पंचमढी: जहाँ अज्ञातवास में महादेव ने गुज़ारे थे दिन...
प्रिय मित्रों...
देश के दिल कहे जाने वाले मध्यप्रदेश का इकलौता हिल स्टेशन पंचमढ़ी, यूँ तो अपनी प्राकृतिक सुन्दरता और सतपुड़ा के जंगलों के लिए जाना जाता है। यहाँ हर साल बडी संख्या में पर्यटक आते है। जंगल और पहाड़ियों से घिरे पंचमढ़ी में मानों चहुओर हरियाली बिखरी पड़ी हो, इन सबके बीच उँची पहाडियों पर से उतरती नदियाँ और झरनों के कल-कल से उठते मीठे स्वर पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते है।यहाँ मौज, मस्ती और रोमांच के तमाम साधन उपलब्ध होने के साथ इस स्थान का धार्मिक महत्व सैलानियों को और भी रास आता है।
कहा जाता है कि जब भगवान शिव ने भष्मासुर के तपस्या से प्रसन्न होकर उसे आशिर्वाद दिया था, कि वह जिसके सर पर हाथ रख देगा वह भष्म हो जाएगा। भगवान शंकर से वरदान पाने के बाद उनके सर पर ही हाथ रख उन्हे भष्म करने का प्रयास किया। इस दौरान भगवान शंकर भष्मासुर से बचने के लिए अज्ञातवास चले गए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अपने अज्ञातवास के दौरान भगवान शंकर सतपुड़ा की पहाडियों की गुफाओं में ही शरण ली थी। लोगों की मान्यता है कि भगवान शिव सबसे ज्यादा समय जटाशंकर स्थित गुफा में रहे थे।इसके साथ ही यहाँ का पांडव गुफा भी महाभारत काल से जुड़ा है, लोगों की मान्यता है कि पांडव वनवास के दौरान यहाँ रुके थे। यहाँ छोटी-छोटी छह गुफाएँ हैं, पाँच पांडवों की और एक द्रौपदी की। इसके अतिरिक्त यहाँ रजत प्रपात, सतपुडा टाईगर रिजर्व, प्रियदर्शी प्वाइंट, बी फाल, डिफेंस गोल्फ ग्राउंड और यहां का बाजार ही के प्रमुख आकर्षण है।
कैसे पहुँचे:-
पंचमढी मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले के पिपरियां तहसील में स्थित है। पिपरियां से पंचमढी करीब 52 कि.मी. दूर स्थित है और पिपरियां ही पंचमढी का सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन भी है जो मुम्बई हावड़ा रेल मार्ग पर इटारसी और जबलपुर के बीच स्थित है। राजधानी भोपाल से करीब 205 कि.मी. दूर पंचमढी, पर्यटन के साथ-साथ आस्था का भी प्रमुख केन्द्र है। भोपाल ही इसका नज़दीकी हवाई अड्डा है।इसके साथ ही सड़क मार्ग से पिपरियां भोपाल के लगभग प्रमुख शहरों से जुड़ा है।पिपरियां पहुँच कर बस और टैक्सी के ज़रिए पंचमढी पहुँचा जा सकता है।
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मौसम:-
पंचमढ़ी का ठंडा सुहावना मौसम इसकी सबसे बड़ी विशेषता है। सर्दियों के मौसम में यहाँ तापमान लगभग 3-4 डिग्री सेलसियस रहता है लेकिन मई-जून के महीनों में जब मध्य प्रदेश के अन्य भागों में तापमान काफी अधिक होता है , तब पंचमढ़ी में 34 डिग्री सेलिसिय से अधिक नहीं होता। इस कारण यहाँ गर्मियों में पर्यटकों की बहुत भीड़ होती है। सतपुड़ा के घने जंगलों से घिरा यह रमणीय स्थल इसके मौसम के कारण ही अपने आप में विशिष्ट है।
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पंचमढी को ऐसे मिली नयी पहचान:-
कहा जाता है कि पंचमढी की खोज अंग्रेज अफ्सर केप्टन जे.फॉरसोथ ने की थी। वे यहाँ सन् 1862 में, सतपुड़ा के इस भाग के अन्वेषण के लिए आये थे। उन्होंने यहाँ एक फॉरेस्ट लॉज का निर्माण किया। यहाँ से जाने के बाद वह द हाइलेंडस ऑफ सेंट्रल इंडिया नामक एक प्रसिद्ध पुस्तक भी लिखी, जिसमें सतपुड़ा पर्वत श्रेणी की उत्कृष्ट सुंदरता का सुखद चित्रण किया। जब वे पचमढ़ी आए तो इस क्षेत्र पर पंचमढ़ी के कोरकू जागीरदार का अधिकार था, किंतु हांडी खो के समीप मग्न झोपड़ियों के स्थलों के रूप में अति प्राचीन सभ्यता के चिन्ह विद्यमान थे।
रवि सिंह "प्रताप"