
I have been away from home, friends, city life and my blog for almost 45 days now – i found home in Kashmir. How it all happened is another story but to give you all a glimpse of May 2016, I was doing Basic Mountaineering Course in a small village called Pahalgam.
And here’s my first Hindi poem on how i lived my dream there – the best 30 days of 30 years of my life (sorry for the mountaineering jargons :P)
JIM के दरवाज़े पे आई थी जब में पहली बार,
लगा नहीं था घर जैसे ही होगा इसका दरबार!
शुरू हुई जब अपने कमरे की बारह लड़किओं से गुफ्तगू,
तो जाना ऐसी दोस्ती की मुझे कबसे थी जुस्तजू!
चलो, स्लीपिंग बैग लेकर पहली रात थी निकालनी,
ब्रेकफास्ट में क्या मिलेगा सोते हुए उसी पर चर्चा कर डाली!
सुना था पाहाडों में है प्यार पनपता,
Acclimatization walk पे पता चला वो oxygen को भी है तरसता!
Glass और spoon ज़िन्दगी में फिर थे आये,
क्या बताऊँ अपने साथ कितनी बड़ी responsibility लाये!
धुप से भागती हुई ज़िन्दगी धुप में आ कर थमी,
के सामने कोई चतुराई न चली!
Belay और anchoring की definition अब खून में है दौड़ती,
Rock climbing और base making से चलने जो लगी थी ज़िन्दगी!
Knots और hitches की practice में कट रही थी रातें,
फिर भी बहुत की मैंने किसी से चाँद और तारों की बातें!
Lidder नदी के किनारे थी कुछ दोस्तों की शामें,
Cheese omlette और maggie बना रहे थे अलग ही तराने!
माँ की थी मुझे जब भी याद आई,
दोस्तों ने इतनी झप्पियों दी की सारी खुशियां लौट आई!
5 घंटे trek करके Tulyna Lake न पहुंचे तो क्या हुआ,
दिल की तो इद्दी सी खुल गयी टपकते हुए शेल्टर में पूरी सब्जी खाके!
Aru valley trek की news चेहमाहट तो लायी,
पर 10 kg backpack उठाना आसान न था भाई!
over-speeding गाड़ियां देखी,
In-twos में चलना सीखा,
पत्ता गोभी किस गोली से पचती है,
Google पे वो भी ढूँढ लिया!
बस, कुछ ऐसी थी JIM की शामें,
और कुछ ऐसी थी चाँदनी रातें,
आप सब का शुक्रिया इन् खूबसूरत लम्हों के लिए,
वक़्त ऐसे बीता की बीता ही नहीं!!
-shilpi