भूतिया होटलों में ठहरना किसी डरावनी फिल्म से ज्यादा भयानक रहा, जानें कैसे?

Tripoto
Photo of भूतिया होटलों में ठहरना किसी डरावनी फिल्म से ज्यादा भयानक रहा, जानें कैसे? 1/5 by Rupesh Kumar Jha

एक बार भूतिया होटल में ठहरें तो आपको साहसी कहा जाएगा। यही आप अगर दूसरी बार ठहरें तो आपको पागल कहा जाएगा! लेकिन तब क्या होगा, जब आपको पता ही नहीं है कि आप किसी ऐसी जगह पर ठहरे हुए हैं?

करीब एक दशक पहले मैंने जब से जॉन कुसैक स्टारर 1408 को देखा था, तभी से मेरी लिस्ट में एक भूतिया होटल में ठहरना शामिल था। लेकिन मैंने ये सोच रखा था कि जब भी इसे करूंगा, जानबूझ कर ही करूंगा। और मैं आने वाली तमाम चुनौतियों का सामना करने को तैयार था।

लेकिन हुआ ठीक इसके विपरीत!

आपके साथ शेयर करने के लिए मेरे पास दो अनुभव हैं- पहला जर्मनी का और दूसरा बैंगलोर का। हालांकि मैं उन होटलों के नाम साझा नहीं कर सकता क्योंकि उन होटलों को भूतिया होटल के रूप में बताना ठीक नहीं होगा।

हैम्बर्ग का वो रहस्यमयी ब्रश

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वर्ष 2016 में हैम्बर्ग में मेरे एक साथी का मास्टर्स की पढ़ाई करने के लिए चयन हुआ था। जिसके बाद हमारी सात लोगों की टीम ने हैम्बर्ग जाने का प्लान बनाया। उसे अपने फाइनल दौर के इंटरव्यू के लिए वहां जाना था। हमलोगों ने सोचा कि छुट्टी मनाने के लिए यह एक बेहतर मौका है। वह समय जनवरी के बीच का था तो तापमान शून्य से नीचे होने की वजह से वहां लगातार बर्फबारी हो रही थी।

हमलोगों ने ठहरने के लिए एक बहुत ही फेमस फोर स्टार होटल में 3 कमरे बुक किए। इस होटल में हमने एक सप्ताह बिताया था और यही एकमात्र ऐसी जगह थी जो हमारे बजट में थी। यह हैम्बर्ग के सबसे पुराने होटलों में से एक था और बिजनेस की दुनिया से जुड़े लोगों के लिए यह बहुत ही पसंदीदा होटल था। इसलिए हमलोगों ने सोचा कि यहां सुविधा तो अच्छी होगी और भाषा की भी कोई दिक्कत नहीं होगी।

चेक इन करने के 24 घंटे बाद तक तो सब कुछ ठीक था लेकिन अगले दिन सुबह अचानक मेरी तबीयत खराब हो गई। तेज बुखार के साथ ही मुझे खांसी होना शुरू हो गया और खांसते-खांसते खून भी निकलने लगा। सामान्य तौर पर मुझे 101 से ज्यादा बुखार नहीं आता लेकिन उस दिन मेरा तापमान 104 तक पहुंच गया। हमने अपने भारत के एक डॉक्टर मित्र से अपने बुखार के बारे में बात की और उससे दवा का परामर्श लिया। मेरा एक मित्र जब दवा लेने केमिस्ट के पास पहुंचा और फिर जब वापस आया तो उसके अंदर भी मेरी बीमारी वाले लक्षण दिखने लगे। अगले 24 घंटे के अंदर हम सभी सातो मित्र तेज बुखार व खून वाली खांसी की चपेट में आ गए। यह बहुत ही असामान्य बात थी लेकिन हमलोगों को ऐसा कुछ एहसास ही नहीं हुआ।

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हमारे होटल के बाहर का नजारा।

दो दिनों बाद बुखार कम हुआ तो मुझे थोड़ा बेहतर महसूस हुआ। मैं और मेरे रूममेट ने बैठकर कमरे में रखा सलाद खाया। खाने के बाद हम बैठे बात ही कर रहे थे कि अचानक से बिजली चली गई। हैम्बर्ग जैसी जगह में यह बहुत ही असामान्य बात है क्योंकि यहां शायद ही कभी बिजली जाती है। जब बिजली वापस आई तो मेरे दोस्त के हाथ तीन जगह रहस्यमयी रूप से कटे हुए थे। हम इस बात से हैरान थे कि अचानक क्या हो रहा है। हमने अपने बाकी दोस्तों को अपनी मंजिल पर कॉफी-लाउंज में मिलने के लिए बुलाया। जब हम वहाँ पहुँचे और उसने कहानी सुनानी शुरू की, तो बिजली फिर से बंद हो गई। और फिर जब यह वापस आया, तो उसके हाथों पर तीन कट का एक और निशान था। हम कुछ ज्यादा ही अचंभित थे, हम पूरी रात सो नहीं पाए।

होटल के कर्मचारियों से जब हमने यह शिकायत की तो, पहले तो वे भाषा की वजह से समझ ही नहीं पाए कि हम बोल क्या रहे हैं। लेकिन काफी कोशिश के बाद जब वे हमारी समस्या को समझे तो उन्होंने इसे मानने से साफ इंकार कर दिया कि यहां ऐसा कुछ भी हुआ है। शुक्र था कि अगले ही दिन सुबह हमारी वापसी की फ्लाइट थी। अपने गंतव्य तक पहुंचने से पहले हम सबकी खांसी ठीक हो चुकी थी और हम पहले से काफी बेहतर महसूस कर रहे थे।

बैंगलोर में बिन बुलाया मेहमान

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हैम्बर्ग की घटना के एक साल बाद हम अपने दोस्तों की टीम के साथ बैंगलोर गए थे। यहां हमलोग एक लोकप्रिय पांच सितारा होटल में ठहरे। यहां तो होटल में चेक इन करने के तुरंत बाद ही घटनाएं शुरू हो गई।

चेक इन करने के बाद मैं कॉफी लेने के लिए नीचे कैफे में गया था। लेकिन मेरी दोस्त काफी थकी हुई थी तो वह कमरे में आराम करना चाह रही थी। जब वह सोने जा रही थी तो उसे लगा कि कोई उसकी बिस्तर पर आकर बैठ गया हो। उसने सोचा कि मैं कॉफी लेकर आ गया हूं और वह जैसे ही मुझे कुछ कहने जा रही थी, उसने देखा कि बिस्तर पर कोई नहीं है। लेकिन गद्दे पर किसी के बैठने जैसा निशान बना हुआ है। वह मानो पागल सी हो गई और अपना चेहरा धोने के लिए बाथरूम में गई। उसने जैसे ही चेहरे पर पानी डाला कि पीछे से दरवाजा अपने आप ही बंद हो गया। उसने चिल्लाना शुरू किया और दरवाजा खोलने की काफी कोशिश भी की लेकिन वह नहीं खुला। फिर मैंने बाथरूम का दरवाजा खोला। दरवाजा खुलते ही वह सिसकती हुई बाहर आई लेकिन फिर मुझे उसको शांत करवाने में भी थोड़ा समय लगा।

रात को हमलोग बाहर खाना खाने गए। वापस आने के बाद जब कमरे में सोने गए तो बिस्तर पर लेटते ही मेरी तरफ से तेज सांस लेने की आवाज आने लगी। यह आवाज करीब 20 मिनट तक ऐसे ही सुनाई देती रही।

अगली सुबह जब हम अपने बाकी दोस्तों से नाश्ते के समय मिले तो उन लोगों ने भी अपने कमरे में इसी तरह के अनुभव को साझा करना शुरू किया। उन्हें भी अपने कमरे में किसी के होने जैसे एहसास हुआ था। यह अनुभव वास्तव में डरावना था। इसलिए हमलोगों ने उसी सुबह इस होटल छोड़ कर अन्य होटल में ठहरने का निर्णय लिया।

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होटल में हमारे कमरे का दृश्य।

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