब से जान समझ पाएंगे। वैसे जैन मंदिर समिति की तरफ से भी यहां आने वाले जैन यात्रियों के लिए कमरे की व्यवस्था कराई जाती है। इसके लिए आप mangitungi.org की साइट विजीट कर सकेत हैं। यहां ठहरकर आप वड़ा-पाव, मिसल पाव, कांदा पोहा, पाव-भाजी जैसे स्थानीय व्यंजनों को भी चख सकते हैं। इससे आपकी यात्रा का स्वाद और बढ़ा जाएगा।

मंगी तुंगी पहाड़ नासिक जिले के सताना तालुका में पड़ता है। नासिक शहर से करीब 125 किमी दूर स्थित इस पहाड़ का बेस विलेज भीलवाड़ी है। यहां तक पहुंचने के कई सारे रास्ते हैं। अगर आप हवाई सफर तय करके यहां आना चाहते हैं, तो फिर आपको मुंबई या फिर पुणे स्थित एयरपोर्ट पर उतरना होगा। फिर यहां से सड़क मार्ग के जरिए आपको करीब 300 किमी लंबा का सफर तय करना होगा। यदि आप ट्रेन से यात्रा कर रहे हैं, तो फिर आपको नासिक जंक्शन उतरना होगा। और फिर यहां सर आप बस या फिर टैक्सी के जरिए 120-130 किमी का सफर तय कर मंगी-तुंगी पहाड़ के बेस विलेज भीलवाड़ी पहुंच जाएंगे। रही बात सड़क मार्ग की तो आप निजी वाहन या फिर सरकारी बस के जरिए भी यहां बड़े आराम से आ सकते हैं। यानी यातायात के किसी भी साधन कर जरिए मंगी-तुंगी पहाड़ तक पहुंचना आसान है।

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