भारत का पूवोत्तर सुंदरता, दुर्लभ वन्यजीव, हरियाली और कुछ छिपे हुए नगीनों से भरा एक खज़ाना है। यह इलाका आज भी यात्रियों से कुछ हद तक छिपा हुआ है। लेकिन सिक्किम, शिलांग और मिज़ोरम जैसी खूबसूरत जगहों की बढ़ती लोकप्रियता के चलते ये इलाका भारत की सबसे पसंदीदा जगहों में से एक बनता जा रहा है।
जहाँ नॉर्थ ईस्ट राज्यों की कई जगह को अब लोगों के बीच काफी मशहूर हो गई है, लेकिन ऐसी कई दूसरी सुंदर जगहें हैं जो आज भी पर्यटकों की भीड़ से बती हुई है। तो चलिए आपकी ऐसी जगहें बताते हैं जहाँ आपको अपनी गर्मी की छुट्टियाँ बितानी चाहिए।
1. फौंगपुइ राष्ट्रीय उद्यान
फौंगपुइ ब्लू माउंटेन नेशनल पार्क मिजोरम में है। यह पार्क पूरे पहाड़ के साथ-साथ आसपास के आरक्षित वन को कवर करता है। इसे 'ब्लू माउंटेन' का नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि ये फौंगपुइ के पहाड़ी क्षेत्र को कवर करता है, जो ज्यादातर समय, बादलों की एक पतली सी चादर से ढके होने के कारण नीला नज़र आता है। फौंगपुइ मिजोरम में सबसे ऊँची चोटी है और यहाँ के जंगल औषधीय जड़ी बूटियों से लदे हुए हैं। यह भौंकने वाले हिरण, सांभर, तेंदुआ, हूलॉक लंगूर जैसे जंगली जानवरों और पक्षियों का घर भी है। आप यहाँ पर ट्रेकिंग या कैंपिंग भी कर सकते हैं।
फौंगपुइ यात्रा का सबसे अच्छा समय
अक्टूबर से अप्रैल
कैसे पहुँचे फौंगपुइ
हवाई मार्ग से: निकटतम हवाई अड्डा आइज़वाल हवाई अड्डा है, जो फौंगपुइ ब्लू माउंटेन नेशनल पार्क से लगभग 300 कि.मी. दूर है।
रेल मार्ग से: निकटतम रेलवे स्टेशन सिल्चर रेलवे स्टेशन है, जो फौंगपुइ ब्लू माउंटेन नेशनल पार्क से लगभग 185 कि.मी. दूर है।
सड़क मार्ग से: फौंगपुइ ब्लू माउंटेन नेशनल पार्क सड़क मार्ग द्वारा प्रमुख शहरों और स्थानों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
2. मावलिनोंग
मावलिनोंग मेघालय के पूर्वी खासी पहाड़ी जिले का एक गाँव है। इसे 'भगवान का अपना बगीचा' भी कहा जाता है और ये जगह अपनी स्वच्छता और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। शिलांग से लगभग 100 कि.मी. दूर स्थित इस छोटे से गाँव को एशिया का सबसे स्वच्छ गाँव होने का दर्जा हासिल है।
बांस की टोकरियों को हर घर के बाहर रखा जाता है और डस्टबिन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। यह गाँव एक समुदायिक तौर पर इकोटूरिज्म की पहल कर चुका है। यहाँ देखने के लिए सबसे दिलचस्प चीजों में से एक है स्काई व्यू है, एक करीब 85 फीट ऊँचा बांस से बना एक वॉच टॉवर है। एक तरफ, आपको गांव के शानदार दृश्य मिलते हैं और दूसरी तरफ, आप बांग्लादेश को देख सकते हैं। मामूली भोजन, सादगी और लोगों की गर्मजोशी इस जगह को और भी खास बना देती है।
मावलिनोंग यात्रा का सबसे अच्छा समय
मावलिनोंग में मौसम पूरे साल सुहाना बना रहता है।फिर भी, मावलिनोंग जाने का सबसे अच्छा समय मॉनसून है।
कैसे पहुँचे मावलिनोंग
हवाई मार्ग से: मावलिननॉन्ग का निकटतम हवाई अड्डा शिलांग में 78 कि.मी. की दूरी पर स्थित है।
रेल मार्ग से: गुवाहाटी निकटतम रेलवे स्टेशन है और मावलिनोंगसे 172 कि.मी. दूर है।
सड़क मार्ग से: मावलिनोंग को जोड़ती सड़कें अच्छी स्थिति में हैं। आप चेरापूंजी और शिलांग जैसे गाँव और आस-पास के क्षेत्रों से आसानी से बसों कर सकते हैं हैं।
3. उनाकोटि
उनाकोटि एक अनूठी जगह है जिसकी भव्यता और कला को कोई मुकाबला नहीं है। उनाकोटि का अर्थ है 'एक करोड़ से एक कम'। यह जगह अगरतला से लगभग 178 कि.मी. दूर स्थित है। आपको यहाँ उँची चट्टानों और पहाड़ियों पर की गई नक्काशी देखने को मिलती है। चट्टान में विशाल मूर्तियाँ और चित्र उकेरे गए हैं। उनाकोटि हरे-भरे जंगलों और पहाड़ों के बीच बसा हुआ है। उनाकोटि में ही पूरे भारत में भगवान शिव की सबसे बड़ी, पत्थर से बनी प्रतिमाएँ हैं। इन खूबसूरत मूर्तियों को किसने बनाया यह सवाल अभी भी एक रहस्य बना हुआ है। यह स्थान विश्व धरोहर कहलाने का सही हकदार है। हालांकि, ज़्यादा पर्यटक इस जगह पर नहीं आते हैं।
उनाकोटि यात्रा का सबसे अच्छा समय
अक्टूबर से मई
कैसे पहुँचे उनाकोटि
हवाई मार्ग से: निकटतम प्रमुख हवाई अड्डा अगरतला है, जो 180 कि.मी. दूर है।
रेल मार्ग से: कुमारघाट और धरम नगर दो निकटतम रेलवे स्टेशन हैं।
सड़क मार्ग से: यह अगरतला से 180 कि.मी. और कालीशहर से 8 कि.मी. दूर है। ये पूर्वोत्तर भारत के प्रमुख शहर से बस के ज़रिए अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
लोंगवा
लोंगवा, नागालैंड में मोन इलाके के सबसे बड़े गाँवों में से एक है और यह पर्यटकों के बीच काफी पसंदीदा भी। यहाँ एक या दो रात बिताने के लिए आपको आराम से होम स्टे मिल जाएँगे। इस जगह की अनोखी बात यह है कि लोंगवा के निवासी भारत और म्यांमार की दोहरी नागरिकता रखते हैं। ऐसा कहा जाता है कि लोंगवा के राजा म्यांमार में भोजन करते हैं और भारत में सोते हैं क्योंकि उनके घर का एक हिस्सा भारत में और दूसरा म्यांमार में है।
यह शहर भारत में अफीम की खदान के तौर पर जाना जाता है। यह नागालैंड के उन दुर्लभ स्थानों में से एक है जहाँ टैटू गुदे हुए नागा शिकारियों को देखने की कुछ संभाववा है।
लोंगवा यात्रा का सबसे अच्छा समय
अक्टूबर- मार्च
कैसे पहुँचें लोंगवा
नागालैंड पहुँचने के लिए दीमापुर हवाई अड्डा सबसे पास है। यहाँ से राज्य की राजधानी कोहिमा से भी बस 3-4 घँटे की दूरी पर ही है।मोन नागालैंड के पूर्वी किनारे पर स्थित है और केवल सड़क मार्ग से पहुँचा जा सकता है।
मानस नेशनल पार्क
अगर आप जंगली जानवरों को प्रकृति के आवेश में रहते देखना चाहते हैं तो तो मानस नेशनल पार्क इसके लिए सबसे बढ़िया जगह है। यह पूर्वी हिमालय की तलहटी में बना हुआ है और पार्क के बीच से गुज़रती मानस नदी इसे भूटान के शाही मानस राष्ट्रीय उद्यान से अलग करती है। राष्ट्रीय उद्यान रॉयल बंगाल टाइगर और जंगली भैंसों का घर है। पार्क में प्रवेश करने के लिए, आपको परमिट की ज़रूरत होती है। आप अपनी गाड़ी पार्क के अंदर ले जा सकते हैं या जीप गाइड किराए पर ले सकते हैं।
इसमें भारतीयों के लिए प्रवेश शुल्क ₹50 रुपए है। मानस नेशनल पार्क में सालानियों के लिए जीप सफारी, हाथी सफारी, रिवर राफ्टिंग, गाँव और चाय बागान पर्यटन और बर्ड वॉचिंग जैसी कई सारी एक्टिविटीज़ हैं जो आपको यहाँ कि प्राकृतिक विविधता का नज़ारा देती हैं।
मानस नेशनल पार्क जाने का सबसे अच्छा समय
नवंबर से अप्रैल
कैसे पहुँचें मानस नेशनल पार्क
हवाई मार्ग से: राष्ट्रीय उद्यान के लिए निकटतम हवाई अड्डा गुवाहाटी में 180 कि.मी. की दूरी पर है।
रेल मार्ग से: गुवाहाटी निकटतम रेलवे स्टेशन है। गुवाहाटी से आप बारपेटा के लिए एक ट्रेन ले सकते हैं जो सड़क मार्ग से मानस से 22 किमी दूर है।
सड़क मार्ग से: मानस गुवाहाटी से 176 कि.मी. दूर है जो पांच घंटे की सड़क यात्रा है।
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