मेरे ख्याल से अधिकतर लोगों को पता भी नहीं होगा कि दिल्ली में 'वॉर सिमिट्री' नामक कोई जगह भी है। ध्यान दीजिए, ये 'वॉर सिमिट्री' है, इसे 'वॉर मेमोरियल' से कन्फ्यूज मत करियेगा। मैंने काफी पहले एक लिस्ट बनाई थी जिसमें मैं इस वॉर सिमिट्री को देखना चाहता था, तो उस लिस्ट में एक टिक मार्क भी लग गया। देख आया ये भी। ये जगह लोगों की नजरों से दूर है, पर यदि आप यहाँ जाना चाहें तो फिर ये ज्यादा दूर नहीं। दिल्ली कैंट की बस या मेट्रो लेकर जो रास्ता छावनी की ओर जाता है, उसमें ही लगभग डेढ़-दो किलोमीटर आगे चलकर आपको ये 'वॉर सिमिट्री' दिख जाएगी। कैब से भी जा सकते हैं, मगर सलाह रहेगा कि पैदल ही जाएँ क्योंकि इलाका काफी शान्त है और दिल्ली में ऐसी शांति मिलना बेहद मुश्किल। शायद तस्वीर देखकर आपको अनुमान लग ही गया होगा कि इसका अपना एक अलग ऐतिहासिक महत्व है। दरअसल द्वितीय विश्व युद्ध (1939-45) के दौरान शहीद हुए सैनिकों की याद में बनाया गया स्मारक है ये, जहाँ ज्यादातर गोरखा रेजिमेंट में काम करने वाले अंग्रेज सैनिकों की समाधियाँ बनी हुई है। हालाँकि मैंने गिना तो नहीं, पर अनुमान है कि ऐसी करीब 1000 से ज्यादा समाधि बनी है इस 'वॉर सिमिट्री' में। हम वहाँ गए तो घास काटने वालों के सिवा कोई नहीं था। जगह छोटी लेकिन शांत। अगर आप कुछ नया डिस्कवर करना चाहते हैं तो ये जगह आपकी लिस्ट में शामिल हो सकती है। खूबसूरत और बेहद शांत। आपको एक बार तो हो आना चाहिए...
कैसे जाएँ?- बस या मेट्रो से दिल्ली कैंट मेट्रो स्टेशन के पास उतरकर रेलवे क्रॉसिंग पार कर लगभग डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर।
कब जाएँ?- सूर्यास्त से पहले कभी भी
एंट्री फीस- फ्री