होश उड़ाने वाला क़िस्सा, क्यों पार्वती घाटी से गायब हो रहे हैं लोग!

Tripoto

घूमना मेरा शौक़ है। जैसे ही छुट्टी मिली, झट से मैंने टिकट बुक की और निकल पड़ा कैमरा लेकर एक नए सफ़र पर। हाथ में एक डायरी, एक पेन और बन के आवारा लिखता फिरूँ किस्से अपने सफ़र के।

तो बात शुरू होती है मेरे पिछले कसोल के सोलो ट्रिप से। सुबह सुबह मैं कैमरा लेकर निकला सफ़र पर। थोड़ा आगे चला तो कुछ तो अजीब लगा। एक विदेशी लड़के के पोस्टर लगे थे गली गली, गुमशुदा की तलाश वाले। अब मैं दिल्ली वाला लड़का, अपने को तो आदत है इन सबकी। लेकिन यहाँ मामला कुछ अलग था। ये पोस्टर ब्रूनो मशालिक का था।

क्या है पूरा किस्सा और कौन है ब्रूनो मशालिक??

पोलैंड के रहने वाले ब्रूनो मशालिक नाम के इस लड़के की उम्र महज़ 24 साल है। सैकड़ों विदेशी सैलानियों की तरह वो भी सोलो ट्रिप पर कसोल आया था। मनाली में उसे आख़िरी बार 8 अगस्त 2015 को देखा गया था। फेसबुक के अनुसार वो 9 अगस्त को पार्वती घाटी की ट्रेकिंग पर निकलने वाला था।

तब से यह लड़का गुमशुदा था। उसके बाद अगर वो लड़का नज़र आया तो इन गुमशुदा वाले पोस्टरों में।

Photo of होश उड़ाने वाला क़िस्सा, क्यों पार्वती घाटी से गायब हो रहे हैं लोग! 1/1 by Manglam Bhaarat
कसोल के जर्मन बेकरी के पास लगा ब्रूनो का गुमशुदा होने का पोस्टर

क़िस्सा केवल यहीं ख़त्म नहीं होता है। ब्रूनो मशालिक के अलावा सैकड़ों अमेरिकी और यूरोपीय सैलानी हैं, जिनके गुमशुदगी के पोस्टर कसोल की गलियों में लगे हैं और सब के सब पार्वती घाटी में ही गुमशुदा हुए

एक बड़ा नाम जस्टिन शटलर का भी है, जो 2016 में पार्वती घाटी में लापता हुआ।

सरकार ने क्या कदम उठाए

जस्टिन शटलर की माँ और उसके एक दोस्त ने खीरगंगा और पार्वती घाटी को हैलीकॉप्टर से छान मारा लेकिन सब मेहनत बेकार।

आख़िर ये मेरे लिए क्यों ज़रूरी है?

बात दरअसल ये है कि 2016 की गर्मियों में उसके लापता होने से पहले ही मैं उससे मिला था। हम दोनों बहुत अच्छे दोस्त बने। बाद में 2017 में उसके गुमशुदा होने के बाद उसके दोस्त से भी मैं मिला।

इतना आज़ाद बन्दा, जिसके पास ज़िन्दगी जीने का एक मक़सद था, वो ऐसे कैसे गुमशुदा हो सकता था। मैं जब उससे मिला था तभी उसे इंस्टाग्राम पर फॉलो किया था।

जो इंस्टाग्राम पोस्ट आप देख रहे हैं, यही उसकी आख़िरी तस्वीर 2016 अगस्त में कसोल के मामा कैफ़े की थी।

शटलर की इस हालत पर उसकी माँ ने गोफंडमी कैंपेन (GoFundMe Campaign) शुरू किया।

आप जस्टिन के इंस्टाग्राम अकाउण्ट पर जाकर देखेंगे तो रूबरू होंगे ज़िन्दगी से, ख़ुशी से; जिसको पार्वती घाटी की वादियों ने कहीं लील लिया। वो लड़का, जिसने हिन्दुस्तान को एक ट्रैवलर की नज़र से देखा और ऐसा देखा कि देखने वाले पागल हो गए।

बीते कुछ क़िस्से

अभी कुछ साल पहले ही दो फ़्रैंच ट्रैकर्स, फ़्रैन्सिस ज़ेवियर कैमलिन (21) और वैलेन्टिन जॉर्ज (20) पार्वती घाटी की धौलाधर पर्वतमाला में कहीं गायब हो गए और अब सरकार ने उनका तलाशी अभियान भी बन्द कर दिया है।

न किसी को ख़बर है, न किसी को पता है। लेकिन पिछले कुछ समय से ढेर सारे पेशेवर विदेशी ट्रैकर्स पार्वती घाटी के इलाके़ में आकर गुम हो जाते हैं। इसलिए अपने सामान के साथ गुम हो जाने पर सवाल तो बनता है। सरकार चुप, लोग चुप, प्रशासन चुप। किसी को कुछ पल्ले नहीं पड़ रहा है कि हो क्या रहा है।

प्रशासन ने भी चेतावनियाँ जारी की हैं कि ट्रेक पर अकेले न जाएँ और ट्रेक पर गाँजे का सेवन नहीं करें। लेकिन चरसियों को क्या फ़र्क पड़ रहा है। मत मारकर ज़िन्दगी को चुनौती देने निकल पड़ते हैं ये सब।

कौन है ज़िम्मेदार??

कुछ भी हो, एक चीज़ तो साफ़ है। जवानी के जोश में अगर आप होश खो दो तो जान जाना कोई बड़ी बात नहीं है। पहाड़ों को देखकर पल भर में फ़तह करने से पहले उसका सम्मान करना सीखें।

बेवकूफ़ी में लिए गए निर्णय आपके लिए, आपके परिवार के लिए बहुत ख़तरनाक साबित हो सकते हैं। इतनी बड़ी कीमत चुकाओगे आप एक दरकती हुई एक ईंट पर पैर रख कर, जिसका ख़ामियाज़ा आप सोच भी नहीं सकते कि आपको कहाँ ले जा सकता है।

इसलिए मूर्ख मत बनो, समझदार बनो। प्रकृति का आनंद लो, उसे चुनौती मत दो। क्योंकि अगर ग़लती से प्रकृति ने चुनौती दे दी, तो सँभाले नहीं सँभलेगा।

ख़ुद ज़िम्मेदार बनो, लोगों के लिए मिसाल बनो।

लोग आपकी तस्वीर इंस्टाग्राम पर लाइक करें, न कि गुमशुदा होने के बाद शेयर। थोड़ा सा ख़्याल रखो, कि आपकी ज़िन्दगी सिर्फ़ आपकी नहीं है।

आपके अनुसार ग़लती आख़िरकार किसकी है इन सब हालातों के पीछे, हमारे साथ कमेंट बॉक्स में साझा कीजिए।

अपने सफर के अनुभवों को Tripoto मुसाफिरों के साथ बाँटने के लिए यहाँ क्लिक करें। 

रोज़ाना वॉट्सऐप पर यात्रा की प्रेरणा के लिए 9599147110 पर HI लिखकर भेजें या यहाँ क्लिक करें।

यह एक अनुवादित आर्टिकल है। ओरिजिनल आर्टिकल पढ़ने के लिए यहाँ पर क्लिक करें।