पिछले महीने , जब हम कल्पा से 2 दिनों के लिए सराहन गए थे। एक लोकल मित्र दोनो दिन तक हमारी यात्रा को सुखद और यादगार बनाने के लिए हमारे साथ ही रहे और सराहन की हर एक जगह को अच्छे से विजिट करवाया। मित्र सराहन के पास ही के गांव से हैं, हम उनके यहाँ भी जाने वाले थे सेबों के बगीचे में धावा बोलने।पर जगह जगह भूस्खलन की वजह से हमने उधर जाने का रिस्क नहीं लिया।
जब हम सराहन आये थे तो उसी के दो दिन पहले ही आलरेडी 2 भूस्खलन से बचकर निकले थे। सराहन पूरा एक दिन में घुमाने के बाद अगले दिन हमारे पास करने को दो चीज थी या तो हम जाए एक ट्रेक पर और ऊपर पहुंच कर mud house में रुके या फिर पूरे रिस्की ऑफ रोड से हो कर श्राईकोटी माता के मंदिर पहुंचे।
किस्मत खराब थी और अगले दिन सुबह सुबह तेज बारिश स्टार्ट हो गईं।हमने ट्रेक कैंसल कर दिया कि फालतू ही कपड़े गीले हो जाएंगे। अब बचा श्राई कोटि माता मंदिर का प्लान। कोई भी गाड़ी हमे उधर ले जाने की रिस्क नहीं लेना चाहती थी ,सभी टैक्सी ने वहां के लिए मना कर दिया। एक बार तो हमने कैंसल कर दिया यह प्लान भी सोचा आज यहीं कमरे में ही पड़े रहेंगे , कमरे की शानदार लोकेशन से पहाड़ और बारिश देखेंगे।इधर उसी समय सराहन में मेरे दो कैलाशी बड़े भाई को उत्तर प्रदेश से थे, उनका कॉल आया कि वो भी सराहन में ही हैं। उनमें से एक ने तो मेरे साथ बाइक पर भूटान की यात्रा की हुई थी,उपर से दोनो कैलाश मानसरोवर यात्री। जैसे ही हम मिले ,हमने सोच लिया कि किसी भी तरह से श्रायी कोटि माता के जाना ही हैं।
मित्र आज्ञा भाई ने काफी गाड़ी वालों से रिक्वेस्ट की लेकिन वो पूरा ऑफ रोड होने की वजह से वहां कोई भी टैक्सी ड्राइवर जाने को रेडी ना हुआ, सबको डर था कि कही भूस्खलन हो जाए तो गाड़ी उधर ही फंस जाएगी।अब इतना सुनकर तो हमने सोच लिया कि चाहे जो भी हो आज तो जाना ही जाना हैं उधर।फिर क्या एक टाटा 4*4 पिकअप वाले को आज्ञा भाई ने वहां जाने को तैयार कर लिया।कही भूस्खलन से रास्ते पर पत्थर मिले जिन्हे मशक्कत से हटा कर रास्ते बनाए,कही पेड़ रास्तों में गिरे मिले और वाकई में मंदिर से करीब 2 किमी दूर ही हमे गाड़ी खड़ी करनी पड़ी क्योंकि रास्ते के बीच कई सारे पेड़ और पत्थर गिरे हुए थे।श्राईकोटि मंदिर के बारे में अगली पोस्ट में पढ़े।
– ऋषभ भरावा