ये 8 जगहें हैं भारत का छिपा खज़ाना, स्वर्ग-से सुंदर इस सफर को बनाएँ ट्रैवल लिस्ट का हिस्सा!

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चलें सुदूर शांत जगहों की ओर?

जब हिमाचल की पहाड़ियों और गोवा के तटों से हमारा मन भर गया हो तो भारत के सुदूर कोनों की तरफ रुख कर लेना चाहिए। ऐसे कोने जहाँ आज भी कम ही पर्यटक पहुँच पाते हैं। भारत के ऐसे पर्यटन स्थल जो सुन्दर तो है ही, आम पर्यटन स्थलों से अलग भी हैं।

भारत के ये राज्य आम टूरिज्म सर्किट से अलग हैं और हम वादा करते हैं कि ये जगहें याददाश्त पर अमिट छाप छोड़ जाएँगी। तो आर्टिकल पढ़िए और अपनी ट्रैवल लिस्ट बनाते रहिए!

1. पश्चिम कामेंग जिला, अरुणाचल प्रदेश

सुबह के उजालों से दमकता अरुणाचल प्रदेश सही मायनों में उगते हुए सूर्य का प्रदेश है। यह इलाका अभी भी भागदौड़ वाली ज़िन्दगी से दूर है। शायद इसी वजह से यहाँ बहुत कम पर्यटक आते हैं। जीवन की सब परेशानियों को भूल हम यहाँ प्रकृति की गोद में बैठ कर दिरांग और टिप्पी ऑर्किड सेंटर के गरम पानी के सोतों का मज़ा ले सकते हैं। हरियाली से भरी पहाड़ियों का बोमडिला हो या भालुकपोंग, अरुणाचल के ये ज़िले जनजातियों और रंगबिरंगी संस्कृतियों के लिए जाने जाते हैं।

पश्चिम कामेंग की यात्रा करने के लिए मार्च से मध्य जून और सितंबर से मध्य दिसंबर का समय सबसे ठीक रहता है।

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2. तवांग, अरुणाचल प्रदेश

वर्षों तक तवांग मुख्यधारा से छिपा ही रहा। पर इंटरनेट के बढ़ते प्रचार प्रसार के साथ अब इस आकर्षक पहाड़ी कस्बे के चर्चे विश्वस्तर पर होने लगे हैं।

चूंकि यहाँ तक पहुँचने का रास्ता दुर्गम सेला पास से होकर जाता है, हमें इसी रास्ते की खतरनाक घुमावदार वादियों आनंद लेते हुए सफर करना होगा।

साल भर बर्फ से ढके रहने वाले इन इलाकों के पास भारत के सबसे बड़े बौद्ध मठ में जाकर हमें अद्वितीय शांति का अनुभव होगा। नूरानांग झरने का इलाका तो ऐसा लगता है मानो किसी दूसरी दुनिया का हिस्सा हो। कुछ ऐसी ही माधुरी झील की खूबसूरती है कि दुनिया भर से पर्यटक यहाँ खिचे चले आते हैं।

तवांग जाने का सबसे अच्छा मौसम मार्च से अक्टूबर तक का होता है।

पढ़ें: ए वीक इन तवांग बाय कुणाल

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श्रेय : कुणाल

3. बेतला नेशनल पार्क, झारखण्ड

झारखण्ड का बेतला नेशनल पार्क बाघों का घर होने के साथ ही बघेरों, भालुओं, जंगली सूअरों और गौर का भी आशियाना है।

शायद प्रकृति का वरदान ही है जो ये जगह इतनी आकर्षक होते हुए भी अधिकतर लोगों की नज़रों से अभी तक बची हुई है। यहाँ अनेकों पेड़ पौधों की प्रजातिओं के बीच में जाकर किसी का भी मन यहाँ बार बार आने का करेगा।

बेतला राष्ट्रीय उद्यान झारखण्ड के पलामू ज़िले में स्थित है। अक्सर यह जगह शांति की तलाश में जाने माने फोटोग्राफर्स और प्रकृति प्रेमियों से आबाद रहती है।

अक्टूबर से अप्रैल में मध्य में जब सुहानी सी ठण्ड होती है तब बेतला नेशनल पार्क की ख़ूबसूरती सबसे निखर के सामने आती है।

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श्रेय : सुचंदन घोष

4. आइजोल, मिजोरम

आइज़ोल भारत के उत्तर पूर्वी राज्य मिजोरम की राजधानी है। इस जगह की सबसे खुशनुमा बात है कि आज भी यहाँ के सीधे साधे लोगों ने अपनी संस्कृति और प्रकृति को सहेज कर रखा है। हिमालय की गोद में बसे इस शहर की उत्तरी सीमा पर देखेंगे तो हमें दुर्तलांग की पहाड़ियाँ दिखाई पड़ेंगी।

थोड़ी थकान देने वाली चढ़ाई के बाद इस पहाड़ी से आइज़ोल शहर को देखना आपको स्वर्ग का सा अनुभव देता है। मिजोरम प्रदेश के बने बांस के हस्तशिल्प इतने आकर्षक हैं कि हमें बरबस ही अपनी ओर ध्यान खींच लेते हैं। यह शहर के बुर्रा बाजार से ही खरीदे जा सकते हैं। यहाँ के लोगो को रंगों से बहुत लगाव होता है और वो यहाँ मिलने वाले कपड़ों में भी देखा जा सकता है।

आइज़ोल घूमने का सबसे अच्छा मौसम अक्टूबर से मार्च तक होता है।

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5. ज़ुको वैली, नागालैंड

हिमालय की घनी वादियों में ज़ुको वैली ट्रेक एक जादुई सा क्षेत्र है। अक्सर यहाँ अनुभवी ट्रैक्कर भी अपनी क्षमताओं को परखने आते हैं।

यह इलाका कितना एकांत और शांत है कि ज्यादातर लोग कोहिमा से विसवेमा गाओं तक शेयर्ड टैक्सी से आते हैं। इस चढ़ाई वाले इलाके में ज़रूरत का सामान और खाने पीने का सामान भी मुश्किल से ही मिलता है, इसलिए अधिकतर लोग कोहिमा से ही खाने पीने का सामान साथ लेकर ही यात्रा का शुभारम्भ करते हैं। यहाँ की हरियाली शरीर और आत्मा को एकदम तरोताज़ा कर देती है।

ज़ुको वैली ट्रेक चढ़ने का सबसे अच्छा मौसम अक्टूबर से मई तक का होता है।

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6. चोफेमा टूरिस्ट विलेज, नागालैंड

वीर अंगामी लोगों का घर है चोफेमा टूरिस्ट विलेज। यह जनजाति कोहिमा शहर के आसपास की घाटियों में सैंकड़ों सालो से रहती आयी है। कभी दुनिया से अलग-थलग रहने वाले अंगामी लोगों ने अब मेहमानों के लिए अपने घरों के दरवाज़े खोल दिए हैं। हम सभी स्वादिष्ट खाने के शौक़ीन हैं, कैसा हो जो यहाँ पहुँचने पर हमारा स्वागत चावल से बनी शराब और बांस के बनने वाले व्यंजनों की महक से हो? इसके अलावा भी असली नागा व्यंजनों को यहाँ चखा जा सकता है। आम दुनिया से अलग इनके रीति रिवाज़ और रहन सहन किसी भी यात्री को अचम्भे में डाल देगा।

वैसे तो अक्टूबर से मई तक कभी भी यहाँ जाया जा सकता है पर फरवरी में मनाया जाने वाले अंगामी सेक्रेनयी उत्सव के दौरान यहाँ की रौनक सबसे अच्छी होती है। तब आस पास की कई और जनजाति के लोग उत्सव मनाने के लिए इक्कठे होते हैं।

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7. उनाकोटी, त्रिपुरा

भारत और बांग्लादेश की सीमा के पास ही स्थित है त्रिपुरा राज्य का उनाकोटी पवित्र स्थल। राज्य की राजधानी से करीब 178 किलोमीटर दूर इस जगह की सबसे खास बात है चट्टानों पर नक्काशी की हुई आकृतियाँ। अगर आपको भी पुरातात्विक स्थलों में दिलचस्पी है तो आपको भी यहाँ जरूर चलना चाहिए। भगवन शिव में आस्था रखने वालों के लिए तो ये जगह मानों किसी धार्मिक स्थल से काम नहीं है। ये जगह ऐसी लगती है मानों किसी माँ के आँचल में छिपा हुआ बच्चा, जिस पर किसी की नज़र कम ही पड़ती है। इसके सबसे पास रेलवे स्टेशन ही 20 किलोमीटर दूर है।

उनाकोटी घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मई तक का है जब हल्की-हल्की ठण्ड पड़ती है।

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7. चित्रकूट और तीरथगढ़, छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ भारत का ऐसा राज्य है जिसे अभी भी बहुत कम लोगों ने अच्छे से देखा है या जाना है। चित्रकूट झरना छत्तीसगढ़ में ऐसी ही एक जगह है जहाँ जा कर यात्री अवाक रह जाते हैं। पथरीली पहाड़ियों के बीच में से जब इंद्रावती नदी चित्रकूट झरने से बहती है तो इसकी सुंदरता में चार चाँद लग जाते हैं। बहुत लोग तो इसे बस्तर जिले की शान मानते हैं, जो कि बहुत हद तक सच भी है। ठहरिये, क्यूोंकि छत्तीसगढ़ में अभी भी बहुत कुछ है जो सैलानियों को खींच लाता है। चित्रकूट से ही 35 किलोमीटर दूर एक और झरना है जो चित्रकूट से किसी भी मायनों में काम नहीं है। यात्रियों को कभी निराश न करने वाला तीरथगढ़ झरना सदियों से अविरल बहता रहता है।

यह जगह घूमने का अच्छा समय जुलाई से अक्टूबर के बीच का है।

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श्रेय : असीम चौधरी

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