दोस्तों, भारत में ऐसे कई रहस्यमय किले मौजूद हैं जो अपनी खूबसूरती के लिए जानें जाते हैं। इन किलों की खूबसूरती जितनी बाहर से देखने में हैं। उससे कहीं ज्यादा ही अंदर से देखने में हैं। लेकिन भारत के ऐसे कई किले है जो अपने अंदर बहुत से राज छुपाए हुए हैं। उनमें से ही एक ऐसा रहस्यमय किला बुंदेलखंड में भी हैं जिसे कलिंजर किले के नाम से जाना जाता हैं। दोस्तों, आपको यह बात जानकर आश्चर्य होगा कि बुंदेलखंड उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश दोनों राज्यों में बंटा हुआ हैं। इस प्रांत के अंदर आने वाले कुछ जिले उत्तर प्रदेश में पड़ते हैं तो कुछ मध्य प्रदेश में पड़ते हैं। लेकिन कलिंजर किला उत्तर प्रदेश के बांदा जिलें में स्थित हैं। तो आइए जानते हैं इस किले से जुड़ी बातें और इसमें छुपे हुए रहस्य।
कलिंजर फोर्ट का इतिहास
दोस्तों, इतिहासकारो के अनुसार 7 वी शताब्दी में कलिंजर शहर की स्थापना हुई थी। कलिंजर शहर के राजवी केदार राजा ने उसकी नीव राखी थी। लेकिन चंदेला शासको के समय में यह प्रसिद्ध हुआ था। लेकिन कुछ कहानियों के हिसाब से इस किले का निर्माण चंदेला राजाओ के द्वारा करवाने का भी प्रमाण मिलता है। ऐसा कहा जाता है कि चंदेला को “कलंजराधिपति” की उपाधि भी यही स्थान से हासिल हुई थी। इस किले के कई महत्त्व को दर्शाती है। यह किले का उपयोग युद्धों और आक्रमणों के समय में किया जाता था। कई हिन्दू राजाओ और मुस्लिम शासको ने इस किले को प्राप्त करने के लिए युद्ध किये लेकिन कलिंजर किला पर कोई भी राजा ज्यादा समय तक राज नही कर पाया था।
कलिंजर किले की वास्तुकला
चंदेल वंश में निर्मिंत कलिंजर फोर्ट को वास्तुकला का एक अद्भुत उदाहारण माना जाता है। कहा जाता है कि इस फोर्ट में कई भवन और मंदिर है, जो बारीक डिज़ाइन और नक्काशी की एक मिसाल है। विंध्याचल की पहाड़ी पर करीब 800 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस फोर्ट को नीचे से देखने पर ऐसा प्रतीत होता है कि मानों कोई विशाल महल है। इस फोर्ट में स्थित ऐसे कई मंदिर है, जिसे बेहद ही पवित्र माना जाता है। यह मध्यकालीन भारत का सबसे सर्वोत्तम महल माना जाता था। यह दुर्ग की स्थापत्य में कई शैलियाँ प्रदर्शित होती है। जिसमे गुप्त शैली, पंचायतन नागर शैली और प्रतिहार शैली मुख्य है। किले के वास्तुकार ने उसमे बृहद संहिता एव अग्नि पुराण का ख्याल रखते हुए दुर्ग के मध्य में अजय पलका नाम की एक झील भी मौजूद है। उस झील के नजदीक कई प्राचीन मन्दिर भी देखने को मिलते है। कलिंजर किले के प्रवेश के लिए सात दरवाजे निर्मित किये गए है। यह सातो दरवाजे एक दूसरे से भिन्न शैलियों से अंकित किये गए है।
कलिंजर किले के देखने योग्य स्थान
दोस्तों, किले के शिलालेख में कीर्तिवर्मन तथा मदन वर्मन का नाम मिलता है। उसके अलावा मातृ-पितृ भक्त, श्रवण का चित्र बना हुआ है। इन दुर्ग में मुगल बादशाह आलमगीर औरंगज़ेब से निर्मित आलमगीर दरवाजा, चौबुरजी दरवाजा, बुद्ध भद्र दरवाजा, और बारा दरवाजा देखने को मिलते है। सीता सेज गुफा उसमे पत्थर का पलंग और तकिया रखा हुआ है। जो सीता की विश्रामस्थली कहा जाता है। उसके नजदीक एक कुण्ड जो सीताकुण्ड कहलाता है। किले में बुड्ढा एवं बुड्ढी नामक दो ताल जो औषधीय गुणों से भरपूर है। चंदेल राजा कीर्तिवर्मन का कुष्ठ रोग भी यहीं स्नान करने से दूर हुआ था। उस मे राजा महल एव रानी महल नाम के दो भव्य महल हैं। उसमे पाताल गंगा जलाशय है। पांडु कुण्ड में चट्टानों से निरंतर पानी टपकता रहता है। उसके नीचे से पाताल गंगा होकर बहती थी। उसी से यह कुण्ड भरता है। उसके अलावा कोटि तीर्थ, मृगधारा, सात हिरणों की मूर्तियाँ, भैरव की प्रतिमा, मंडूक भैरवी, चतुर्भुजी रुद्राणी, दुर्गा, पार्वती और महिषासुर मर्दिनी की प्रतिमाएं, त्रिमूर्ति, शिव, कामदेव, शचि (इन्द्राणी) की मूर्तियाँ देखने योग्य है। जिन्हे पर्यटक को जरूर देखना चाहिए।
नीलकंठ महादेव मंदिर
दोस्तों, इस फोर्ट के सबसे प्रमुख स्थानों में से एक है नीलकंठ महादेव मंदिर। ऐसा कहा जाता है कि इस फोर्ट में जगह-जगह भगवान शिव, काल भैरव, गणेश और हनुमान की प्रतिमाएं पत्थरों पर बेहतरीन तरीके से नक्काशी की गई है। और यह भी कहा जाता है कि समुद्र मंथन के बाद निकले विष को महादेव ने यहीं विष-पान किया था। इस फोर्ट के बारे ने यह भी कहा जाता है कि इस फोर्ट में सीता जी ने भी विश्राम किया किया था। कालिंजर फोर्ट में लगभग सात दरवाजे थे, जो समय के साथ टूटते चले गए। कहा जाता है इस महल का उल्लेख वेद और पुराणों में भी किया गया है।
बीरबल का किला
दोस्तों आपको बता दूं, कि समय के साथ इस फोर्ट पर कई हमले हुए लेकिन, किसी को भी जीत हासिल नहीं हुई। कहा जाता है कि इस महल पर कुतुबुद्दीन, महमूद गजनवी और हुमायूं ने भी आक्रमण कर किले पर राज करना चाहा लेकिन, सफल नहीं हुए। लेकिन, वर्ष 1569 के आसपास अकबर ने फिर इस महल पर महला किया और इस बार जीत अकबर को मिली। कई इतिहासकार कहते हैं कि अकबर ने इसे जीतने क बाद बीरबल को उपहार के रूप में दान का दिया। बीरबल के बाद इस महल पर कई राजाओं ने राज किया और अंत में अंग्रेजों भी इस महल पर राज किए लेकिन, बाद में इसे अंग्रेजों छोड़कर चले गए।
कैसे पहुंचें?
आज भी कालिंजर फोर्ट घूमने के लिए हजारों सैलानी आते हैं। कहा जाता है कि सैलानियों के चलते इस फोर्ट के कई हिस्सों को बंद कर दिया गया ताकि किसी भी अनहोनी को टाला जा सके हैं। यहाँ आप किसी भी राज्य से आसानी से पहुंच सकते हैं। बुंदेलखंड पहुंचकर आप यहाँ से लोकल बस या टैक्सी से जा सकते हैं। झांसी से होते हुए भी आप यहाँ घूमने के लिए जा सकते हैं। इस प्रकार आपको यहाँ आने में कोई दिक्कत नहीं होगी।
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