
अयोध्या (उत्तर प्रदेश) का ऐसा शहर जो विश्व प्रसिद्ध है भगवान श्री राम की जन्म स्थली और धार्मिक नगरी के रूप में। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ तो एक महत्त्वपूर्ण और सर्वाधिक आकर्षण का केंद्र है ही अयोध्या शहर का लेकिन श्री राम मंदिर के साथ साथ यहाँ हर गली और क्षेत्र में बहुत से ऐसे स्थान है जो देखे और समझे जाने चाहिए। आजकल की दौड़ भाग वाली जिंदगी में अधिकांश लोग तीर्थ स्थलों पर भी भागते हुये आते है और मुख्य मंदिर या स्थान को देखकर लौट जाते है। बाकी जगहें छुट जाती है।
किसी भी प्राचीन तीर्थ या शहर जैसे वाराणसी, अयोध्या, आदि जगह पर ठीक से इन तीर्थ की आत्मा को जानने समझने, उस शहर का स्वभाव समझने के लिए समय की आवश्यकता होती है। और वही सबके पास नहीं है। अयोध्या जैसे प्राचीन शहर को ठीक से देखने समझने के लिए यूं तो पूरा सप्ताह चाहिए होता है लेकिन फिर भी 2 दिन में प्रमुख जगहों को देखने के लिए एक छोटी सी लिस्ट बनाई है जिससे इस शहर को देख और समझ सकते है।

अयोध्या उत्तर प्रदेश का एक मुख्य तीर्थ स्थल होने के साथ ही जिला मुख्यालय भी है। पहले जिला मुख्यालय को फ़ैज़ाबाद के नाम से जाना जाता था और अयोध्या शहर को अयोध्या के नाम से। अब दोनों शहरो को अयोध्या के नाम से ही जानते है। वैसे भी अयोध्या और फ़ैज़ाबाद के बीच मे मात्र 2 -3 किलोमीटर का ही अंतर था लेकिन लगातार विकास और नए निर्माण की वजह से दोनों शहरो के बीच की दूरी खत्म हो गई है। इसलिए अब पता ही नहीं लगता कि कहाँ से अयोध्या केंट (फ़ैज़ाबाद) खत्म हुआ है और कहाँ से अयोध्या धाम शुरू हुआ है।

तो शुरू करते है कम समय में अयोध्या के देखने और घूमने के लिए 10 सबसे बढ़िया स्थान -
1. श्री राम जन्म भूमि तीर्थ : -

मंदिर कैसे पहुंचे : - अयोध्या धाम रेल्वे स्टेशन से मात्र 1 किलोमीटर, बस स्टैंड से 3 किलोमीटर और एयरपोर्ट से 13 किलोमीटर पर मंदिर है। मंदिर जाने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट के साथ साथ प्राइवेट केब, टैक्सी वगैरह भी आराम से हर जगह से मिल जाते है। नया घाट से हजरत गंज तक करीब 15 किलोमीटर लंबा राम पथ का निर्माण किया गया है। इस रोड पर कही से भी एंट्री करो मंदिर तक जाने के रास्ते मिल जाएगे।
सामान्य दिनों में अपनी गाड़ी या टैक्सी से रामपथ पर नया घाट पार्किंग और दूसरी तरफ टेढ़ी बाज़ार पार्किंग तक आराम से जा सकते है। वहाँ पार्किंग से मंदिर जाने के लिए सरकारी गोल्फ कार्ट, सिटी बस और बहुत से बैटरी रिक्शा मिल जाते है जो सीधे मंदिर के गेट पर ही छोडते है। पर्व एवं खास तिथियों पर बेरिकेडिंग करके भीड़ प्रबंधन के लिए यात्री वाहनों को बाइपास के पास पार्किंग में ही रोक दिया जाता है जहां से पब्लिक ट्रांसपोर्ट से मंदिर के नजदीक तक जा सकते है। फिर टेढ़ी बाज़ार से करीब 1.5 किलोमीटर या नया घाट से 3 किलोमीटर पैदल चलना पड़ सकता है।

सुविधाएं : - हालांकि भीड़ के समय नया घाट से मंदिर गेट तक बुजुर्ग यात्रियों के लिए व्हील चैयर मिल जाती है जिसका शुल्क भीड़ की स्थिति के हिसाब से 300 से 500 तक हो सकता है। मंदिर प्रबंधन की व्हील चैयर सिर्फ बीमार, बुजुर्ग और अशक्त लोगों के लिए है जो मंदिर के गेट से मंदिर दर्शन करवाकर वापस गेट तक उपलब्ध होती है। यह नि:शुल्क है लेकिन इसके ऑपरेटर के लिए 150 रुपए का भुगतान करना होता है जो गेट के पास बने ऑफिस से ही होता है।
व्हील चैयर के लिए बुजुर्ग या अशक्त व्यक्ति के मेडिकल सर्टिफिकेट और पहचान पत्र (आधार या वोटर कार्ड) की फोटोकोपी लगती है। व्हील चैयर वाले व्यक्ति के साथ अटेंडेंट के तौर पर एक परिजन भी साथ जा सकता है जिससे इन दोनों को सुगम और बिना लाइन मे लगे जल्दी दर्शन हो जाते है। बाकी सामान्य दर्शनार्थियों को गेट से करीब 800 मीटर चलकर सुरक्षा जांच के बाद मंदिर दर्शन होते है।
अंदर मोबाइल, स्मार्ट वॉच, इलेक्ट्रोनिक चीजें जैसे कार की चाभी पर प्रतिबंध है। इसके लिए मंदिर प्रवेश के पहले नि:शुल्क जूता स्टैंड और उसके बाद नि:शुल्क लॉकर रूम बने हुये है जहां आप अपने मोबाइल वगैरह रखकर दर्शन के लिए जा सकते हो।

2. श्री हनुमान गढ़ी मंदिर : -

श्री राम मंदिर के पास ही 1 किलोमीटर की दूरी पर ही श्री हनुमान गढ़ी मंदिर स्थित है। यह उत्तर भारत के हनुमान जी के सबसे लोकप्रिय मंदिर परिसरों में से एक हैं। अवध में यह एक लोकप्रिय प्रथा है कि राम मंदिर जाने से पहले हनुमान मंदिर के दर्शन करने चाहिए। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि हनुमानजी आज भी यहां वास करते हैं। इसलिए जब तक इस मंदिर के दर्शन न करो, रामलला के दर्शन अधूरे हैं।

प्रचलित मान्यता के अनुसार लंका विजय के बाद श्रीराम के साथ हनुमान जी एवं अनेक वानर वीर भी श्रीराम के साथ अयोध्या आए। माता सीता की खोज से लेकर रावण के विरुद्ध सामरिक अभियान में हनुमान जी ने अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसलिए भगवान श्री राम ने राजप्रासाद (रामकोट) के आग्नेय कोण पर हनुमान जी को अयोध्या के रक्षक के रूप में स्थापित किया। जब हम भगवान श्री राम के दर्शन चाहते हैं तो हमें हनुमान जी की आज्ञा लेनी पड़ती है।
एक और धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान राम गुप्तार घाट के जरिए जब गोलोक गए तो अयोध्या का कार्यभार हनुमान जी को सोंप कर गए थे और भगवान श्री राम का आदेश हनुमानजी कभी टाल नहीं सकते थे। इसलिए आज भी अयोध्या की जिम्मेदारी हनुमान जी के हाथों में हैं। और उन्हें अयोध्या के राजा के रूप में विराजमान माना जाता है।
हनुमानगढ़ी में हनुमान जी की प्रतिमा दक्षिणमुखी है। यहां दिखने वाले हनुमान निशान लोगों को आश्चर्यचकित कर देता हैं। यह एक चार मीटर चौड़ा और आठ मीटर लंबा ध्वज है, जो लंका-विजय का प्रतीक है। इसके साथ एक गदा और त्रिशूल भी रखा है। कोई भी शुभ कार्य करने से पहले अयोध्या में हनुमान निशान ले जाया जाता है। लगभग 20 लोग इस निशान को हनुमानगढ़ी से राम जन्म भूमि तक तक ले जाते हैं। पहले इसकी पूजा होती है और फिर किसी कार्य की शुरुआत की जाती है।

हनुमान गढ़ी मंदिर एक चार-तरफा किले के आकार का है जिसके प्रत्येक कोने पर गोलाकार प्राचीर है। मुख्य मंदिर तक पहुँचने के लिए 76 सीढ़ियाँ हैं, जहाँ चाँदी की नक्काशी से सुसज्जित गर्भगृह है। केंद्र में तीन जटिल रूप से डिज़ाइन किए गए दरवाज़े हैं जो आंतरिक कक्ष की ओर जाते हैं। इस कक्ष के भीतर, हनुमानजी की 6 इंच की मूर्ति है, जो उनकी माँ अंजनी की गोद में बाल रूप में दर्शाया गया हैं।
वर्तमान हनुमान गढ़ी मंदिर का निर्माण अवध के नवाब शुजाउद्दौला ने करवाया था। मंदिर के निर्माण का एक दिलचस्प इतिहास है। ऐसा कहा जाता है कि नवाब शुजाउद्दौला के पुत्र को गंभीर बीमारी थी, जो बाबा अभयरामदास की कृपा से ठीक हो गया था. इसके बाद नवाब ने हनुमान जी का मंदिर बनवाने का प्रस्ताव रखा, जिसे बाबा ने स्वीकार कर लिया. नवाब ने हनुमान जी के लिए 52 बीघा का परिसर (जमीन) का दान दिया। इस मंदिर को 300 साल पहले स्थापित किया गया था.
3. कनक भवन : -

कनक भवन, अयोध्या में एक प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर है। यह हनुमान गढ़ी मंदिर से सिर्फ 200 मीटर की दूरी पर स्थित है। इसे माता सीता और भगवान राम का निजी महल माना जाता है। मान्यता है कि त्रेता युग में, कैकेयी ने इसे माता सीता को विवाह के उपहार स्वरूप दिया था। कनक भवन के गर्भगृह में भगवान राम और देवी सीता की मूर्तियां स्थापित हैं। प्रचलित मान्यता के अनुसार कनक भवन में पुरुषों का प्रवेश वर्जित माना जाता था, लेकिन हनुमान जी को आंगन में रहने की अनुमति थी।

कनक भवन का जीर्णोद्वार कई बार हुआ है। यहाँ लगे शिलालेख के अनुसार सबसे पहले त्रेता युग मे भगवान श्री राम के पुत्र कुश ने इस भवन का जीर्णोद्वार करवाया, फिर द्वापर युग मे भगवान श्री कृष्ण ने भी पुन:निर्माण करवाया। मध्य काल में सम्राट विक्रमादित्य ने इस भवन का जीर्णोद्वार करवाया। कनक भवन का वर्तमान स्वरूप का निर्माण 1891 में ओरछा की रानी वृषभानु कुंवरि ने करवाया था।
4. दशरथ महल : -

दशरथ महल हनुमान गढ़ी मंदिर से सिर्फ 100 मीटर की दूरी पर स्थित है। इस महल का निर्माण चक्रवर्ती राजा दशरथ ने करवाया था ऐसी मान्यता है। बाद में इसका जीर्णोद्वार राजा विक्रमादित्य ने करवाया। भगवान श्री राम सहित चारो भाई इसी महल मे खेले और पले बढ़े ऐसा यहाँ के महंत बताते है।
5. नया घाट / सरयू घाट : -

अयोध्या धाम में बाइपास तरफ से एंट्री करते ही पार्किंग के पास ही सरयू घाट है। इसे नयाघाट पार्किंग के नाम से भी जानते है। यहाँ हरिद्वार की तरह सरयू नदी की एक धारा को नए घाट बनाकर अंदर की तरफ मोड़ा गया है जो आगे चलकर वापस मुख्य धारा में मिल जाती है। यह यात्रियों को सुरक्शित स्नान करने की सुविधा के लिए किया गया है।
6.गुफ्तार घाट : -

गुप्तार घाट एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है जो सरयू नदी के तट पर स्थित है। ऐसा माना जाता है कि यह वह स्थान है जहाँ भगवान राम ने जल समाधि ली थी, ताकि वे अपने पवित्र निवास वैकुंठ के लिए प्रस्थान कर सकें। अभी गुफ्तार घाट पर मंदिरो के दर्शन के साथ ही बोटिंग, ऊंट और घोड़े की सवारी की जा सकती है। कई तरह के वॉटर स्पोर्ट्स भी यहाँ होते है। शहर के बाहर केंट एरिया में होने के कारण यह घाट खुला खुला और बहुत विस्तृत है।
7. गुलाब बाड़ी: -

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित अवध के तीसरे नवाब शुजा उद दौला का मकबरा गुलाब बाड़ी शहर में मध्य में स्थित है। गुलाब बाड़ी का शाब्दिक अर्थ है ‘गुलाबों का बाग़’ | यहाँ विभिन्न प्रजातियों के गुलाब फव्वारे के चारों तरफ लगाये गये हैं| अवध के तीसरे नवाब शुजा-उद-दौला की कब्र भी इसके प्रांगण में स्थित है| यह स्मारक चारबाग़ शैली में बनाया गया है जिसके केंद्र में मकबरा एवं चारो तरफ फव्वारे एवं पानी की नहरें है| गुलाब बाड़ी मात्र ऐतिहासिक स्मारक ही नहीं बल्कि इसका सांस्कृतिक एवं धार्मिक महत्व भी है|
8. बहू बेगम का मकबरा: -

बहू बेगम का मकबरा नवाब शूजा-उद-दौला अपनी पत्नी उन्मातुज जोहरा बानो (बहू बेगम) के लिए ताजमहल की तरह बनवाना चाहते थे, लेकिन उनकी मौत के बाद यह जिम्मेदारी उनकी पत्नी बहू बेगम ने खुद संभाली। लेकिन बहू बेगम की मौत के बाद उनके विश्वस्त सिपहसालार रहे दाराब अली खान ने इस मकबरे का निर्माण पूरा करवाया। यह अयोध्या की सबसे ऊंची इमारतों में से एक है और गैर-मुगल मुस्लिम वास्तुकला का एक उल्लेखनीय उदाहरण है। पूरे परिसर में चारो ओर हरियाली फैली हुई है। यह परिसर अब भारतीय पुरातत्व विभाग के अधीन है। इसे पूर्वान्चल का ताजमहल भी कहते है।
9. राज द्वार मंदिर: -

राज द्वार मंदिर अयोध्या मे हनुमान गढ़ी मंदिर के सामने ही स्थित है। इस मंदिर का निर्माण अयोध्या के पूर्व नरेश श्री दर्शन सिंह द्वारा लगभग 500 वर्ष पूर्व करवाया गया था। यह मंदिर श्री राम के राज दरबार के रूप में है। इसलिए शायद इसका नाम राज द्वार मंदिर रखा गया होगा।

10. बड़ी देवकाली मंदिर: -

बड़ी देवकाली मंदिर बाइपास से देवकाली चौराहे से बेनीगंज जाने वाले रोड पर स्थित है। यह मंदिर भगवान श्री राम की कुलदेवियों श्री शीतला देवी (बड़ी देवकाली), श्री चुटकी देवी, श्री वंदी देवी (जलपा) और श्री लोटनी भवानी देवी को समर्पित है। मंदिर के सामने ही बड़ा सरोवर है जो चारों तरफ से पक्के घाट और बुर्ज से घिरा हुआ है।

और ये रहे बोनस 5 स्थान जो समय होने पर घूमे जा सकते है: -
11. राजा दशरथ की समाधि: -

चक्रवर्ती राजा दशरथ की समाधि अयोध्या से 20 किलोमीटर दूर पूरा बाज़ार एरिया में है। ऐसी प्रचलित धारणा है कि जब राजा दशरथ का देहांत हुआ था तो उनके लिए ऐसी जगह की तलाश शुरू हुई जहां पूर्व में किसी भी व्यक्ति का अंतिम संस्कार न हुआ हो। पूरी धरती पर इस जगह पर सिर्फ 3 हाथ की जगह ऐसी मिली जहां पहले कभी किसी का अंतिम संस्कार न हुआ हो। अत: राजा दशरथ का अंतिम संस्कार यहाँ किया गया। पास में ही एक शनि मंदिर भी है जिसकी मान्यता है कि यहाँ शनिदेव की पूजा करने से शनि की साढ़े साती का भी शमन होता है।

राजा दशरथ - समाधि मंदिर

12. सूर्य कुंड, दर्शन नगर:-

सूर्य कुंड अयोध्या के बाहरी हिस्से दर्शन नगर में स्थित है जो शहर से करीब 8 किलोमीटर दूर पड़ता है। यहाँ एक बड़ा तालाब या कुंड है जो चारो और से पक्के घर और बुर्ज से घिरा हुआ है। कहा जाता है कि श्री राम के राज्याभिषेक के दौरान यहाँ भगवान सूर्य का रथ कुछ देर के लिए रुका था। इसलिए इस कुंड का नाम सूर्य कुंड पड़ा। यहाँ एक बड़ा गार्डेन भी विकसित किया गया है। सूर्य कुंड में शाम को लाइट एंड साउंड शो भी चलता है जिसमे सूर्य कुंड की गाथा दर्शाई जाती है।
13. बिरला मंदिर: -

श्री राम जन्म भूमि तीर्थ के गेट के एकदम सामने ही बिरला मंदिर है जो आसानी से देखा और घूमा जा सकता है। यहाँ यात्रियों के रुकने के लिए धर्मशाला और एक भोजनालाय भी है जो काफी किफ़ायती और साफ सुथरा है।
14. चौक बाज़ार और घंटाघर: -

घंटाघर और चौक बाज़ार अयोध्या का एक पुराना परंपरागत मार्केट है जहां सभी तरह की दुकानें सजी है जिसमें आयुर्वेदिक दवाइयाँ, सोना चाँदी, किराना, कपड़ा, राशन, ड्राइ फ्रूट और विशेष रूप से मिठाइयों की दुकानें प्रसिद्ध है। चौक से चारों दिशाओं में चार रोड जाती है जो शहर के प्रमुख हिस्सो को सीधे शहर के केंद्र यानि चौक से जोड़ती है। चौक बाज़ार में अवध की मिठाइयों को टेस्ट करने के लिए बहुत सी दुकाने है जो यहाँ की परंपरागत मिठाइयाँ जैसे - खुरचन पेढ़ा, बेसन के लड्डू, गुझिया, नारियल लड्डू, रबड़ी, गुलाब जामुन, छेना, रसगुल्ला आदि शामिल है।
15. हनुमान गढ़ी मार्केट: -
हनुमान गढ़ी मंदिर के बाहर और राम पथ पर दोनों तरफ बहुत बड़ा मार्केट है जो अधिकतर पूजा सामग्री, मिठाई - प्रसाद और हेंडीक्राफ्ट का सामान बेचते है। वैसे तो सभी धार्मिक स्थलों के बाहर मार्केट मे लगभग एक जैसी ही चीजें ही बिकती है जैसे माला आदि। यहाँ के मार्केट में मुख्य रूप से हेंडीक्राफ्ट, लकड़ी के खड़ाऊ, तुलसी माला, कंठी, मंदिर के मिनीएचर मोडेल, मूर्तियाँ ज्यादा बिकती है।
इन सबके अतिरिक्त सबसे ज्यादा प्रसिद्ध चीज है हनुमान गढ़ी मार्केट का खुरचन पेढ़ा और बेसन लड्डू जो प्रसाद के तौर पर बिकता है। खुरचन पेढ़ा मावे से बनने वाला पेढ़ा है जिसको कढ़ाई में बादामी रंग का होने तक सेंका जाता है जिसको खुरच खुरच कर निकालते है इसलिए इसे खुरचन पेढ़ा बोलते है। यह अयोध्या मे अलग अलग क्षेत्र मे 300 से 800 रुपए किलो तक मिलता है। ऐसे ही बेसन लड्डू भी हनुमान जी को प्रसाद के रूप मे लिया जाता है।
अच्छी बात ये है कि खुरचन पेढ़ा और बेसन लड्डू दोनों को सरकार ने जियोग्राफिकल इंडीकेशन (GI) या भौगोलिक संकेतन भी दिया है जो इस पुरानी मिठाई और उसको बनाने की कला को सरंक्षित किया जा सके। इसका मतलब ये है कि जीआई मे दिये गए अयोध्या के भौगोलिक क्षेत्र के बाहर इन मिठाइयों (खुरचन पेढ़ा और बेसन लड्डू) को नहीं बनाया जा सकता।

- कपिल कुमार
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