
ऋषिकेश का ये मेरा तीसरा दिन था,तीसरे दिन में मैंने सुबह सुबह बीटल्स आश्रम का भ्रमण किया था। उसके बाद मैं होटल चला गया।शाम करीब चार बजे मैंने राम झूला पे वक्त बिताने को सोचा और चल पड़ा राम झूला की तरफ।




राम झूला पुल करीबन 750 फुट लंबा है तथा अभियांत्रिकी का उत्कृष्ट नमूना है। यह नदी के दोनों ओर स्थित आश्रमों को जोड़ने का काम करता है।राम झूला 1986 में बनाया गया था, जो गंगा के ऊपर बना झूलता हुआ पुल है। जब मैं वहां पहुंचा तो हवा अपने पूरे वेग से बह रही थीं।नीचे एक सभ्यता और संस्कृति को अपने गोद में पालने वाली जीवनदायिनी गंगा बह रही थी और ऊपर आसमाान में डूबता हुआ सूरज देख रहा था।यह दृश्य इतना अदभुत था और साथ साथ ही दिल को सुकून देने वाला भी था।


मैंने वहां जा आलू चाट का भी स्वाद लिया, आलू चाट ऋषिकेश का मुझे पसंदीदा व्यंजन लगा।

थोड़े देर बाद ही अंधेरा होना शुरू हो गया था। पर रात्रि में तेज हवा के मदमस्त झोंको के बीच रोशनी से सराबोर और राम झूला अत्यंत ही मनोहर लग रहा था और उसे देख कर मन-मस्तिष्क में एक अलग ही खुशी की लहर दौड़ती नजर आईं मेरे अंदर।तो आप अगर अगली बार ऋषिकेश जाए तो रात्रि में राम झूला का एक्सपीरियंस जरूर ले।
तो कुछ ऐसे ख़तम हुआ मेरा ऋषिकेश का तीसरा दिन।


