घुमक्कड़ी की दुनिया यानी नएपन की दुनिया! जानिए 2021 में बनी नई जगहों और ट्रेंड्स के बारे में सबकुछ

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कहते हैं पहाड़ों में बारिश का मौसम घुमक्कड़ी के नजरिए से ऑफ सीजन माना जाता है। लेकिन मुझे ऐसा नहीं लगता। बरसात के मौसम में एक तरह की नाटकीयता होती है और पहाड़ों में बारिश का मजा लेने का एहसास सबसे अनोखा होता है। बारिश की वजह से पहाड़ों में घूमना नहीं हो पाता है और हम ठंड आने का इंतजार करने लग जाते हैं। फिर सर्दियों में हम सोचते हैं कि काश हमने गर्मियों और बरसातों में भी घूम लिया होता।

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लेकिन इस साल आपको ऐसा कुछ भी सोचने की जरूरत नहीं है। क्योंकि आप अपनी इच्छा से नहीं बल्कि छोटे वायरस की वजह से घूमने नहीं जा पाए। जो एक तरह से सही भी था। लेकिन क्या आप जानते हैं जब आप अपने इन घुमक्कड़ीय अरमानों को बक्से में सहेज रहे थे तो बाहरी दुनिया में आने वाले समय में घूमने के लिए नई जगहों के सपने को असलियत में बदला जा रहा था? आज हमने कुछ ऐसी ही जगहों और नीतियों को जोड़कर एक सूची तैयार की है जिसको देखकर आप अपने कदमों को घूमने से अब और नहीं रोक पाएँगे।

1. राज्यों ने किए कैंपेन

किसी भी देश को अच्छे से चलाने की आधे से ज्यादा जिम्मेदारी उस देश के पर्यटन विभाग पर होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि देश की राष्ट्रीय आय का बड़ा हिस्सा देश में हुए पर्यटन पर भी निर्भर करता है। मार्च 2020 में जब देश में कोरोना की वजह से लॉकडाउन हुआ तो उसका सबसे ज्यादा असर पर्यटन पर ही दिखाई दिया। लेकिन लोगों में घुमक्कड़ी के लिए वही प्यार बना रहे इसके लिए सरकार ने भी कई तरकीबें आजमाई। सबसे पहले पर्यटन विभाग "देखो अपना देश" कैंपेन लेकर आया। कैंपेन का मकसद लोगों को अपने देश में मौजूद घुमक्कड़ी वाली जगहों से पहचान करवाना था। सरकार की इस पहल के बाद कई राज्यों ने भी ऐसी मुहीम चलाने के बारे में सोचा। एक तरफ मेघालय ने "ट्रिप नाउ ट्रैवल लेटर" के नाम से कैंपेन शुरू किया। वहीं दूसरी तरफ अरुणाचल प्रदेश में "देखो अपना प्रदेश" के नाम से अभियान चलाया गया। इन दोनों ही अभियानों में लोगों को सुरक्षित रहने की जरूरत समझाई गई जिससे वो सब बाद में खुलकर घुमक्कड़ी का मजा ले सकें।

2. उत्तराखंड ने दिए डिस्काउंट कूपन

पर्यटन का एक देश की अर्थव्यवस्था को संभालने में कितना बड़ा योगदान होता है इसका हिसाब आपको कोरोना के दौरान हुई तालाबंदी से समझ आ गया होगा। देश में टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए हर देश में नई-नई तरकीबों का इस्तेमाल किया गया। कुछ देशों की सरकारें तो आपकी घुमक्कड़ी पर होने वाला पूरा खर्च तक उठाने के लिए भी तैयार थीं। भारत में भी पर्यटन को वापस पटरी पर लाने के लिए कई तरीकों का इस्तेमाल किया गया। इसमें सबसे शानदार और नायाब कॉन्सेप्ट उत्तराखंड सरकार ने दिया। उत्तराखंड सरकार की इस स्कीम के अनुसार राज्य में आने वाले घुमक्कड़ों को डिस्काउंट कूपन दिए जाने के बारे में कहा गया। इस कूपन का नाम टूरिस्ट इंसेंटिव कूपन रखा गया था। इस कूपन को इस्तेमाल करने के लिए सबसे पहले आपको उत्तराखंड के स्मार्ट सिटी पोर्टल पर टूरिस्ट सेक्शन में रजिस्टर करना होगा जिसके बाद आप इस कूपन का फायदा उठा सकते हैं। होटल बुकिंग के समय इस कूपन के इस्तेमाल से आपके कुल बिल का 25% (प्रतिदिन के हिसाब से) या 1000 रुपए की छूट दी जाएगी। इस स्कीम में होटलों को नुकसान ना हो इसका भी पूरा ध्यान रखा गया था।

3. चांदनी चौक की बदली तस्वीर

मशहूर उर्दू शायर मिर्जा गालिब के शब्दों में कहें ये दुनिया अगर रूह है तो दिल्ली उसकी जान है। अगर आपने दिल्ली की रूमानियत को महसूस किया है तो आप इन शब्दों का मतलब बहुत अच्छे से समझ जाएंगे। इसी दिल्ली के दिल में एक जगह ऐसी है जो सालों से लोगों को अपनी तरफ खींचती आ रही है। चांदनी चौक दिल्ली का वो इलाका है जिसे शुरुआत से ही घुमक्कड़ों और दिल्लीवालों का खूब प्यार मिला है। 17वीं सदी में बने इस बाजार की तस्वीर इस साल बदल गई है। चांदनी चौक अब इतना खूबसूरत हो गया है कि आपको पहली नजर में इस जगह से प्यार हो जाएगा। चांदनी चौक की जिन सड़कों पर गाड़ियों की भीड़ जमा रहती थी वहाँ अब गाड़ियों को चलने की अनुमति नहीं होगी। सुबह 9 बजे से रात के 9 बजे तक इस हिस्से में अब आपको गाड़ियों का जाम नहीं मिलेगी। इसके अलावा लाल किला और फतेहपुरी मस्जिद के बीच बने 1.3 किलोमीटर लंबे रास्ते को भी मुगलई आर्किटेक्चर के इस्तेमाल से नयापन दिया जा रहा है। इस हिस्से में कुल 175 बलुआ पत्थरों से नया रास्ता तैयार किया गया है जिसको बढ़िया तरीके से सजाया भी गया है। रास्ते पर एलईडी लाइटों से रोशनी की गई है जिसको देखकर आपका मन खुश हो जाएगा। दिल्ली के इस ऐतिहासिक हिस्से की खूबसूरती आपको जरूर देखनी चाहिए।

4. अटल टनल: मनाली-लेह की कम हुई दूरी

कोरोना ने लोगों को अपने घरों में बंद जरूर रखा लेकिन जब घुमक्कड़ी वापस से शुरू हुई तब लोगों के लिए तोहफों की झड़ी लग गई। इसमें सबसे खास नाम है अटल टनल का जो बेहद खूबसूरत होने के साथ-साथ दुनिया की सबसे लंबी सुरंग भी है। इस सुरंग के बनने से मनाली-लेह की दूरी 46 किलोमीटर कम हो गई है। इसका मतलब है अब आपको मनाली से लेह जाने में 4 घंटे कम लगेंगे। 10,000 फीट की ऊँचाई पर स्थित ये सुरंग किसी अजूबे से कम नहीं है। ये सुरंग टेक्नोलॉजी के साथ-साथ इंजीनियरों की कारीगरी का बेहतरीन नमूना है। इस 9.02 किलोमीटर लंबी सुरंग को बनकर तैयार होने में कुल 10 सालों का समय लगा। इस सुरंग में वो सारी खूबियां मौजूद हैं जो आज और आने वाले समय के लिए बेहद जरूरी हैं। टनल की सुरक्षा के लिए इसमें हर थोड़ी दूर पर कंट्रोल रूम बनाए गए हैं। टनल में 4जी नेटवर्क की सुविधा के साथ ऐसी और भी बहुत सारी चीजें हैं जो इसको दुनिया की सबसे खास सुरंग बनाती हैं। इस टनल से पहली बार गुजरने का एहसास आपके लिए बेशक यादगार रहेगा।

5. मुनस्‍यारी का ट्यूलिप गार्डन

आपने यूरोपीय देशों के ट्यूलिप फूलों के बारे में तो जरूर सुना होगा। अगर नहीं सुना है तो आपको बता दें ट्यूलिप एक खास तरह के फूल का नाम है जो यूरोप में काफी फेमस है। केवल यही नहीं नीदरलैंड में इन फूलों से भरा 30 हेक्टेयर बड़ा गार्डन भी है। लेकिन अब ट्यूलिप की खूबसूरती को देखने के लिए आपको यूरोप जाने की बिल्कुल जरूरत नहीं है। देवभूमि उत्तराखंड के मुनस्‍यारी में केवल भारत ही नहीं बल्कि दुनिया का सबसे बड़ा ट्यूलिप गार्डन बनकर तैयार है। कश्मीर के बाद ये भारत का दूसरा ट्यूलिप गार्डन है। हजारों ट्यूलिप फूलों से भरा ये गार्डन पिथौरागढ़ जिले में स्थित है। इस गार्डन को कुल 50 हेक्टेयर जमीन पर बनाया गया है। गार्डन इतना खूबसूरत है कि आपका मन खुश हो जाएगा। गार्डन के पीछे भव्य पंचाचुली पहाड़ों का बेहतरीन नजारा दिखाई देता है जो इसकी सुंदरता को और भी बढ़ा देता है।

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