पहाड़ी इलाकों में यातायात की भारी समस्या से जूझ रही हिमाचल प्रदेश सरकार ने बोलीविया से प्रेरणा लेते हुए शिमला, मनाली और धर्मशाला में एक विशाल रोपवे परियोजना विकसित करने की योजना बनाई है।
बड़ी संख्या में पर्यटकों के आने के कारण ज्यादातर पर्यटन शहरों, खासतौर से पहाड़ियों में, दुनियाभर की सरकारें ट्रैफिक के बोझ को कम करने के लिए रोपवे परियोजना पर विचार कर रही हैं। बोलिविया से प्रेरित होकर, हिमाचल प्रदेश सरकार ने 2019 में, देश में शहरी परिवहन का एक नया रूप पेश करने की अपनी योजना की घोषणा की थी जिसको यात्री रोपवे परियोजना कहा जा रहा है।
अब, 2022 में, हिमाचल प्रदेश सरकार ने पहाड़ी-विशिष्ट परिवहन प्रणाली का विस्तार करने के लिए 13 रोपवे की घोषणा की है। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, रोपवे 111.65 किलोमीटर की दूरी तय करेगा। इस रोपवे को बनाने की लागत लगभग 5,644 करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया गया है। माना जाता है कि रोपवे, सामान्य साधनों की तुलना में सस्ता विकल्प होने के साथ-साथ तेज़ भी हैं। इसका उद्देश्य सड़कों पर यातायात की भीड़ को कम करना और यात्रा के समय में कटौती करना है। इस वजह से रोपवे पर्यटकों के लिए एक आकर्षक विकल्प बन रहा है। ये परियोजना वर्तमान में रोपवे और रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (आरआरटीएसडीसी) के तहत संचालित है।
कुल्लू, जो हिमाचल के सबसे अधिक देखे जाने वाले स्थलों में से है, में तीन रोपवे की योजना बनाई गई है- एक प्रिनी से हंटूर दर्रा, मनाली (5.8 किलोमीटर) तक; मनाली में एक (11.2 किलोमीटर); और तीसरा मनाली और लामा दुघ को जोड़ने पर काम किया जा रहा है।
वहीं दूसरी तरफ, चंबा जिले में भी दो रोपवे बनाए जाने की बात है। इनमें से एक रोपवे चंबा को चौगान से जोड़ेगा। जबकि दूसरा रोपवे भनोदी को, सच पास से होते हुए, किल्लर से जोड़ेगा। सच पास चंबा को पांगी घाटी से जोड़ता है। कसौली में तीन किलोमीटर का रोपवे बनाया जाएगा, जबकि इसी लंबाई का एक और रोपवे बिलासपुर जिले के लुंहू और बंदला को जोड़ेगा।
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