गुजरात को भारत के सबसे शानदार और सुखद राज्यों में गिना जाता है। ऐसा लगता है मानो यहाँ की सांस्कृतिक विरासत स्वर्ण शब्दों में लिखी गई है। ऐसा इसलिए क्योंकि एक समय था जब गुजरात में भी राजाओं का राज हुआ करता था। इसी वजह से आज गुजरात में तमाम विशाल और भव्य किलों का बड़ी संख्या पाई जाती है। समय बीतता गया और राजाओं का राज बदलता गया। लेकिन उनके द्वारा बनवाए गए किले आज भी मजबूती से अपनी उपस्थिति दर्ज करते हैं। अगर आप सोच रहे हैं है किले कौन से हैं और किन जगहों पर स्थित हैं तो आपकी ये मदद हम कर देते हैं।
1. भुजिया फोर्ट, भुज
गुजरात के भुज के बाहरी इलाके में स्थित ये फोर्ट भुजिया पर्वत पर बना हुआ है। इस किले का नाम सांप यानी भुजंग के ऊपर रखा गया है। माना जाता है कि यहाँ के लोग सर्प देवता की पूजा करते थे जो उनकी सुरक्षा किया करते थे। 1718 और 1741 के बीच बनकर तैयार हुए इस किले का निर्माण राओ गोदजी प्रथम ने 1715 में शुरू करवाया था। इसके बाद कच्छ के दीवान दिवाकरण सेठ सुरक्षा को ध्यान में रखकर इस किले का विस्तार करवाया। कहा जाता है एक समय पर सिंध और मुगल सेनाओं ने इस किले पर आक्रमण भी किया था। तब नागा साधुओं ने मंदिर में प्रार्थना करने के लिए किले के दरवाजों को खोला था। लेकिन बाद में उन्हीं साधुओं ने इन सेनाओं से युद्ध किया था। 2001 में आए भूकंप के चलते इस किले को काफी नुकसान हुआ था लेकिन उसके बाद भी ये किला गुजरात के सबसे महान किलों में से है।
2. रोहा फोर्ट, नखत्राना तालुका
भुज से लगभग 50 किमी. की दूरी पर नखत्राना तालुका में स्थित तालुका गाँव के बाहरी हिस्से में रोहा फोर्ट मजबूती से अपनी मौजूदगी दर्ज करता है। केवल 16 एकड़ में बना ये किला छोटा जरूर है लेकिन उसके बावजूद इसके गौरवशाली इतिहास को अनदेखा नहीं किया जा सकता है। 1510 से 1585 के बीच ये किला राव खेंगर्जी प्रथम के साम्राज्य का बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा हुआ करता था। अलाउद्दीन खिलजी के इस इलाके में आक्रमण के दौरान साम्राज्य की 120 राजकुमारियों ने यहीं इस किले में शरण ली थी। इस किले की ऐतिहासिक विरासत सबसे खास है। अगर आप रोहा फोर्ट की कहानियों को जानना चाहते हैं तो इस किले का दौरा जरूर करना चाहिए।
3. ऊपरकोट फोर्ट, जूनागढ़
जूनागढ़ का शाही शहर केवल अपनी हवेलियों के लिए ही नहीं जाना जाता है। जूनागढ़ का ऊपरकोट किला इस शहर को शान को दोगुना कर देता है। गुजरात के गिरनार पर्वत श्रृंखला के ऊपर बने इस किले का निर्माण मौर्य राजवंश के समय करवाया गया था। हालांकि इस किला इस ज्यादातर इस्तेमाल गुप्ता और चूडासमस साम्राज्य के शासकों ने किया था। इस किले की भव्यता देखकर आप हैरान रह जाएंगे। किले के आसपास लगभग 70 फीट ऊँची दीवार है जो किले की सुरक्षा को देखते हुए बनवाई गई थी। किले में दाखिल होने के लिए कुल तीन रास्ते हैं। इस किले में 1450 के समय के कुछ महत्वपूर्ण स्मारक और तोप भी रखे हुए हैं। कुल मिलाकर यदि आपको इतिहास से लगाव है तो आपको जूनागढ़ के इस किले को जरूर देखना चाहिए।
4. कंठकोट फोर्ट, कच्छ
गुजरात के सबसे प्राचीन किलों में से एक कंठकोट किला रोहा फोर्ट से भी पुराना है। ये विशाल किला एक वीरान पहाड़ के ऊपर बना हुआ है। इस किले का गौरवशाली इतिहास आपको पुराने समय के गलियारों में ले जाने के लिए काफी है। ये किला काफी समय तक काठी शासकों की राजधानी हुआ करता है। बाहर से देखने पर ही मालूम पड़ता है कि उस समय इस किले को बनाने के पीछे क्या कारण रहा होगा। किले का भव्य दरवाजा देखकर आप हैरान हो जाएंगे। इस किले के अंदर एक बावड़ी भी है। इसके साथ-साथ यहाँ तीन मंदिरों का समूह भी है जो कंठदाता को समर्पित है। ये किला जिस पहाड़ पर बना हुआ है वो भी बेहद खूबसूरत है। किले तक जाने के रास्ते से लेकर आसपास के नजारों तक सभी चीजें एक बढ़िया ट्रिप के लिए परफेक्ट हैं।
5. पावागढ़ चंपानेर फोर्ट, चंपानेर
बड़ौदा से लगभग 46 किमी. की दूरी पर स्थित पंचमहल जिले का पावागढ़ हिन्दुओं के धार्मिक स्थलों में से एक है। इसी पावागढ़ में बना है यहाँ का मशहूर चंपानेर किला। जिक्सी गिनती युनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों में भी की जाती है। ये किला चंपानेर के चंपानेर पावागढ़ पार्क में बना हुआ है जो ऐतिहासिक नजरिए से महत्वपूर्ण शहर रह चुका है। चंपानेर की स्थापना वनराज चावड़ा ने की थी जो 8वीं शताब्दी में प्रचलित चावड़ा राजवंश के बलशाली राजा थे। दूर से देखने में पावागढ़ फोर्ट किसी बड़े महल जैसा लगता है। लेकिन जब आप अंदर जाएंगे तब आप इस जगह की ऐतिहासिक विरासत को अच्छे से समझ पाएंगे।
6. तेरा फोर्ट, कच्छ
गुजरात के तमाम किलों में से एक है कच्छ का तेरा फोर्ट। जिसका निर्माण 18वीं शताब्दी के जडेजा शासकों ने करवाया था। कच्छ के तेरा जिले में बना ये किला भुज से तकरीबन 84 किमी. की दूरी पर है। वैसे तो कच्छ को उसके रण और रंग-बिरंगे उत्सवों के लिए जाना जाता है। लेकिन बहुत कम लोगों को मालूम है कि बाकी गुजरात की तरह कच्छ में भी इतिहास से जुड़े किलों और स्मारकों की भरमार है। तेरा फोर्ट इन्हीं में से एक है। ये किला विशाल होने के साथ-साथ बेहद खूबसूरत भी है। कच्छ घूमने आने वाले पर्यटकों की सूची में टेरा फोर्ट की एक सैर जरूर शामिल होनी चाहिए।
7. धोराजी फोर्ट, राजकोट
धोराजी फोर्ट का इतिहास लगभग 1755 के समय में जा पहुँचता है। राजकोट के नजदीक बने इस किले के अंदर एक राजमहल भी है। दरबारगढ़ धोराजी फोर्ट के अंदर बने हुए तीन मंजिला महल का नाम है जिसका निर्माण बेहद खूबसूरत तरीके से किया गया है। किले में दाखिल होने के लिए कुल चार बड़े और तीन छोटे दरवाजे हैं। बड़े दरवाजों के नाम भी एकदम शाही अंदाज में रखे गए हैं- काठियावाड़ी दरवाजा, पोरबंदर दरवाजा, हलार दरवाजा और जूनागढ़ दरवाजा। इसकी खासियत ये है कि क्योंकि इस किले के अंदर महल भी है इसलिए यहाँ आपको शाही रहन सहन भी देखने के लिए मिलता है। अगर आपको इतिहास से लगाव है लेकिन आप पुराने समय का राजसी माहौल भी देखना चाहते हैं तो आपको धोराजी फोर्ट की यात्रा जरूर करनी चाहिए।
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