इस अगस्त के महीने में जब मेरा हिमाचल के सराहन जाना हुआ ,तो सराहन को अच्छे से एक्सप्लोर करने के बाद यह समझ नहीं आ रहा था कि अब यहां से कहा जाएं।तब वही के रहने वाले एक मित्र ने श्राईकोटि माता मंदिर के बारे में बताया।
बारिश का समय था , ऑलरेडी हम लोग भूस्खलन में 2 दिन फंस कर इधर आए हुए थे।मेरे साथ मेरी पत्नी भी थी।हमे रामपुर और सराहन के इलाके को अच्छे से एक्सप्लोर कर किन्नौर कैलाश के ट्रेक पर जाने के प्लान को बनाए हुए थे। सराहन से माता के मंदिर की दूरी करीब 30 से 40 किमी बताई जा रही थी और रास्ता पूरा ऑफ रोड, ऊपर से बारिश और भूस्खलन का खतरा था वो अलग।
जैसे तैसे हमे वहां ले जाने के लिए एक पिकअप मिल गया ,साथ ही साथ ,मेरे दो मित्र भी सराहन आए हुए थे तो उनका भी साथ हो गया। वहां तक का रास्ता कैसा था, पिकअप में हम क्यों गए ,रास्ते में क्या क्या समस्याएं मिली ,ये सब बाते मैंने पिछले एक लेख में बताई हुई हैं।
मंदिर तक पिकअप पहुंच ना सका ,क्योंकि मंदिर से 2 किमी पहले ही रास्ता पूरा ब्लॉक था, यूं लग रहा था जैसे कि पूरा का पूरा जंगल ही आकर सड़क पर गिर गया था।बचा रास्ता हमने ऊपर से एक गाड़ी बुला कर और फिर कुछ एक किलोमीटर पैदल चल कर कवर किया था।
मंदिर प्रांगण में पहुंचने के लिए सबसे पहले एक छोटी सी चढ़ाई चढ़नी होती हैं ,जहां सबसे पहले गणेश जी का मंदिर बना हुआ मिला।वहां दर्शन करके ही आगे बढ़ा जाता हैं।
एक लोहे के जालीदार दरवाजे से हमारा स्वागत हुआ। चारो तरफ हरियाली,अगस्त महीना होने की वजह से पहाड़ों पर भी बर्फ नहीं दिख रही थी।
हम जालीदार दरवाजे से अंदर जाकर ,मंदिर के मुख्य द्वार पर पहुंचे तो कुछ पढ़ कर आश्चर्य हुआ। एक बोर्ड पर लगभग कुछ ऐसा लिखा था "मंदिर में पति पत्नी एक साथ दर्शन करने ना जाए"। मैने मेरे वहा के लोकल मित्र से इस बारे में पूछा कि ऐसा सही हैं।उन्होंने कहा कि यह बात सही हैं मंदिर में शादीशुदा जोड़ा एक साथ दर्शन नहीं करना चाहिए नहीं तो उनकी लाइफ में अनेकों समस्या आ जाती हैं।यह यहां की मान्यता हैं।इसके पीछे कुछ कहानियां भी मैने पढ़ी इंटरनेट पर ,पर मुझे कोई भी कहानी वाकई में इस से जुड़ी हुईं नहीं लगी।
मंदिर के चारों तरफ के प्रांगण से शानदार घाटियों और ग्लेशियर के नजारे दिखते हैं। सर्दी में यहां काफी बर्फ मिलती हैं।अगर मानसून के समय आप इधर की तरफ आते हैं तो जगह जगह आपकों झरने और एप्पल के बगीचे मिलेंगे।जंगल के बीच रास्ता ऐसा मिलेगा कि जुरासिक पार्क में होने की फिलिंग आएगी।मंदिर आसपास के पहाड़ों में सबसे ऊंचे पहाड पर बसा हैं तो यहां भीड़ भी नहीं मिलेगी और सुकून भी काफी मिलेगा।
समुद्रतल से उंचाई: करीब 11000 फीट
कैसे पहुंचे: यहां से शिमला की दूरी 125किमी हैं।शिमला से रामपुर पहुंच कर यहां कैब लेकर पहुंचा जा सकता हैं।यहां तक के लिए कोई पब्लिक ट्रांसपोर्ट नहीं मिलता हैं।
अन्य नजदीकी स्थल: सराहन , रामपुर।
–ऋषभ भरावा
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