हम सब ने कभी न कभी कहीं न कहीं एक शब्द जरूर सुना होगा या पढा होगा..... स्वर्ग/जन्नत/heaven।
सपने देखे होंगे स्वर्ग के, महसूस की होगी वहां से आती ठंडी बयारें, सूंघी होगी वहां के सुगन्धित फूलों की महक, भीगने का सोचा होगा हल्की धुंध में, सोचा होगा कि कब यहां की चिकचिक ओर लफड़ों से दूर जाकर बैठेंगे निश्चिंत होकर किसी पहाड़ पर पांव लटकाए हुए, ताकते हुए दूर पर्वतश्रृंगों को, खो जाने को खुद में ही....कब पाएंगे हम वो मोक्ष जो हमारे धर्मग्रंथों में वर्णित है.... पर उसके लिए तो मरना पड़ेगा न ओर मृत्यु..... मृत्यु तो वो नँगा नाच है जिसमे नाचना तो कोई नही चाहता पर आपका प्रारब्ध खींचता है आपकी उन बांहों को जिनसे आपने कर्म किये हैं.... तब हिलते हैं आपके कदम ओर ले जाते हैं आपको या तो स्वर्ग की ओर या नरक की ओर... या जन्नत की ओर या जहन्नुम की ओर... या तो hell में या heaven में।
पर अपने यहां तो ये भी सुनने को मिलता है कि कुछ लोग सशरीर स्वर्ग गए थे, बिना मरे... बिना कष्ट के। अगर वो कर सकते हैं तो हम क्यों नही। हम भी जा सकते हैं स्वर्ग में जिंदा ओर वापस भी आ सकते है.... बस आपकी दृष्टि होनी चाहिए उस स्वर्ग को देखने की, मानसिकता होनी चाहिए उस स्वर्ग को समझने की। जिंदा लोगों का स्वर्ग वैसा नही होता जैसा सुनने में आता है... वहां न हूरें होती हैं, न गिलमे ओर न ही दूध की नदियां... स्वर्णशिखर तो कतई नही..... पर जैसा मैंने कहा आपकी दृष्टि ओर मानसिकता है तो आपको स्वर्ग दिखेगा।
वहां हूरें दिखेंगी आपको सर पर घास की गठरी या लकड़ियों का गट्ठा लिए हुए.... दूध की तो नही पर दूध जैसे सफेद पानी की नदी व झरने मिलेंगे... बर्फ से ढके पहाड़ो पर होता सूर्योदय व सूर्यास्त आपको आभास करवाएगा सोने के पहाड़ो का... बिना मरे.. जिंदा ही। बस आपको जाना पड़ेगा हिमाचल या उत्तराखंड के उन क्षेत्रों में, जो अब तक तथाकथित ट्रेवलर ओर बन्दरलस्टो से बचे हुए हैं, जहां अब तक बियर की बोतलें नही पहुंची हों, जहां रात को आग तो जले पर bonfire न हो, जहां टेंट में तो सोना पड़े पर camping न हो..... ऐसी जगह अगर आप कभी गए हों तो स्वर्ग पाने की लालसा खत्म हो जाएगी आपकी.... जैसे मेरी हुई है।
पर एक निवेदन करूँगा मानना जरूर.... जब ऐसे स्वर्ग में जाओ तो कृपया उसे स्वर्ग ही रहने देना, धरती का कचरा व पार्टी कल्चर से उसे नरक बनाने की कोशिश मत करना..... बाकी तो बस मस्त रहिये, व्यस्त रहिये।
#धरतीपुत्र
फ़ोटो श्रीखंड कैलाश यात्रा में कुंशा वैली से थोड़ा पहले का है।