कुछ ऐसे मनाया मैंने अपनी दोनों गर्लफ्रेंड्स के साथ वैलेंटाइन्स डे!

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प्यार होना दुनिया की उन सबसे ख़ूबसूरत भावनाओं में एक है, जिसके बाद आप कई सदियों का सफ़र कुछ पलों में तय कर लेते हो।

मैं और शिवानी दो अच्छे दोस्त हैं। घूमना हम दोनों को ही पसन्द है, इसीलिए दोनों की ख़ूब बनती है। कभी कभी तो ऐसे ही किसी भी रास्ते पर चल पड़ते थे हम। हम वो दो दोस्त थे, जो एक दूसरे का साथ पसन्द तो करते हैं लेकिन प्यार वाली बात किसी ने नहीं कही, कुछ ऐसा ही समझ लीजिए हमारा रिश्ता। लेकिन अब अनकही बातों को लफ्ज़ों में बयान करने का वक्त आ गया था। और मैं शिवानी से अपने प्यार का इज़हार अपने पहले प्यार के सामने करना चाहता था।, जी मुझे गलत मत समझिए, मेरा पहला प्यार कोई और लड़की नहीं बल्कि हिमालय के वो ऊँचे पहाड़ हैं जिसकी गोद में पहुँचते ही सारी परेशानियाँ हवा हो जाती हैं, जिनके सामने अपने दिल के खयाल खुल के रख सकते हैं, जिसकी खूबसूरती के आगे कोई और चेहरा खूबसूरत नहीं लगता।

क्योंकि फरवरी का महीना चल रहा था, तो वैलेन्टाइन्स डे का मुहुर्त तो जैसे मेरी इस ट्रैवल स्टोरी को लव स्टोरी में बदलने के लिए ही निकला था। मैंने भी 12 फरवरी को शिवानी के साथ मसूरी जाने का प्लान बना लिया। और शुक्र है क्यूपिड देवता का, उसने भी हाँ कर दी।

अब ये दो घुमक्कड़ दोस्त कंधों पर बैगपैक लिए कश्मीरी गेट पर बस का इंतज़ार कर रहे थे। रात 11 बजे बस आई और हम चल पड़े एक नई मंज़िल की ओर। वो मेरी उत्सुकता के पीछे की कहानी नहीं जानती थी, लेकिन अपनी दो बेहद प्यारी चीज़ोंं को साथ में देखने के लिए मुझसे इंतज़ार नहीं हो रहा था। रात के अंधेरे में, उसकी बातों के बीच, सड़क पर मचता शोर अब मुझे सुनाई नहीं दे रहा था, उसके किसी बेकार जोक पर भी कुछ ज़्यादा ही हस रहा था मैं।

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सुबह के 06.30 बजे थेऔर हम मसूरी पहुँच चुके थे। बस से उतरकर कुछ देर पैदल चले तो एक छोटी सी चाय की दुकान दिखी, हाथ में चाय का ग्लास लिए, मैं एक पल पहाड़ों से घिरी इस जन्नत को देखता तो दूसरे पल मेरे सामने बैठे प्यारे चेहरे को। वैसे तो मैं कई बार पहाड़ों में घूमा हुँ, लेकिन इस वक्त ये कुछ ज्यादा ही दिल के करीब लग रहे थे, साथ ही कुछ ऐसा था।

हम मसूरी में एक हॉस्टल में रुके हुए थे, रूम ले सकते थे हम, लेकिन शायद उसे थोड़ा असहज लगता। कुछ देर आराम करके हम दोनों ने मसूरी लेक घूमने का प्लान बनाया, किसी शान्त जगह की तलाश में आने वालों की आरामगाह, हम दोनों के लिए परफ़ेक्ट जगह। हरी पहाड़ियों के बीच, नीले आसमान के नीचे छोटी सी झील और ये नज़ारा लेते हम दोनों। किसी जगह पर पहुँचने के बाद हम ढेर सारी बातें करते हैं, फ़र्क नहीं पड़ता कि टॉपिक क्या है। दो लोगों के ख़्यालात मिलते हों तो जगह और सुन्दर हो जाती हैं। लेकिन मसूरी झील आकर हम दोनों में एक चुप्पी थी। मुझे अपना कारण पता था, उसका नहीं। अपने दिल की बात कहने का मैं इंतज़ार नहींं कर पा रहा था, लेकिन इस लम्हे को भी हाथ से नहीं जाने देना चाहता था। जिन नज़रों से वो उन पहाड़ों को देख रही थी, एक बात तो साफ हो गई थी, उसे भी मेरे पहले प्यार से प्यार हो गया था। अब बस वो इन्ही नज़रों से मुझे देखना भी कुबूल कर ले, मैं इसी की दुआ कर रहा था।

शाम हो चुकी थी, सफर की थकान भी थी तो हम हॉस्टल पहुँच कर जल्दी सो गए।

अगली सुबह हम ने जल्दी उठकर उगते सूरज देखने का प्लान बनाया था। कहते हैं लाल टिब्बा से सूरज को देखने का रोमांच आपको पूरे मसूरी में कहीं और नहीं मिलेगा। लेकिन सर्दी इतनी ज़्यादा थी कि कोहरे के कारण उगता सूरज दिखा ही नहीं। मायूस मन के साथ हम दोनों और कई लोग वापस आने लगे।

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किसी ने बताया कि यहाँ पास में ही रस्किन बॉन्ड का घर भी है। रस्किन बॉन्ड उसके पसन्दीदा लेखकों में हैं। रस्किन बॉन्ड का घर देखकर मुझसे बोलने लगी, चलो न उनके घर चलते हैं ऑटोग्राफ़ लेकर आते हैं। लेकिन उसे कैसे बताता कि अगर रस्किन बॉन्ड का ऑटोग्राफ लेने निकले तो मेरी लव स्टोरी की कहानी अधूरी रह जाएगी। तो मैंने भी टालते हुए कहा दिया, इतने बड़े आदमी हैं वो, कितनों को ऑटोग्राफ़ देते फिरेंगे। लेकिन वो मुँह फुलाकर बैठ गई। नाराज़ प्रेमिकाएँ कितनी सुन्दर लगती हैं, काश उसे बता सकता। काश मैं उससे कह सकता कि किसी लम्बी सड़क पर हम दोनों हाथ पकड़कर चलते हैं तो मुझे कितना अच्छा लगता है। पूरा होने का एहसास इतना ही सहज है। पूरी ज़िन्दगी हम ऐसे क्यों नहीं चल सकते।

अब वक्त हो गया था, इससे पहले वैलेंटाइन्स डे भी हाथ से निकल जाए, मैं अपने दिल की बात शिवानी से सामने रख देना चाहता था, इसके लिए जगह भी बहुत अच्छी चुनी थी मैंने, गन हिल। पहाड़ों से घिरी हुई वो मनोरम जगह जहाँ रोपवे से आप एक से दूसरी जगह का सफ़र करते हो। इनके बीच में आप देखते हो पहाड़ों से घिरा हुआ पूरा मसूरी शहर।

रात को ही मैंने ख़ूब सारी चॉकलेट्स और एक विल यू बी माई वैलेंटाईन वाला कार्ड बैग में रख लिया था। जैसे ही हम रोपवे में बैठे, चलते हुए मैंने उसको पहाड़ की तरफ़ इशारा किया। वो पहाड़ों की तरफ़ देख कर मन ही मन ख़ुश हो रही थी कि एक पल में मैं घुटने के बल बैठ गया। जब तक वो कुछ समझ पाती, तब तक मैंने अपने बैग से चॉकलेट्स और कार्ड निकाल लिया था। अब शब्दों की ज़रूरत किसी को नहीं थी। मैंने कुछ कहा भी नहीं।

उसके चेहरे पर एक मिनट की शान्ति। पता नहीं क्या था उसके मन में। शायद उसको पहले ही पता चल गया था। मुझे ये सोच कर डर लग रहा था कि कहीं मैंने जल्दी तो नहीं कर दी। शायद वो इसके लिए तैयार नहीं थी। जब तक मैं ये सोच रहा था कि वो मुस्कुरा दी। मैं अभी भी डर में था। और फिर एटीट्यूड दिखाते हुए उसने कहा कि एक मौक़ा तो तुमको दिया ही जा सकता है। उफ़्फ़, अब मेरी जान में जान आई। नहीं बोलती तो न जाने क्या होता।

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उसके बाद हाथ पकड़े हम ऊँचे पहाड़ों के बीच जैसे गुम हो गए थे। लेकिन इस बार मैं उस बर्फीले चेहरो को नहीं, बल्कि अपने पास बैठे मुस्कुराते हुए प्यारे से चेहरे को देख रहा था। मुझे यकीन है कि मेरे पहले प्यार को मेरे इस नए पार्टनर से कोई दिक्कत नहीं थी।

किसी से प्रेम करना इस दुनिया का सबसे नाज़ुक लम्हा है, और उसे मुकम्मल कर देना किसी दुनिया का सबसे मुश्किल सफ़र। ये वो एहसास होता है जिसे जीने के बाद एक लम्हे में ही आप कुछ सदियों का सफ़र तय कर लेते हो।

आपको कैसी लगी मेरी ये वैलेंटाइन वाली प्रेम कहानी, कमेंट बॉक्स में बताएँ।

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