पहले भाग में आपने गंगोत्री तक पहुंचने की कहानी पड़ी। गंगोत्री इस बार एक बार फिर से आना हुआ। ये तीसरी बार था गंगोत्री। सुबह उठ कर नहा धो कर सारा सामान पैक कर लिया।
माँ गंगा का आशीर्वाद लेकिन कर हमने अपने #मिशन_सतोपंत का शुभारम्भ कर दिया। आज का टार्गेट था भोजबासा। भोजबासा में बहुत सारे भोज के पेड़ हैं इसलिए वहाँ का नाम भोजबासा। उस से पहले जहाँ चीड़ के पेड़ हैं वहाँ का नाम चीड़बासा।
चीड़बासा में रहने के लिए GMVM यानी गढ़वाल मंडल विकाश निगम का होटल है। 2 आश्रम भी हैं और अगर आप चाहो तो अपने टेंट भी लगा सकते हैं काफी जगह है।
सुबह 9 बजे हम लोगों ने गंगोत्री छोड़ दिया। फारेस्ट विभाग की चेक पोस्ट पर परमिशन दिखा कर हम लोग आगे की ओर चल दिए। आज का रास्ता बेहद ही आसान था। आज केवल 14 km चलना था। इस रास्ते पर पहले भी एक बार चलना हुआ था।
रास्ते भर भगीरथी चोटियां का दीदार हो रहा था नीचे बहती निर्मल भागीरथी नदी ऊपर की ओर दिखती बड़ी बड़ी पहाड़ियाँ जिनमें घास चर रहे थे IBEX,भरल और समाने दिखती भागीरथी 1,2 3 श्रेणीयाँ। पहले दिन की शुरुआत इस से अच्छी और क्या हो सकती थी।
चीड़बासा में चाय ब्रेक के लिए रुके। वहाँ पर ITBP के एक ग्रुप से मिलना हुआ जो एक महीने की ग्लेशियर ट्रेनिंग के लिए रक्तनवन जा रहे थे। उसके बाद उनको थेलू पर्वत 6002 मीटर पर चढाई भी चढ़नी थी। उनके इंस्ट्रक्टर नेगी जी जो अल्मोड़ा के ही थे उनसे मिलना हुआ।
आगे की कहानी कल....